Dhvani Ameta

Tragedy

4.3  

Dhvani Ameta

Tragedy

पति पत्नी अंतर्संबंध

पति पत्नी अंतर्संबंध

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280


प्रिया आज बड़ी शंका में थी कि कैसे उसके पति उससे मिलने उसके पीहर उसके बिना बुलाए ही आए हैं! जो कि हर बार अपनी पत्नी के निमंत्रण का इंतजार करते थे। पिछले सर्दी की छुट्टियों में वो अपनी बेटी झील को लेकर ससुराल गई, पर उसके पति प्रेम नहीं आए, उन दोनों की बातचीत भी नहीं होती थीं। अक्सर एक बार सासू जी को मोबाइल पर बात करते हुए लगा कि प्रेम हैं! प्रिया ने पुछा कौन हैं? सास ने कोई जवाब नहीं दिया, प्रिया ने हाथ से फोन लेकर पुछा "कौन! झील के पापा? मैं आ गई हूं यहां, आप तो फोन ही नहीं करते, कहाँ हो?" वहां से मुस्कुराते हुए आवाज आई!" इंदौर हूं।" वैसे प्रिया प्रेम से बहुत नाराज थी, फिर भी प्यार से बात की, फिर प्रेम नहीं आएं। सास ने भी ताना दिया, "वो नहीं है तो तुम क्यों आईं?" ये बात सुन प्रिया अगली छुट्टियों में नहीं गई।

