पहला प्यार

पहला प्यार

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एक ऐसी लड़की की कहानी- जिसके अरमानों की उड़ान तो इतनी ऊँची है कि उसकी दादी कहती कि ये एक दिन आसमान को भी छू के आयेगी। मगर नियती ने उसकी तक़दीर को बस जमीं से ही जोड़ के रखा है ।

सोनी नाम से ही सिर्फ सोनी नहीं है बल्कि उसका व्यवहार उसकी खूबसूरती उसकी दिली ख्वाहिशें ये सब उसके उसके नाम की तरह ही बहुत सोणे हैं। सोनी हमेशा से ही प्यार में विश्वास रखने वाली प्यार के जज्बात को समझने वाली एक बहुत प्यारी लड़की है।

वो अक्सर अपने ख्यालों में सपनों के राजकुमार के बारे में सोचती तो कभी बहुत खुश और कभी एकदम उदास हो जाती।

अपने पैरों से अपाहिज सोनी अपनी जिंदगी में बहुत ऊंचा उड़ना चाहती है, शेरो-शायरी का शौक रखने वाली सोनी दुनिया से अलग अपनी एक अलग ही दुनिया में जीती। और एक बार अचानक से उसकी गुमसुम सी प्यार की दुनिया में हलचल होने लगती है।

गुजरात शहर में कुछ वक्त के लिए रहने आई सोनी की नजर अपने घर के सामने ही के पड़ोसी लड़के से मिलती है, उसको देखते ही पहली नजर में ही सोनी उस लड़के को अपना दिल दे बैठती है।

सोनी की जिंदगी में ये पल कुछ ऐसे रूमानियत भरे होते हैं जिसमें वो खुद की हकीकत को भी भूल बैठी थी, उसको हर पहर कुछ याद होता है तो बस वो लड़का जिसको वो सामने से हर समय निहारती रहती चुपके से, मगर उसका नाम तक नही जान पाई थी।

वहीं पड़ोस में रहने वाली एक लड़की ( मिष्ठी) सोनी की सबसे अच्छी दोस्त बन गई थी, सोनी और मिष्ठी ज्यादा समय एक साथ ही रहते, दोनों घर के दरवाजे पर बैठकर साथ में खूब मस्ती करते बहुत सारी बातें करते, और वो लड़का भी इन ज्यादा समय इन दोनों की ओर ही देखता रहता, उस लड़के की आँखों में अजीब सी कशिश एक प्यार का नशा सा रहता था जब वो इन दोनों की ओर देखता। उस लड़के का ऐसा बिहेव देख सोनी और मिष्ठी एक दूसरे को चिढ़ा के बोलती कि देख वो तुझे लाइक करता है तभी तो वो दिन-रात बस इधर ही देखता रहता।

इन्हीं शरारतों और मस्तियों के बीच कई दिन गुजर गए और गुजरते दिनों के साथ सोनी के दिल में उस लड़के के लिए प्यार बढ़ता ही जाता है, वो बेचैन रहने लगी उस लड़के का नाम जानने के लिए और बस एक बार उस लड़के से बात करने के लिए सोनी हर रोज कुछ न कुछ आयडिया सोचती, मगर सोसायटी का डर उसे दूर किये होता है ।

सोनी अपनी फिलींग को मिष्ठी से शेयर करके उसकी हेल्प लेने की सोचती मगर कुछ समय से मिष्ठी को उस लड़के की ओर अट्रैक्ट होते देख सोनी बहुत परेशान हो जाती है, फिर भी वो अपना प्यार दिल में लिए बहुत शिद्दत से उसको चाहती है, लो लड़का जब भी सोनी की ओर देखता तो सोनी नजरें झुका लेती और अपनी बेबसी पर मायूस हो जाती। अपने इश्क और अपनी जिंदगी की बेबसी के कशमकश के बीच सोनी घुलती जा रही होती है, कि एक दिन वो लड़का मिष्ठी और सोनी के सामने अपना नम्बर चुपचाप से फेंक के चला जाता है।

सोनी ये देख बेहद खुश हो जाती है। सोनी अपने व्हाटसअप से उससे बात करती है, तो पता चलता है कि वो तो मिष्ठी को पसंद करता है और उसके लिए ही ये नंबर दिया है।

ये जानकर सोनी दिल ही दिल में टूट जाती है। तब उसको अहसास होता है कि उसने अपनी औकात से ज्यादा ही कुछ हसीन प्यार के सपने देख लिए हैं, जिस शख्स को वो अपना सब कुछ मान बैठी थी, उसको सिर्फ इसलिए नहीं पा सकती क्योंकि सोनी अपाहिज है। सोनी के प्यार भरे अरमानों में उसकी बेबसी ही जिंदगी भर का दर्द बन गई।

