B K Hema

Inspirational

4.8  

B K Hema

Inspirational

पाजिटिव

पाजिटिव

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राम जी दो दिन से निरंतर छींक रहे थे, खांस रहे थे, जु़काम से उनका हाल बेहाल हो गया था । उन्‍होंने सोचा कि ऐसे हाल में गरम गरम कॉफी मिले तो थोड़ी राहत मिलेगी । अपनी पत्‍नी सीता से गरम कॉफी की मॉंग की । सीता जी रसोई में काम कर रही थी तो कहा "सुबह से दो-तीन बार दे चुकी हॅूं, फिर से पूछ रहे हैं, आप क्‍या समझते हैं, मुझे और कोई काम नहीं है, राकेश को काम पर जाना है, पिंकी को किसी काम पर बाहर जाना है, उनके लिए नाश्‍ता बनाना है, कुछ देर रुकिए, बच्‍चों के निकलने के बाद आपको जो चाहे बनाकर दॅूंगी ।" इस तरह थोड़े गुस्‍से में ही जवाब दिया । राम जी "हॅुं ! हम जब ऑफीस जाते हैं, हमारे लिए वैल्‍यू रहता है, रिटायर होने के बाद कोई पूछते ही नहीं है । हमारी हेल्‍थ बिगडने पर तो और भी सस्‍ते हो जाते हैं" इस तरह मन ही मन मसोसकर रह गये । कुछ देर बाद राकेश काम के लिए निकला तो सीता जी उसे लंच बॉक्‍स पकड़ाते हुए मास्‍क पहनकर जाने और पिछले दिन राम जी को जो लैब टेस्‍ट करवाया था, उसका रिपोर्ट लेकर आने की याद दिलायी । बाद में रसोई में काम करते करते राम जी को कॉफी देना भूल गयी । राम जी भी अब तक अपने रूम में सो गये थे । 

   राकेश ऑफीस जाने के लिए बस स्‍टॉप पर पहॅुंचा तो वहॉं पड़ोस के राजेश को देखा ।  तभी उसका दोस्‍त किशोर का फोन आया । वह किशोर से बात करने लगा – "हाय किशोर, कैसे हो ? ............. क्‍या, ठीक से सुनाई नहीं दे रहा है, मास्‍क पहनकर बात करने का यही प्राब्‍लम है, रुको, मास्‍क निकालके बात करता हॅूं, सुनाई देगा । ........... हॉं यार, पापा की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए थोड़ी सी देर हो गयी .............. ज़ुकाम और सर्दी है, खांस रहे हैं, ................... । हॉं, पाजि़टिव ..............., नहीं, यह बात पापा को मालूम नहीं है, पता चलने पर बेकार में टेंशन कर लेते हैं, चिंता करने लगते हैं, इसलिए सब कुछ ठीक होने के बाद बताने के लिए सोच रहा हॅूं । हॉं, मेरी बस आ गयी, मैं तुम्‍हें बाद में फोन करूँगा" कहते हुए राकेश बस में चढ़कर चला गया । राजेश यह सब सुनकर घबरा गया और अपने पापा को फोन करके बता दिया । 

   थोड़ी देर बाद राम जी की बेटी पिंकी भी किसी काम से बाहर जाने के लिए निकली । बाहर राजेश की मॉं कमला जी से मुलाकात हुई । कमला जी के साथ कुशल समाचार की बात हो ही रही थी कि उसकी सहेली का फोन आ गया । वह उसके साथ बात करने लगी । "हॉं रेखा, बोलो कैसी हो, कितने दिन के बाद फोन किया है तुमने, ................... हॉं, हम सब ठीक है, बस पापा की तबीयत थोड़ी सी खराब है, कल से छींकना, खांसना चल रहा है । ............... क्‍या बोली, ठीक से सुनाई नहीं दे रहा है, रुको, थोड़ा ये मास्‍क हटा दॅूं तो सुनाई देगा" बोलते हुए वह मास्‍क हटा दी । " अब सुनाई देगा, बोलो क्‍या हाल है, .................. हॉं, टेस्‍ट हो गया है, रिज़ल्‍ट भी पॉंजि़टिव आने की पूरी उम्‍मीद है, लेकिन अभी हमने किसी को नहीं बतायी है, रिज़ल्‍ट आने के बाद ही बता देंगे । चलो, तुम्‍हारी बात बताओ, ......... ।" इस तरह वह उसके साथ बात करते हुए वहॉं से निकल गयी । यह सब बातें सुनकर कमला जी घबरा गयी । 

