फीस
फीस


मनकू के सिर से खून बह रहा था। उसकी मां कमला उसे लेकर अस्पताल की सीढ़ियों पर बैठी हुई थी। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उधर उसका पति बीरू अस्पताल के अंदर अपने बच्चे की जान की भीख मांग रहा था।
“बस एक बार हमारे बच्चे को देख लीजिए। उसके सिर से बहुत खून बह रहा है। महरम पट्टी कर देंगे तो बहुत मेहरबानी होगी।” बीरू खड़ा हाथ जोड़ रहा था।
“देखिए बिना फीस के हम आपके बच्चे का इलाज नहीं कर सकते। यह हमारे हॉस्पिटल की पॉलिसी के खिलाफ है।” रिशेप्शन पर बैठी युवती ने कहा।
बीरू निराश होकर वापस जाने के लिए मुड़ा ही था कि सामने से डॉक्टर करुण आ गए। उन्होंने आते ही रिशेप्शन पर बैठी लड़की से पूछा- “आपने इस बच्चे का इलाज करने से मना किया था?” कमला मनकू को लेकर पीछे खड़ी थी।
“सर, इन्होंने फीस जमा नहीं की।” लड़की ने नजर झुका कर कहा।
“आप फीस मेरे नाम पर जमा कीजिये और बच्चे को मेरे केबिन में लेकर आइए।” डॉक्टर करुण ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकालते हुए कहा।
मनकू को डॉक्टर करुण के केबिन में ले जाया गया। वहां मनकू के सिर में दस टांके लगाए गए। बीरू ने उनका धन्यवाद करते हुए वहां से विदा ली और यह भी कहा कि जैसे ही उसके पास पैसे आ जाएंगे तो वह उन्हें पैसे लौटा देगा।