Dr Vidushi Sharma

Tragedy

2.9  

Dr Vidushi Sharma

Tragedy

फैसला

फैसला

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राखी अपने 5 वर्षीय पुत्र रवि के साथ बहुत खुश है मानो वही उसकी दुनिया है। वो इससे हटकर कुछ सोचना ही नहीं चाहती। अकेली रहती है शहर से दूर ,अपनों से ही दूर जहां उसकी नौकरी है। सभी ने अपने अपने लहजे में उसे बहुत समझाया कि जिंदगी अकेले नहीं कटती परंतु राखी ने सभी को उन्हीं की भाषा में हंस कर टाल दिया।

आज वह अपने एक दोस्त निखिल के साथ बाहर आई है। पिछले कई महीनों से निखिल उससे बात करना चाह रहा था। आज राखी ने भी वह राज़ उजाकर कर ही दिया कि उस रात उसने अपने आपको क्यों समर्पित किया कि अगले दिन राहुल ने जंग पर जाना था। कैसे ना समर्पित करती खुद को ? आखिर सच्चा प्रेम था और यदि उनका प्रेम पूर्णता को प्राप्त करे बिना ही राहुल को कुछ हो जाता तो कहाँ माफ कर पाती अपने आप को ? और फिर वही हुआ जिसका डर था। जंग में राहुल की मौत हो गई और उसी प्रेम को अपने आंचल में छुपाये राखी सबसे दूर यहां आकर जीवन व्यतीत करने लगी। उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। उसने बताया कि मैंने जो भी किया पूर्ण समर्पण के साथ किया।चाहे वो प्रेम हो या वैधव्य या इस जीवन को जो भी नाम आप देना चाहे।

इस तरह से राखी ने निखिल को नया जीवन शुरू करने से पहले अपने अतीत का परिचय देते हुए राहुल का फोटो भी सामने रखा और बताया कि उसने शादी नहीं की है। वह रवि की ब्याही मां है। यह कहकर राखी ने अपना सिर झुका लिया और रवि को खेलते हुए निहारने लगी और राहुल के जवाब का इंतजार करने लगी। निखिल राखी से यह कहना चाहता था कि उसे इस रिश्ते से कोई इनकार नहीं है और वो राखी को दोषी भी नहीं मानता और वह रवि को अपना नाम देना चाहता है परंतु विडंबना यह है कि जैसे ही निखिल ने उस फौजी की फोटो देखा जिसे मृत घोषित किया जा चुका था, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। यह कोई और नहीं बल्कि उसका भाई मोहन था जो अब अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ अपना जीवन हंसी खुशी बिता रहा था। अब निखिल क्या करें यदि राखी को अपनाता है तो एक न एक दिन उन दोनों का सामना अवश्य होगा और फिर ना जाने क्या-क्या टूटेगा, दो परिवार, बच्चों का, पत्नी का, प्रेमिका का विश्वास, धैर्य और भी ना जाने क्या-क्या।

भविष्य की कल्पना से निखिल सहम उठा और एक ही पल में उसने फैसला किया कि राखी ने खुद को समर्पित करके प्रेम का निर्वाह किया और वह खुद को राखी से दूर करके, उसकी नजरों में गिर कर, अपने प्रेम का निर्वाह करेगा तथा अपने परिवार को भी बचाएगा। 

बस यही सोचकर उसने राखी से कहा शायद तुम ने ठीक ही कहा था। मैं यह सब नहीं कर पाऊंगा।। माफ करना और यह कहकर निखिल भरी आंखों और भारी मन से तेज कदमों के बाहर चला गया की राखी को उसकी आँखों में आंसू दिखाई ना दे।

रवि ने पूछा "मम्मी अंकल कहां गए ?' तो राखी ने कहां "बेटे वह हमारे लिए नहीं आए थे, वह चले गए। तुम्हारे लिए मैं और मेरे लिए सिर्फ तुम और हम दोनों एक दूसरे के लिए हैं। बस किसी और की कोई जगह नहीं है हमारे बीच, ठीक है ना।" 

और राखी ने उसे सीने से लगा लिया ताकि अपने आंसुओं को छुपा सके।

ज़िन्दगी में कई फैसले ज़िन्दगी बदल देते हैं और ज़िन्दगी को बदलने के लिए, जीने के लिए कई फैसले बदलने पड़ते हैं।


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