फॉर्म हाउस ( भाग 13 )
फॉर्म हाउस ( भाग 13 )
वीरेन्द्र के रुदन से अदालत का माहौल बहुत भावुक हो गया था मगर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि वीरेंद्र पवित्रा को लेकर फॉर्म हाउस पर क्या करने गया था ? एक बच्चे को हॉस्पिटल में अकेला छोड़कर जाने की हिम्मत कोई मां कैसे कर सकती है ? यह काम तो बहुत मजबूरी या फिर बहुत बड़े लालच में ही किया जा सकता है। वीरेन्द्र ने यह नहीं बताया था कि पवित्रा को वह फॉर्म हाउस पर क्यों लेकर गया था जबकि उसे पता था कि उस समय राज मलहोत्रा रिषिता के साथ फॉर्म हाउस पर मौज मस्ती कर रहा था। क्या वीरेन्द्र रिषिता को राज मलहोत्रा की सच्चाई बताना चाहता था ? पर वह ऐसा क्यों करेगा ? उसे इससे क्या फायदा होने वाला था ? वह बिना फायदे के कोई काम करने वाला नहीं था। फिर वह पवित्रा को क्यों लेकर गया ? हीरेन के मस्तिष्क में यही सवाल बार बार कौंध रहा था। उसने जज अनिला तिवारी से कहा
"योर ऑनर, वीरेन्द्र ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह पवित्रा को लेकर फॉर्म हाउस पर क्यों गया था ? जबकि पवित्रा का बेटा भारत हॉस्पिटल में भर्ती था। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति बच्चे को अकेले कैसे छोड़ सकता है?"
जज अनिला तिवारी ने भी इस तथ्य को बहुत गंभीर समझा और वीरेन्द्र को सही सही बात बताने के लिए कहा लेकिन वीरेन्द्र अपनी बात पर ही अड़ा रहा कि शराब लेकर जाने में हुई देरी के कारण राज मल्होत्रा के कोप से बचने के लिए पवित्रा को "ढाल" के रूप में इस्तेमाल करने के लिए ही वह ले गया था। पर यह तर्क किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा था। तब हीरेन ने कहना शुरू किया
"कहानी वह नहीं है जो यह वीरेन्द्र कह रहा है। कहानी कुछ और ही है जो मैं सुना रहा हूं। उस रात वीरेन्द्र की पत्नी का फोन भी आया था। इसकी पत्नी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले के एक गांव "कोथून" में रहती है। इसने अपनी जमीन वहां के एक सेठ के यहां गिरवी रखी हुई है। अब सेठ अपने पैसे मांग रहा है और नहीं देने की स्थिति में जमीन को नीलाम करने की धमकी दे रहा है। इसलिए उसने वीरेन्द्र से पैसे मांगे।
वीरेन्द्र के पास पैसे कहां से आते ? पैसों का स्रोत केवल राज मल्होत्रा ही था पर वह ऐसे कैसे दे देता पैसे ? इसलिए यह उसे ब्लैकमेल करने के लालच में पवित्रा को फॉर्म हाउस पर ले गया। पर वहां का माहौल एकदम से बदला हुआ देखकर इसने अपनी चाल बदल दी। फॉर्म हाउस की किचिन में रिषिता कॉफी बना रही थीं। राज अकेला लेटा था और आलमारी का लॉकर खुला पड़ा था। अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें ? वीरेन्द्र को सब कुछ मिल गया जब उसने नोटों की गड्डियों और गहनों को देखा था। इसलिए इसने राज मलहोत्रा का खून करके सारा रुपया पैसा वहां से ले आया और हजरतगंज स्थित अपने घर चला गया। बड़ी खूबसूरती से उसने इस वारदात को अंजाम दिया था और उसने सारा दोष रिषिता के मत्थे मढ़ दिया था। क्यों यही बात है ना" ? उसने वीरेन्द्र की आंखों में आंखें डालकर कहा।
लीना मल्होत्रा बहुत देर से चुपचाप खड़ी थी। उसने विरोध करते हुए कहा "मेरे काबिल दोस्त अदालत का ध्यान रिषिता से हटाकर कहीं और करना चाहते हैं जबकि यह पहले से पता है कि इस केस में आरोपी रिषिता है न कि वीरेंद्र और न पवित्रा। अत: मेरे विद्वान साथी केस को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं और अदालत को गुमराह करने का प्रयास भी कर रहे हैं। अब मुझे मुख्य आरोपी रिषिता से पूछताछ करने की अनुमति दीजिए मी लॉर्ड।"
"ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड ! इस केस में वीरेन्द्र और पवित्रा की भूमिका संदिग्ध है इसलिए पहले उनसे पूछताछ पूर्ण की जानी चाहिए फिर आप जैसा चाहे वैसा करें, हमें कोई ऐतराज नहीं है।"
"ऑब्जेक्शन सस्टेन्ड। पहले वीरेंद्र से जिरह हो जाने दीजिए, फिर आप रिषिता से जिरह कर लेना।" जज ने व्यवस्था दे दी।
वीरेन्द्र इसके लिए मना ही करता रहा और कहता रहा कि उसने राज की हत्या नहीं की है। पर हीरेन के पास कोई ठोस सबूत भी नहीं था। पवित्रा को भी विटनेस बॉक्स में बुलाया गया पर उससे भी कुछ हासिल नहीं हुआ। अभी तक प्रमाणित कुछ भी नहीं हुआ था। पहेली और भी उलझ गई थी। अंत में हीरेन ने कहा
"मी लॉर्ड, यह तो तय है कि नोटों से भरा बैग वीरेन्द्र और पवित्रा अपने घर लेकर गये थे। बाद में उसमें से दस लाख रुपए रिषिता के कमरे में रखे गये थे। न तो वीरेन्द्र और पवित्रा के मकान की तलाशी ली गई है और न ही रिषिता के कमरे से हाथों और पैरों के निशान लिये गये हैं। इन सबके मोबाइल की कॉल डिटेल्स व लोकेशन की रिपोर्ट भी चाहिए। पहले इन सब बिन्दुओं पर जांच होनी चाहिए इसके पश्चात ही केस में आगे सुनवाई की जानी चाहिए। सबसे बड़ी बात यह भी है कि राज मलहोत्रा का मोबाइल कहां गायब हो गया ? उसे रिषिता ने नष्ट किया है या वीरेन्द्र ने ? या वह किसी और ने नष्ट किया है ? इसकी भी जांच होनी चाहिए। यह भी जांच का विषय है कि रिषिता को कब और कहां से गिरफ्तार किया गया था ? वह वहां से वहां तक कैसे पहुंची और पुलिस उस तक कैसे पहुंची ? इन सबके उत्तर मिले बिना यह केस हल नहीं हो पाएगा मैम। अत: इन सबकी जांच होने के बाद ही असली कातिल तक पहुंचा जा सकता है , अभी नहीं। दैट्स ऑल मी लॉर्ड।"
अदालत ने इंस्पेक्टर आकाश को इन सब विषयों पर जांच कर रिपोर्ट एक माह में पेश करने का आदेश दे दिया और उस दिन की अदालत की कार्रवाई समाप्त हो गई।
शेष अगले भाग में
श्री हरि
क्रमशः
