पहला प्यार
पहला प्यार
अचानक एक शाम मैं छत के मुंडेर पर बैठी हुई थी।कुछ ख्याल में डूबी हुई थी तब अचानक मेरे फोन पर एक मेसेज आया. जिसमें लिखा था नाइस । देखा मैंने उसको लगा कि अनजान है तो क्यों बात करुँ इससे. कौन है, क्या है नहीं पता था मुझे, और भुल गई उसे।1 साल बाद फिर से उसी तरह एक मेसेज आया फोन पर और लिखा था नाइस। परन्तु इस बार पता नहीं क्यों उस अजनबी को थैंक्स बोलने को दिल ने कहा, फिर धीरे धीरे बातों की सिलसिला शुरू हो गयी थी। समय बीतता गया और बातें चलती गई, न कभी मैं उससे मिली थी और न कभी उससे देखी थी. फिर भी पता नहीं क्यों उस अजनबी से बातें करने को जी चाहता है. बातें 1साल के बाद की थी फिर भी न तो वह मुझे भुल पाया था और शायद मैं उसे. अब शायद यही प्यार था जो हमदोनों को हो तो गया था पर पता नहीं चल रहा था कि उस अजनबी मैं ऐसी क्या खासियत थी जो मैं उसकी ओर और वह मेरी ओर खींचा आ रहा था.
कहते हैं पहला प्यार हो तो सारा जहाँ खुबसूरत दिखने लगता हैै, चारों ओर बस सुहानी सी हवा चलती हैै. कोई गुुुुस्सा भी करे तो भी उसका बुरा नहीं लगता है. पर मेरा पहला प्यार तो बिनकहे और बिन देेेखने वाला था. हमदोनों बिनकहे एक दूसरे को समझ पाते थे. उसकी हर वह हरकत जो मुझे वह खुशियाँ देेेेने में लगा रहता है. उसका बातों बातों पर मुझे चिढ़ाना और फिर से मुुझे मनाना।आज यह सब बस एक सुहानी याद बनकर रह गई है. न तो कभी उससे मिलना हो पाया और न कभी बात हो पायेेगी.कहते हैं न कि पहला प्यार हमेशा अधूरा होता है.
कयोंकि प्यार शब्द का पहला अक्षर अधूरा होता है. बस इसी तरह आज भी अगर कोई अजनबी का मेेसेज आ जाता है तो तुम्हारी याद आ जाती है। पहला प्यार कभी भुलाए नहीं भुला जाता। हमेशा मन के एक कोने में एक मुकम्म्ल तस्वीर बन कर रह जाती है।