प्रेमपत्र

प्रेमपत्र

2 mins
4.7K


प्रिय उज्ज्वल,

न चाहते हुए भी तुम्हें महसूस किए जा रही हूँ !

तुम्हें महसूस करते हुए मेरे एहसास तुम्हारी आत्मा में समा जाते हैं। या समझ लो कि अपनी अनुभूतियों में सहेजे हुए हूँ तुम्हें।

वर्षों पहले जब तुम्हारी पहली झलक मिली थी मुझे। मैं प्रार्थना में झुक गई थी। नतमस्तक थी तुम्हारी बौद्धिक संपदा पर। कितना सारा पढ़ लिए हो उज्ज्वल। अभी भी रोज पढ़ते-लिखते हो न। तुम्हारी बहुत याद आती है। जिसे पल भर भी न भूल सके हो उसे याद करते रहना भी सबसे अनोखा है। ऐसे याद करते रहने में खुद को भुला देना और भी सुखद है। खुद को ही भूलकर दुनिया से बेख़बर हो जाना तो आह… ईश्वरीय साक्षात्कार है न…!

सामाजिक बन्धनों में ही मेरी भावनाएँ प्रवाहित है। भावनाओं का यह मधुरिम सुवास अतीव सूक्ष्म है, तभी तो मर्यादाएँ इन्हें रोक नहीं सकती न !

तुम्हें तो फुरसत ही नहीं है न कि कभी मेरे बारे में भी कुछ सोच सको। जरूरत भी नहीं समझते होगे न ! उज्ज्वल…!

तुम्हारे साथ बिताए पल अनमोल रहे हैं, बहुत कीमती धरोहर हैं वे पल जिन्हें सिर्फ़ यादों में ही सहेजे हुए जिये जा रही हूँ।

एक बार भी तुमने कभी मुड़कर नहीं देखा। मैं अभी भी वहीं ठहरी हुई हूँ। इंतज़ार कर रही हूँ तुम्हारा, बस यही सोचकर कि बचपन में सुने थे दुनिया गोल है, तुम घूमते-घूमते एक दिन यहीं आ मिलोगे….!

जब मिलोगे न.. मिलते ही लिपट जाऊँगी तुमसे। तुम्हारे मन-मंदिर में यही चढ़ावा भेंट करूँगी। साँसों के सरगम वाली आरती और दिल की धड़कनों वाले बाजे बजेंगे।

इसी दिन की उम्मीद में हर साँस गुजरती है। विरह जीवन को बढ़ाता है और इंतज़ार में उम्मीदें दिखती है। मुफ़्त की साँसें भी कीमती हो गई है मेरी क्योंकि हर साँस में बस तुम्हारा नाम बसा है । आती हुई साँस तुम्हारे एहसासों का उपहार लेकर आती है और छूटती हुई साँस तुम्हें मुझमें बसा जाती है।

डबडबाई आँखों के आँसूओं की पहरेदारी में तुम्हें कोई देख नहीं पाता और मन पर चढ़े रंगों की लिपि भी कोई नहीं पढ़ पाता है।

मैं उज्ज्वल होती जा रही हूँ, तुम्हें जीते..महसूसते हुए…!

बहुत बदलती भी जा रही हूँ। मेरी तपस्या फलित हुई और नसीबों पर उम्र की झुर्रियां पड़ीं तो तुम्हारा संयोग लिख जाएगा… न !

जिंदगी के हल में बैल की तरह जुती रहती हूँ हाथों में सलवटें पड़ीं और तुम्हारी लकीर खिंच गई। तब तो मिल ही जाओगे न !

सारे जतन करती रहती हूँ मन में तुम्हें बसाए, तुम्हें ही पाने के लिए पगलाई फिरती हूँ। मेरी चाहतों की तासीर तुम्हें जरूर खींच लाएगी……!

तुम्हारे इंतज़ार में

तुम्हारी

प्रभा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama