प्रेरणा

प्रेरणा

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पवन एक अच्छी कद - काठी का छात्र था। वह भारतीय सेना में जाना चाहता था, इसलिए दिन - रात जी तोड़ मेहनत की थी उसने, वैसे पढ़ने - लिखने में भी वो बहुत होशियार था।

होनी को कौन टाल सकता है, एक दिन पवन सेना की भर्ती देख कर लौट रहा था। आगरा कैंट पर पानी की बोतल लेने ट्रेन से उतरा और चढते समय हड़बड़ी में वह ट्रेन की चपेट में आ गया जान तो बच गई पर अपना एक हाथ गवां बैठा। उसका सेना में जाने का सपना हमेशा - हमेशा के लिए खत्म हो गया।

पवन हॉस्पीटल के बैड पर लेटा - लेटा सोच रहा था, अब जी कर क्या करेगा कमरे की खिड़की से कूद कर इस संसार से मुक्ति ही लेलेता हूं, तभी सामने दोनों पैरों से पूर्ण दिव्यांग डा शर्मा उसको देखने कमरे में आ गये। बड़े प्यार से पवन के सिर पर हाथ फेरा और बोले - ' अब तुम ठीक हो, खतरे से बाहर हो, टेंशन मत करना। '

डा शर्मा पवन को देखकर दूसरे मरीज को देखने चले गये पर उनके पैर पवन को एक नया जीवन जीने की प्रेरणा दे गये।

पवन ने अपने दु:खी हृदय से खुदकशी का विचार हमेशा - हमेशा के लिए मिटा दिया और एक नई जिंदगी जीने के सपने देखने लगा।


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