   कमला जी तुरंत अंदर जाकर अपने पति श्‍याम जी से कहने लगी "सुना आपने, पड़ोस के राम भैया को कोरोना पॉजि़टिव हो गया है ।" श्‍याम जी पूछे "अरे तुम्‍हें किसने बताया ?" कमला जी बोली "कोई कौन बतायेगा, मैं अपने कानों से खुद सुना है, अभी अभी पिंकी अपनी सहेली से बता रही थी, सब चोर हैं, घर में एक को कोरोना हो गया है, लेकिन ये लोग बिना किसी को बताये आराम से बाहर घूम रहे हैं, क्‍या पता, कल इनको भी हो जाये और इनसे हमें भी फैले तो क्‍या करें, और आप तो रोज़ एक-एक घंटा उनके घर जाकर उनके नज़दीक बैठकर बातें करके आते हैं, कल भी गये थे, क्‍यों आपको मालूम नहीं हुआ क्‍या ? हाय राम, कहीं आपको भी कुछ हो जाये तो मैं क्‍या करूँ, भगवान से अभी मन्‍नत करूँ कि आपको कुछ न हो जाए" रोते हुए अंदर चली गयी ।

   श्‍याम जी को अब चिंता होने लगी । क्‍योंकि सुबह उनका बेटा राजेश भी यही बात कही थी, लेकिन श्‍याम जी उस पर ज्‍यादा गौर नहीं किये थे । जब कमला भी यही बोली तो उनसे न रहा गया । वे राम जी को फोन लगाये "राम जी आप कैसे हैं, हॉं सुना है, आपकी तबीयत ठीक नहीं है, आप चिंता मत कीजिए, हम सब आपके साथ हैं । फिर भी आप शुरू में ही अस्‍पताल में एडमिट हो जाए तो अच्‍छा होगा, क्‍योंकि बाद में बेड नहीं मिले तो मुश्किल हो जाएगा । मेरा भांजा संतोष अस्‍पताल में काम करता है, यदि आप कहे तो मैं अभी उनसे बात करके आपके लिए बेड रिज़र्व करने के लिए बता दॅूंगा ।" इसे सुनकर राम जी को आश्‍चर्य हुआ और वे पूछे "अरे श्‍याम जी, मुझे क्‍या हो गया है, मुझे क्‍यों अस्‍पताल में एडमिट होना है, हॉं थोड़ा सा ज़ुकाम और सर्दी है, इसके अलावा और कुछ नहीं ।" श्‍याम जी बोले "अरे राम जी, ये कोरोना जो है, वह सर्दी, ज़ुकाम से ही शुरू होता है । लगता है, आपके बच्‍चे आपसे नहीं बोले हैं, लेकिन राजेश और कमला आपके बच्‍चों द्वारा अपने दोस्‍तों को ये बात बताते हुए सुना है । ऐसी बातें छिपाने की नहीं है, क्‍योंकि कल बात का बतंगड़ हो जाए तो, …. इसलिए अच्‍छा है कि आप अभी से अस्‍पताल में भर्ती हो जाओ, ताकि आपको अच्‍छा ट्रीटमेंट मिलें और स्‍वस्‍थ हो जाएं । आपको तो हम जैसे पड़ोसियों के बारे में भी सोचना हैं, न, क्‍योंकि हम भी बूढ़े हैं और कमज़ोर भी है ।" इस तरह उन पर फब्‍ती कसते हुए कहा ।

