प्लेन उड़ाती लड़कियां
प्लेन उड़ाती लड़कियां
एयरोनॉटिकल शो।
किस्म किस्म के हवाई जहाज़ आसमान में करतब दिखाते उड़े जाते हैं। अधिकतर प्लेन लड़कियां उड़ा रही हैं।
"पापा, पापा... मैं भी प्लेन उड़ाऊंगी...।" एक छोटी बच्ची अपने पिता से ज़िद कर रही है।
लड़कियां आसमान में प्लेन उड़ा रही हैं। लड़कियां आसमान छू रही हैं। लड़कियों का आत्मविश्वास आसमान पर है और एक छोटी बच्ची अपने पिता से ज़िद कर रही है, "पापा, पापा... मैं भी प्लेन उड़ाऊंगी।"
"एक आवश्यक सूचना..." एक अनाउंसमेंट हो रहा है।
सब कुछ स्थिर हो गया है। उड़ते हुए हवाई जहाज आसमान में ही ठहर गए हैं। समय थम गया है और एक छोटी बच्ची अपने पिता से ज़िद कर रही है, "पापा, पापा... मैं भी प्लेन उड़ाऊंगी।"
"एक आवश्यक सूचना..." अनाउंसर की आवाज़ में निर्लज्जता है, "सभी लड़कियां अपने घर पहुँचें... उनके माता पिता उनका इंतजार कर रहे हैं। लड़कियां अपने घर पहुंचें... लड़के वाले उन्हें देखने घर आये हैं। लड़कियां अपने घर पहुंचें..."
वे प्लेन जिन्हें लड़कियां उड़ा रही हैं, एक एक करके ज़मीन पर गिरने लगे हैं; और एक छोटी बच्ची अपने पिता से ज़िद कर रही है, "पापा, पापा... मैं भी प्लेन उड़ाऊंगी।"
... "यह तो केवल एक दु:स्वप्न है।" मनोचिकित्सक कहता है।
"हां..." मैं कहता हूं, "लेकिन सपनों का स्रोत तो हमारा अपना परिवेश होता है न?"
मनोचिकित्सक लम्बी सांस खींचता है। पता नहीं वह किस सोच में है।