प्रिया और प्रेम दोनों अलग - अलग क्षेत्रों में नौकरी करते थे। प्रिया की एक यही ज़िद्द थी कि उसके पति उसके साथ रहें। इस वजह से वो कई बार उनके फोन काट दिया करती थी, उठाती ही नहीं थी। उसकी यही ज़िद्द थी कि जब साथ नहीं रह सकते तो बात ही क्यों करते हो? फिर भी वो धीरे - धीरे अपने प्रेम से मिलने जाती। वो सोचती, प्रेम तुरंत आ जाएगा, पर कुछ सवा माह बाद आया। प्रिया ने एक बेटी झील को जन्म दिया और डेढ़ माह बाद ससुराल आ गई, जो अब 3 माह की हो गई। अचानक झील और प्रिया दोनों बीमार हो गए और प्रेम कुछ दिनों के बाद उन दोनों को अपने साथ ले गया। चार माह तक साथ रहे। प्रिया बच्ची को लेकर अपनी कर्मभूमि पर आ गई। वहां प्रेम ने नौकरी छोड़ी। प्रिया को उससे कोई दिक्कत नहीं थी, पर वो चाहती थी कि प्रेम उसके साथ रहे, परंतु प्रेम ने उससे बात करनी बंद कर दी। अचानक प्रेम का उसकी कर्मभूमि पर आना उसे अटपटा लगा। प्रेम उसे ससुराल ले जाना चाहता था, पर उसे सास के ताने याद आ रहे थे। उसने कहा हम लोग घूमने चलते हैं, खर्चा पूरा मैं करूंगी। तब प्रेम ने कहा दीपावली में होटल में रहना! क्या ये सब ठीक है? परिवार के बीच होना चाहिए, फिर उसमें ये भी कहा तुम चली जाओ मैं झील को लेकर जाता हूं। प्रिया, प्रेम के साथ जाने के लिए मना ही कर रही थी। मायके वालों ने जबरदस्ती भेजा। प्रिया वहां 15 दिन तक रुकी और लौटते वक्त झील को अपने साथ ले जाने के लिए निकली तो प्रेम ने उसके हाथ से झील को झपटते हुए कहा कि इसको यहीं रहने दो। नौकरी में इसकी परवरिश कैसे करोगी। इसको 15 दिन बाद रख जाऊंगा। झील सवा साल की दुधमुही बच्ची थी। प्रिया ने कहा दूध नहीं पीने के कारण ये बीमार होगी और मुझे भी इसे फीडिंग करना अच्छा लगता हैं। तब प्रेम ने कहा कभी न कभी तो छुड़वाना पड़ेगा। प्रिया चली गई। वे पन्द्रह दिनों तक वापस नहीं आए। प्रिया को पता चला कि प्रेम ने हमेशा के लिए दो भारत की शीर्ष दस वाली कंपनी छोड़ कर किराना का धंधा कर रहे हैं। सास - ससुर जब जाती तब ताने मारने लगते। उसके साथ रह कर इसकी नौकरी छुड़वा दी। वास्तविक कारण ससुर का बार - बार पैसा मांगना था, क्योंकि बड़े शहर में खास बचत तो होती नहीं। अब तो प्रेम भी प्रिया को ही कसूर वार कहता था। प्रिया ने कहा आप नौकरी न करो कोई दिक्कत नहीं, मैं अच्छा खासा कमा लूंगी। बस मेरे साथ रहो तो बच्चों की शिक्षा, परवरिश अच्छी हो पाएगी। आप साथ रहोगे तो बच्चों की चिंता नहीं रहेगी। उसने मना कर दिया। प्रिया झील को अपने साथ ले जाना चाहती थी, पर प्रेम ने उसके हाथों से खींचा। प्रिया ने झील को लेने के लिए संघर्ष किया, उसे एक थप्पड़ मारी। प्रिया बहुत निर्भीक लड़की थी उसने प्रेम को दो थप्पड़ मारी। पीछे खड़ी सास का ताना आया, वाह रे वाह! धणी को मार रही है! प्रिया ने उसको पलट कर जवाब भी दिया। झील प्रिया के लिए रोती रही मम्मी - मम्मी और प्रिया झील के लिए। प्रिया ने पुलिस स्टेशन जानें की बात कही तो ससुर ने कहा कि अभी के अभी जाओ। ससुर ने उतरते हुए कहा कि इसकी दूसरी शादी करवाते हैं। तब प्रिया ने कहा मेरी ओर से चार करवाओ! प्रिया को रास्ते में बड़ी सास ने और एक पड़ोसी महिला ने कहा, अरे इतनी जल्दी कहां जा रहे हो बेटा? अभी तो गाड़ी लगने में समय है। प्रिया का गला भर गया था वो कुछ नहीं बोल पाई। रास्ते में पुलिस स्टेशन देखा, गेट तक गई। कुछ पुलिस वालों को देखा पर सोच में पड़ गई! क्या ससुराल के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, बदनामी तो नहीं होगी। भाई - बहन भी कुंवारें हैं। कुछ बिना मतलब के ईर्ष्या रखने वाले मम्मी - पापा का सर खा जाएंगे और खुश होंगें, क्योंकि प्रिया बहुत लोकप्रिय कलाकर लड़की थी। छोटे - बड़े कई लोग उससे ईर्ष्या भी करते थे। कहीं मेरे गलत फैसले से मम्मी - पापा दुखी होंगे। कहीं उनका नाम खराब न हो जाए। एक - एक डग भरते हुए बस स्टैंड तक पहुंची, न जानें कितनी बार झील को लाइन की गाड़ी में अपने साथ ला - लाकर उसे ससुराल ले जाती थी। कई बार कामवाली के भरोसे, कई बार अपने साथ कार्य क्षेत्र पर ले जाकर उसे पौने दो साल का किया था। झील अपनी मां के कमरे की तरफ़ इशारा करते हुए मम्मी - मम्मी कह कर रोती रहती थी। उसकी बड़ी सास ने ये बात प्रिया को बताई, वो अपनी मम्मी की शादी की एलबम भी किसी को देखने नही देती थी। रोती रहती थी। वहां कठोर मस्तिष्क की प्रिया झील और प्रेम को भूलना चाहती थी, क्योंकि वो मेरे बौखला गई थी, मोहल्ले में जिसके भी बच्चे होते उसे 100 ,100 रुपए देती थीं, प्यार से उसे सीने से चिपकाकर खेलाती थी, उसकी रुआंसी आवाज़ व आंखों में तरलता देख लोग समझ जाते थे, कभी अपने कार्मिकों के साथ बिटिया से संबंधी कोई कार्यक्रम 2 बार देखा तब वो फूट फुट कर रोई, लोग आश्चर्य में पड़ गए जो अपनी बातो से सबको हंसाती हैं आज खुद बच्चे की तरह रो रही है, प्रेम कभी झील की फ़ोटो भेज ता कभी गिफ्ट जो वो प्रिया के लिए लाया हैं वो भेजता, प्रिया ने कहा जब लडकी मेरे पास नहीं आएगी तो उसको मेरी आदत मत लगाओ, न उसने कभी झील से बात की न प्रेम से, ईश्वर से प्रिया का दुख नहीं देखा गया, एक रिश्तेदार ने प्रिया को अपनी शादी में आने के लिए हठ की, प्रिया वहा आई प्रेम और प्रिया न चाहते हुए दस दिन साथ रहे,वापिस झील के लिए विवाद हुआ, प्रिया ने शाम को न खाया, न सुबह पानी और चाय पी , और निकली , पास में एक मंदिर में रोते हुए प्रार्थना कि भगवान आपसे मेरी बेटी मांगती हूं, पर उसे क्या पता कि ईश्वर ने उसके कोख में एक जीवन डाल दिया, एक माह बाद उसे मालूम हुआ कि गोद में एक जीवन आ गया है, कई लोगो ने गर्भ पात की बात की, क्योंकि उनके संबंध अच्छे नहीं थे, परंतु अब प्रिया पर नौकरी का कार्यभार अत्यंत हो गया था, उसको पता था कि अब उसे खुश रहना है अपने बच्चे के लिए, वो सबको भूल गई थी, वहा डेढ़ माह बाद प्रेम के वहा गई, प्रेम और घर वालो को भी पता चल गया कि वो मां बनने वाली हैं, उसने अपनी मां से कहा कि इनको बता देना की मैं गर्भवती हूं ताकि मेरे साथ कुछ ऊंच नीच न हो, वैसे उनका जरा भी मन नहीं था बताने का, लेकीन आने वाले बच्चे के लिए डर रही थी, परन्तु किसी कारण वश दोनो में विवाद हुआ, उसके हाथ की चूड़ी उसके हाथ में लग गई, कुछ खून भी निकले, उसने झील के लिए कई बार छीना झपटी संघर्ष किए, उसने अपनी मां से निकलते समय कहा मम्मी झील को अपने साथ ही चलते हैं, उसकी मां ने उसकी सास से जब याचना भरी आंखों से निवेदन किया , तब सास ने कहा अभी तो घर का कार्यक्रम है, अभी नहीं भेज पाएंगे, प्रिया ने फिर आना बंद कर दिया, कही प्रेम को कोई शक हो इसलिए एक माह के अंदर ही अपनी प्रेगनेंसी रिपोर्ट उसे मोबाइल पर भेज दी थी, प्रेम ने कोई जवाब नहीं दिया, 9 माह तक उसको कोई फोन नहीं किया, फिर आखिर वो क्षण आ गया, प्रिया पर नौकरी का अत्यधिक कार्य भार था, उसके पैर भी सूज गए थे, डॉक्टर भी आश्चर्य में था और एक सप्ताह की छुट्टी ले कर घर रहने को बोला, प्रिया की स्कूल की एक बच्ची की मां ने कहा मैडम आप पूरे दिन नीचे बैठिए, जरा भी कुर्सी पर मत बैठो, पैर खूब सूज गए हैं आपके, कार्य का अत्यधिक बोझ होने से उसने कोई अवकाश नहीं लिया उस ग्रामीण महिला की बात मानी, प्रिया सुख कर कांटा हो रही थी, पर उसका हंसमुख , मिलनसार और कुछ गंभीर स्वभाव के कारण कई लोग उसे आशीर्वाद देती रहें कि आपका बेटा ही होगा, एक दिन अचानक सुबह से शाम तक विधालय का ऑनलाइन काम , भामाशाह व आधार कार्ड व प्रपत्र 9 को पुरा चेक , सब्जेक्ट की जांच करते करते संध्या हो गई, उसने सोचा कि लेट जाऊं, जैसे ही वो लेटी नर्स की बेटी ने कुशल क्षेम पुछा कैसे हो दीदी, वो उसका जवाब देती, उसके अंदर एक आवाज़ आई , उसने सोचा कि नर्स की बेटी को तत्काल बता दूं, वो घबरा गई, ओर उसको तुरंत हॉस्पिटल मे भर्ती करवाया और उसने 2.30 घंटे में एक बेटे को जन्म दिया,बेटा जन्म लेते ही रोया नहीं, ठंड बहुत थी, तो उसने अपने हाथ पर मोड़ लिए, डॉक्टर ने तुरंत बच्चे के डॉक्टर के बुलाया , और रातों रात उसे कांच की पेटी में रखा गया, प्रिया अपने बच्चे को नहीं देख पाई, पूरी रात चिंता से भरी रही, उस दिन 29 तारीख थी, दुसरे ही दिन उस पर कॉल आया कि mdm की डाक बनाओ, जबकि विधालय वालो को पता चल गया था कि उसकी डिलीवरी हुई हैं, अपनी बहन से mdm रजिस्टर मंगवा कर उसने 24 