परंपरा
परंपरा
बधाई हो सितारा बहन,कल आपके यहां थाली बज रही थी, समझ गई थी मैं पोता हुआ है आपके यहां"।
"आपकी बधाई स्वीकार है हेमा जी, पर मेरे यहां पोता नहीं पोती हुई है। जिसकी खुशी हमने थाली बजाकर जाहिर की थी"।
"पर ये परंपरा तो बेटे के लिए बनाई है पुरखों ने और आप.... " हेमा जी के स्वर में तल्खी थी।
"मेरे हिसाब से इस परंपरा का मतलब है आने वाले का स्वागत.... वही हमने किया भी.... फिर आने वाला जीव चाहे कृष्ण हो या राधा....लक्ष्मी हो या सरस्वती....इस बात से फर्क नहीं पड़ता....। पुरानी परंपराओं को नया और युगानुकुल बनाना हमारी जिम्मेदारी है दीदी.... " सितारा जी ने हेमा जी की बात काटते हुए अपनी बात रखी।
"बिल्कुल .... बिल्कुल..... सही कह रही हो तुम.... परंपरा वही सही जो किसी को पराया न करें सबको अपना बना ले" कहते हुए हेमा जी अपनी सोच को दुरुस्त करने लगी।