प्यार का एक दिन
प्यार का एक दिन


रात के 8:00 बजे थे सीमा ने डिनर बना कर सुंदर सी साड़ी पहनी ,आज वैलेंटाइन डे था , उसने राकेश के लिए सरप्राइस रखा था, जैसे ही वह कक्ष में दाखिल हुई, राकेश बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे
सीमा:-- "रात को कहां जा रहे हो सारे लोग का काम 12 घंटे का होता है और तुम्हारा काम 24 घंटे नहीं खत्म होता । आज क्या है शायद यह भी तुम्हें याद नहीं,मैं तो तुम्हारे लिए जरूरी ही नहीं" सीमा ने डॉ राकेश से झगड़ते हुए कहा ।
"प्रेम कोई एक दिन में खत्म हो जाने वाला एहसास नहीं है,सीमा मेरी जिम्मेदारी मरीजों के प्रति पहले हैं।वैलेंटाइन डे तो हम कल भी मना सकते हैं।" राकेश ने पत्नी सीमा को समझाते हुए कहा !
सीमा:- "जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती मुझे पहले पता होता तो मैं एक डॉक्टर लड़के से शादी ही न करती, जिसको अपनी पत्नी से ज्यादा अपने मरीजों से प्यार है।"
>डॉ राकेश:- "मै रोज कितनों को दम तोड़ते हुए देखता हूंमुझे असली खुशी तब मिलती है जब मेरे कारण किसी मरीज की जान बचती है ."
सीमा:--"जाओ यहां क्या? कर रहे तुम्हारी ड्यूटी का टाइम हो गया."
सीमा गुस्से में जाकर सो गई.. एक घंटे के बाद घर के टेलीफोन पर राकेश फोन पर फोन करता रहा, पर सीमा ने गुस्से में फोन नहीं उठाया ।
अगली सुबह उसकी मां का फोन आया , मां बताने लगी कैसे डॉ राकेश ने तुम्हारी बुआ के लड़के की जान बचाई अगर रात वह नहीं आता तो शायद! कितनी बड़ी अनहोनी हो जाती।
सुबह जब वह घर आया उसके हाथ में फूल का गुलदस्ता और गिफ्ट था, सीमा की आंखें छलक आई , "मुझे किसी उपहार की जरूरत नहीं, तुम्हारा प्यार सच में बहुत अनमोल है..... कल मेरे भाई की जान बचाकर तुमने जो उपहार मुझे दिया है .. यह वैलेंटाइन डे मेरे जीवन में कभी ना भूलने वाला होगा।"