नई बहू
नई बहू
बारात घर आ चुकी थी बहू को उतारने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी ननद नेग लेने के लिए द्वार पर खड़ी हंसी ठिठोली करती इतने में छोटी ननद बोल ही पड़ी अरे भाभी सोने का हार नहीं दोगी क्या? भाई ने जैसे तैसे बहनों को निपटा कर बहू के साथ अंदर प्रवेश किया और बहुत सी रस्में नई बहू का इंतजार कर रही थी उतनी ही तत्परता से बहू भी अपनों से मिलने की इच्छुक थी बुआ ने आगे बढ़कर बहू का मुंह खोलकर शगुन के तौर पर कुछ रुपए उसके हाथ में रख बोली वाह बहुत ही सुंदर बहू लाए हो रमेश बाबू पूरा घर चमक उठा रमेश धीरे से मुस्कुरा दिया बारी-बारी से सभी औरतें मुंह दिखाई के लिए आगे आने लगी सब ने कुछ ना कुछ उपहार भेंट किए मां ने बड़ी उदारता से पैरों की पाजेब पैर में पहनाई इतना प्रेम और स्नेह पाकर रीना फूली नहीं समा रही थी, उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक गये। हंसी खुशी से रात बीती आज रसोई प्रवेश की रस्म थी नई बहू को अपने हाथ से रसोई पका कर सब मेहमानों और घर के सदस्यों इत्यादि को खिलाना था। रीना खुशी खुशी रसोई घर में प्रवेश करते हुए माजी क्या क्या बनाना है मुझे बता दीजिए।
छोटी बहन भी साथ में मदद के लिए आने लगी तो माजी ने सबकी तरफ हाथ दिखाते हुए कहा की सुनो आज कोई भी हाथ नहीं लगाएगा आज उसकी परीक्षा की घड़ी है देखें तो इसकी मां क्या क्या सिखा कर भेजा है रमेश बीच में बोल पड़ा अरे मा
ं वह तो पढ़ने लिखने वाली लड़की है भला उसको इतना कहा आता होगा करने दो ना मदद छुटकी को आखिर छुटकी और रीना दोनों एक ही उम्र की तो है। सब्जी इत्यादि काट के रीना ने मसाला पीसने के लिए जैसे ही मिक्सर की तरफ हाथ बढ़ाया माझी ने झट हाथ पकड़ लिया ये शहरी अंग्रेजी यहां ना चलेगी मसाला सिल पर पीसकर ही खाना बनाना पड़ेगा। रीना सिल पर पीस कर कैसे बन पाएगी, क्यों हमने ना बनाया था खाना हमने तो सौ लोगों का खाना बनाया था। आज अगर नहीं कर पाई रसोई की रस्म तो आगे का बोझ कैसे उठाओगी आज कोई हाथ नहीं लगायेगा। मन भारी कर रीना ने किलो भर मसाला सिल पर पिसा माझी बीच-बीच में टोके जा रही थी
थोड़ा और बारीक पीसो पहले कभी नहीं पिसा क्या मां ने सिखा कर नहीं भेजा।
मसाला पिसते उसके हाथों में छाले पड़ गए आंखों में आंसू आ गए। मिक्सी ने जब मसाला नहीं पीसना था तो दहेज में मिक्सी मांगी क्यों थी ।
सारे मेहमान खाना खाकर चले गए पर रीना के छाले किसी ने ना देखें। पूरी रात आंसुओं से ही कट गई यही सोचते की मैं और छुटकी तो एक ही उम्र के हैं फिर क्या मंगलसूत्र पहन लेने मात्र से में मैं बड़ी हो गई , क्या ऐसे ही रसोई घर और रीति रिवाज में बस ऐसे ही पिसती रहेगी फिर क्या जरूरत है यह आधुनिक समाज के दान दहेज के दिखावे की फ्रिज कूलर ए. सी और खास तौर पर मिक्सर की जब मसाला सिल पर ही पीसना है?