घंटे में डिलीवरी के बिस्तर पर बैठ कर डाक बनाई, उसने जरा भी मना नहीं किया, वो अपने भी बेटे को तो 4 दीन तक कोई देख पाई पर 4 दिन तक के विद्यालय के ऑनलाइन काम करती रहीं, इंचार्ज को पता था की बेटा बीमार है फिर भी, आखिर वो 4 दिन आ गए प्रिया को बुलाया, प्रिया ने अपने बच्चे को बहुत प्यार किया, बच्चा पौने चार kg का स्वस्थ था, ससुराल वालों को सूचना दी गई, पर 15 दिन बाद आए, बच्चे का वजन या प्रिया का पूरे दिन बैठे बैठे विद्यालय के काम करने से बच्चा डॉक्टर के हिसाब से 1 सप्ताह पहले और लोगो के हिसाब से 18 दिन पहले हो गया, सास ने बेतुका प्रश्न पुछा बच्चा इतना जल्दी कैसे हो गया? प्रिया गुस्से से तिलमिला उठी और बोली चलो हम लोग डॉक्टर के पास जाना पूछते हैं, वो लोग प्रिया को डिलीवरी के 15 दिन बाद ले जाना चाहते थे लोक लाज के डर से, तो प्रिया ने नही जानें का मन कर लिया,बड़े कार्य क्रम में अक्सर जाती रहतीं पर बच्चे को लिए बिना,एक बार उसकी बुआ सास के सामने प्रिया ने कहा ये तो कभी आते नहीं है, वहा भी लोग पूछते रहते हैं, फिर प्रेम प्रिया से ये कहकर मिलने आया कि कोरोना में मेरे एक मित्र की मौत हों गई, दो लोगो की मौत हो गई जो मेरे उम्र के थे, फिर उसने कहा तुमने मुझे अपने बच्चे से इतने साल दूर रखा, तब प्रिया ने कहा 9माह तक कभी आपने ये पूछा कि तू जी रही है या मर रही, उसने प्रेम को कहा ठीक है मैं आऊंगी लेकीन एक शर्त यह भी हैं कि तुम आदित्य को अपने पास नही रखोगे, और अगर तुम आदित्य को अपने पास रखोगे तो दोनों बच्चे तुम्हारे पास छोड़ कर भूल जाउंगी कि मेरी कभी शादी भी हुई थी, तब प्रेम ने कहा बेटा तो तुम्हारे पास ही रहेगा, जब तुम्हे लेने आया था, तब भी बोला था कि बापू तो प्रिया के पास ही रहेगा, वाकई प्रेम ने ऐसा बोला भी था पर प्रिया को विश्वास नहीं हुआ, जब प्रिया को ये लोग मिलने आए तब झील को प्रिया ने कस कर पकड़ लिया और कहा बेटा मम्मी को छोड़ कर मत जा, लेकीन बच्चो को गाड़ी में जाना है ये पता चलता है तो सब छोड़ देते हैं, वैसे प्रिया कभी भी कार्य क्रम में जाती, झील उसको घूंघट में भी ढूंढ कर गोद में बैठ जाती , फ़िर भी सास ने उस 15 दिन की धात्री मां को ताना मारना बंद नहीं किया और बोली कभी फोन पर बात करे बच्ची से तो न, प्रिया ने रोते हुए कहा कि बात करके उसे और क्यू दुखी करू, मेरी आदत लगाऊं, जब उसको मेरे साथ रहना नहीं, झील को गिफ्ट की हुई सोने की चैन जो प्रिया ने अपने पैसे से खरीदी थी और 2500 रुपए भी उन लोगो ने अपने पास रख लिए थे, प्रिया को 15 तौला सोना, उसकी शादी में 25 लाख खर्च किए सास और पति को भी 15,000 rs से ज्यादा के कपड़े दिए थे, किसी तरीके की कोई कमी नहीं रखी, प्रिया के ससुराल नही जानें का कारण यह था था कि उसके ससुराल वाले ये कहा करते थे तुम्हारे नौकरी में ये लडकी विकलांग बन गई, चलना नही सीखी, झील डेढ़ साल तक नहीं चल रही थी, इसलिए उसने अपने आदित्य को पौने 3 साल तक ससुराल नहीं ले गई और कहा इसकी परवरिश मैंने की देखो ये चलता है कि नही, आदित्य भी डेढ़ साल के बाद चलने लगा,वो मोटा भी बहुत था, पैर पतले थे, लेकीन मिन मेख निकालने वाले कहां चूकते है, आज भी प्रिया अपनें आदित्य को लेकर जाती है, भाई बहन को एक करने , बेटी को मां का प्यार देने, बेटे को पिता का प्यार मिले, और पति को लगे कि मेरी पत्नी आ रही है मुझसे मिलने, फिर भी कुछ ठीक नहीं हो रहा बेटे के साथ प्रेम का व्यवहार बुरा ही रहा, वैसे उसको प्रेम में कोई दिलचस्पी नहीं थी, पर अपनी झील से मिलने , भाई बहन को एक करने, अब तो नन्हा आदित्य भी झील को अपने साथ ले जाते है ये कहता है, प्रेम से मिलाओ, फोन पर बात कराओ यूं कहता रहता है, पर प्रेम ने कई वर्षों से अप ना मोबाइल खराब कर रखा है, जब उसका काम पड़ता है वो मोबाइल झटके से शुरु हो जाता है, प्रिया की व्यस्तता के कारण वो चाह कर मोबाइल नहीं ला पाई प्रेम के लिए, आज भी प्रिया झील के लिए न चाहते हुए जाती हैं, आज भी 6 वर्ष के बाद न झील उसके पास हमेशा के लिए आई, न प्रेम. to be continue.................


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