इस बेबसी के बीच भी सोनी के दिल में उसके लिए बेइंतेहा चाहत की वो शिद्दत थी कि प्रिंस ने सोनी को दोस्ती के लिए प्रपोज किया, सोनी न चाहते हुए भी इस दोस्ती को ठुकरा न सकी, प्यार न सही पर दोस्ती पाकर ही सोनी खुद को बहुत खुशनसीब समझने लगती है।

सोनी और प्रिंस जब भी बात करते तो मैटर बस मिष्ठी का ही रहता, एक दिन प्रिंस सोनी को बताता है कि मिष्ठी की लाइफ में कोई और लड़का भी है जिसको वो भुलाना नहीं चाहती है। इन सारी बातों से प्रिंस, मिष्ठी से दूर रहने लगा। सोनी और प्रिंस की दोस्ती बहुत ही अंडरस्टैंडिग और लविंग होती जा रही होती है, और इस प्यारी सी दोस्ती के बीच सोनी अब इश्क को नहीं लाना चाहती क्योंकि प्यार से बड़ा दोस्ती का रिश्ता होता है, प्यार में खोने का डर रहता है, मगर दोस्ती इन सबसे परे सबसे प्यारी होती है इसलिए सोनी, प्रिंस की दोस्ती के साथ ही जिंदगी भर उसके साथ रहना चाहती है। प्यार के नाम पर एक बार फिर से वो प्रिंस को खोना नहीं चाहती है, प्रिंस भी सोनी की दोस्ती पाकर बहुत खुश रहने लगता है, सोनी की शेरो-शायरी, उसकी समझदारी उसकी बातों ने एक जादू सा कर दिया था प्रिंस पर।

कहीं न कहीं प्रिंस सोनी के प्यार को महसूस करने लगता है, वो अक्सर सोनी से पूछता कि ये तुम्हारी इतनी प्यारी प्यारी शेरो-शायरी किसके नाम हैं, किस खुशनसीब शख्स के लिए तुम्हारे दिल में इतना सारा प्यार है जो हमेशा तुम्हारे लफ्जों में बयां होता है, प्रिंस के ये बातें सुनकर सोनी मुस्कुराते हुए बस इतना जवाब देती है कि मेरी तक़दीर में इतनी खुशनसीबी नहीं कि उसका प्यार पा सकूं, इसलिए.. मेरा प्यार मेरे ख्यालों से शुरू होकर मेरी शेरो-शायरी में ही सिमट जाता है।

सोनी के प्यार की गहराई वाली बातों में प्रिंस एकटक होकर बोलता है कि तुम प्यार को इतनी शिद्दत से समझने वाली इतना क्यूं नहीं समझती कि राधा-कृष्ण का निस्वार्थ प्रेम पूरी तरह से एक दूसरे को समर्पित है, बस जमाने की कुछ चंद रस्मों के बिना उनका प्यार अधूरा तो नहीं रह गया।

सोनी हमारा प्यार भी कुछ ऐसा ही है, हम दोनों एक-दूसरे के मन में बस चुके हैं और मुझसे ज्यादा तो तुम मुझे चाहती हो और इस चाहत का अहसास मुझे कब से होने लगा है, और अभी भी तुम अगर हमारे प्यार को सिर्फ इसलिए.. बंदिशों में रखोगी कि शायद हम कभी एक नहीं हो सकते, तो ये गलत होगा क्योंकि हम मन से एक हो चुके हैं। सोनी तुम जैसी भी हो बहुत प्यारी हो और मैं तुम्हारा प्यार खोना नहीं चाहता। जितना प्यार मैं मेरे मम्मी-पापा से करता हूँ उतना ही तुमसे भी और तुम दोनो में से किसी एक को चुनना मुमकिन नहीं मेरे लिए, सोनी तुम मेरा साथ दो तो मैं हमारे प्यार को मुकम्मल बनाने की कोशिश करूंगा, और अगर ऐसा नहीं कर पाया तो ये हमारे प्यार की हार नहीं बल्कि राधा-कृष्ण की तरह हम भी अपने प्यार को सारी जिंदगी बिना किसी शर्त के निभायेंगे।

प्रिंस की इन बातों में सोनी एक बार फिर से अपना दिल हार बैठती है, और उसको खोने व पाने की उम्मीद के पार अपने प्यार को अपने प्रिंस के नाम कर देती है सारी जिंदगी के लिए ।


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