पति, पत्नी और ज़िंदगी

पति, पत्नी और ज़िंदगी

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पति और पत्नी का वो रिश्ता होता है जिसमें जीवन का लगभग हर रिश्ता समाया है । फिर चाहे वो दोस्त की तरह हर चीज़ पर साथ देना हो , भाई बहन की तरह एक दूसरे की रक्षा करना, माँ की तरह प्रेम पूर्वक सबको सम्भालना या एक बाप की तरह ज़िम्मेवारी लेना । शायद इसीलिए इस रिश्ते को जीवन साथी, गाड़ी के दो पहिए आदि तरह के नाम दिए गए हैं, यानी हर हाल में हर तरह से साथ निभाना । कभी दोस्त की तरह कभी किसी और रिश्ते की तरह जब जहाँ ज़रूरत हो।


पर हम रहते हैं सिर्फ़ पति और पत्नी बन कर । कर देते हैं नज़रअन्दाज़ दूसरे रिश्तों की अहमियत को । बढ़ नहीं पाते उस से आगे, दोस्त बन कर या कुछ और बन कर । अपने पति या पत्नी होने के अहं में डूबे हुए ढूँढते रहते है ख़ुशियाँ । भूल जाते हैं अहंकार में कि ख़ुशियाँ तो पति और पत्नी से पहले बने रिश्तों में थी जिसे अब भगवान ने समेट कर एक व्यक्ति में दे दिया है । और इस एक रिश्ते के भ्रम में टूट जाते हैं जाने कितने रिश्ते और ख़त्म हो जाती हैं ख़ुशियाँ ।


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