प्रेम विवाह
प्रेम विवाह
क्या प्यार पाप है, ग़र नहीं तो प्यार के विरूद्ध क्यों और सबसे बड़ी बात गल्त तब है जब लड़की को ही दोषी माना जाता है, अगर हमारा लड़का प्रेम-विवाह करता है तो वो गल्त नहीं लेकिन जहाँ लड़की की बात आती है तो हम उसे गल्त करार देते हैं, समाज की दुहाई देते हैं ये भेदभाव क्यों
हमने जहाँ चाहा लड़की को उस खूँटे से बाँध दिया जैसे कोई भेड़-बकरी को बाँधता है क्या लड़की को अपना जीवन-साथी चुनने का अधिकार नहीं Love merrige *( प्रेम-विवाह)* के खि़लाफ तब होना चाहिए कि अगर बच्चे अर्थात लड़का - लड़की नाबालिग हैं या फिर उन्होंने कोई गल्त कदम उठाया हो मसलन शादी से पहले सम्बन्ध बनाऐं हों। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की भावनाओं को समझें, लड़का हो या लड़की उनके कदम के साथ कदम मिला कर चलें लेकिन अगर कहीं पर कोई कमी या कुछ गल्त नज़र आए तो बच्चो को समझाऐं।
जात-पात के भ्रम में ना रह कर हमें इन्सानियत देखनी चाहिए। इसी तरह मर्यादा में रहते हुए एक छोटी सी कहानी इस कविता की ज़ुबानी
हाँ बात है वो इक दिन की इक बेटी ने जब अपने पिता को इक पाती लिखी।
अजीब सी कशमकश है दिल मेंं कैसे कहूँ कह भी नहीं सकती, और कहे बिन रह भी नहीं सकती।।
बात जब इज़्ज़त की हो तो मोहब्बत को छोड़ना पड़ता है, अपनो की ख़ातिर अपना दिल अपने ही हाथों तोड़ना पड़ता है।
कैसे कहूँ बाबा से, क्या कुलछनी नही कहेगा भाई, माँ तो बेचारी साधेगी चुप्पी।
हालात ने ये किस मोड़ पे ला दिया। ना मरते है हम ना जीते है जिस राह पे हो जाने की मनाही ना जाने क्यो कदम उसी राह पर ही ले जाते है। या खुदा माफ़ कर देना मुझे अपनों के लिए मुझे जीना होगा, ग़र ना जी सकूँ प्यार बिना तो हँस कर ज़हर भी पीना होगा।
पढ़ कर बाबा ने इस पाती को दिया है जवाब।
कहते हैं बेटी पराई होती है, परायों को भी अपना करें, अपनों का मान बढ़ाऐ, अपनों की ख़ातिर खुद को कुरबान करे, जो मरते दम तक ख़त्म ना हो, बेटियाँ ऐसी कमाई होती हैं।
जुग-जुग जिए तु लाडली मेरी, तु मेरा गौरव है, अभिमान है, तु ही हमारे जीवन का अरमान है, हमारी साँसो की जान है, तेरी राह मे आने वाले हर काँटे को हम हटाऐंगे, तेरे नैनो में हम सतरँगी सपने सजाऐंगे सतरँगी सपने सजाऐंगे।
हमें तेरा साथ निभाना है, तुझे तेरी मँज़िल तक पहुँचाना है।
कुर्बान ऐसी बेटियों पर और सलाम है ऐसे समझने और समझाने वाले माँ- बाप को।