पहली बार

पहली बार

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बालकनी में खड़ी बड़ी खुश थी। ठंडे छींटे उसके कोमल मुख से खिलवाड़ करते तो ताली बजाती


"मम्मा लेन"


अ अह्हा, दादी, बाबा बालिछ, लेन, वाओ


वह उछल उछल कर ताली बजा रही थी।

माँ ने चेहरे का पानी पोंछने की कोशिश की तो रोने लगी। बोली "मैं पापा जब आफिस से शाम को आएंगे तो मैं उनको बताऊंगी"


"लेन तो मेले फेछ के ऊपल भी आई थी"


नन्ही चुनमुन को आज तो जैैसे कोई खुशियों का खज़ाना मिल गया। चेहरे पर चमक, आँखों में कौतुक, होठों पर किलकारी, नन्हे पगों में ठुमक, प्यारी नन्हीं हथेलियों से उछलकर ताली बजाना।


उस दिन जितने भी परिचित घर आए और जितने फोन आए, सब पर चुनमुन ने बात जरूर की और सबको बता दिया कि घर आज रेन आई थी।


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