परीक्षा
परीक्षा
सूर्योदय होने ही वाला था, दीपक ने जल्दी जल्दी बैलों को हाँकना शुरू किया, वो रात तीन बजे से लालटेन की रोशनी में खेत जोत रहा था पर अभी भी काफी खेत जुताई के लिए बचा था। रात 12 बजे तक विज्ञान की परीक्षा की तैयारी के बाद वह बमुश्किल ३ घण्टे ही सो पाया था। आज उसका हाई स्कूल की विज्ञान विषय की परीक्षा थी। अगर पिताजी का स्वास्थ्य ना खराब होता तो वह उसे कभी खेत पर काम ना करने देते। उनका तो बस एक ही सपना हैं की बेटा पढ़ लिख कर ओवरसियर बन सम्मान से जीवन यापन करे और उनकी तरह गरीबी के दिन न देखे। यह सोचते सोचते सूरज की पहली किरण के साथ साथ उसका खेत भी जुत चुका था। वह हवा की तेज़ी से तैयार हो, माँ और पिता जी का आशीर्वाद लेकर जीवन की दूसरी परीक्षा के लिए निकल पड़ा। आज उसका मस्तक एक अलग ही आभा से चमक रहा था पता नहीं यह माँ के लगाए तिलक का असर था या कर्तव्य पूर्ण करने का सुकून था।