   राम जी को लगा हो, सकता है उनको कोरोना हो गया हो, इसीलिए घरवाले उनके पास नहीं आ रहे हैं और उनकी पत्‍नी भी सुबह कॉफी पूछने पर गुस्‍सा कर दी और अब तक दिया भी नहीं । इस बात से वे डर गये । इसके बाद वे कमरे से बाहर ही नहीं निकलें और सीता जी को भी अपने कमरे के अंदर आने नहीं दिया । यहॉं तक कि खाने के लिए भी बाहर नहीं आये और सीता जी से बात तक नहीं की । कुछ कागज़ पत्र ढूँढे और सभी को एक बैग में रखा । यह सब देखकर सीता जी को चिंता होने लगी । उन्‍होंने राम जी से पूछा "आप क्‍या कर रहे हैं, कौनसा कागज़ पत्र ढॅूंढ रहे हैं और क्‍यों ? जब अपनी तबीयत ठीक नहीं है तो विश्राम लेना चाहिए, बेकार का काम क्‍यों कर रहे हैं ?" इस पर राम जी ने केवल इतना ही कहा कि "तुम्‍हें यह सब मालूम नहीं होता है, आज ही मुझे ये सब राकेश को सौंपना चाहिए और उसे मेरे बैंक एकाउंट, नकद आदि का लेखा-जोखा देना है, पता नहीं कल क्‍या होगा । यदि मुझे कुछ हो जाए तो उसे ये सब ढॅूंढने में मुश्किल होगी ।" ऐसी बातें सुनकर सीता जी की होश उड़ गयी । "ये आप क्‍या कह रहे हैं, आपको क्‍या हो गया हैं ? क्‍यों ऐसी बातें कर रहे हैं ?" कहते हुए रोने लगी । लेकिन राम जी कुछ कहे बिना अपना काम करते जा रहे  थे । 

   शाम को जब राकेश ऑफीस से आया तो देखा मॉं रो रही है और पिताजी अपने कमरे को बंद करके बैठे हैं । उसने मॉं से पूछा तो मॉं रोती हुई बोली "देखो तुम्‍हारे पापा उल्‍टी सीधी बातें कर रहे हैं, सुबह से अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकलें, खाना तक नहीं खाये, पूछने पर तुम्‍हें घर के कागज़ पत्र और अपने बैंक एकाउंट आदि सौंपने की बात कर रहे हैं ।" राकेश कमरे के पास जाकर उन्‍हें बुलाया । पिंकी भी आ गयी और वो भी अपने पापा को बुलायी । राम जी बाहर आये और राकेश और पिंकी को मास्‍क पहनकर आने और थोड़ी दूर पर ही खड़े रहने के लिए बोले । राकेश को अजीब लगा, लेकिन वह अपने पापा का आदेश माना । राम जी उसे घर के कागज़ पत्र और अपने बैंक एकाउंट के पासबुक और एल आई सी जैसे कुछ महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज़ों का बैग पकड़ाते हुए कहा "देखो राकेश, इसमें सभी महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज हैं, जिन्‍हें तुम हिफाज़त से अपने पास रखना, मैं तो पिंकी की शादी धामधूम से करना चाहता था, लेकिन मेरी नसीब में यह लिखा नहीं है, हॉं तुम उसकी शादी अच्‍छे घरवाले से करना । तुम्‍हारी मॉं का अच्‍छा खयाल रखना, वो हमारे परिवार के लिए बहुत त्‍याग कर चुकी है । आगे इसके देखभाल की जिम्‍मेदारी तुम पर है ।" यह सुनकर बच्‍चों को कुछ समझा में नहीं आया और दोनों चिल्‍लाये "पापा आपको क्‍या हो गया है ? आप क्‍यों ऐसी बातें कर रहे हैं ?।" सीता जी तो और जोर से रोने लगी । राम जी धीरे धीरे बोले "देखो बेटा, यदि आप मुझे सीधे नहीं बताया हो तो क्‍या, पता चला कि मुझे कोरोना पॉजि़टिव हो गया है, इसलिए तुम लोग सुबह बाहर जाते समय मुझे विदा करने नहीं आये, तुम्‍हारी मॉं भी मेरे कमरे के पास नहीं आयी, और मुझे कॉफी तक नहीं दे पायी । इसे छोडो, मैंने जो कहा, वो सब याद रखना, अब इस खानदान को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी तुम लोगों पर हैं । मुझे कुछ हो जाए तो मेरी बॉडी भी नहीं देंगे न ?" राकेश और पिंकी को अजीब लगा राकेश ने पूछा "पापा आपको किसने बताया कि आपको कोरोना पॉजि़टिव हो गया है ? परसों आप बाज़ार से लौटते समय ज़ोर से बारिश हो रही थी और आप बारिश में पूरी तरह तरबतर होकर आये थे, इसलिए आपको सर्दी और ज़ुकाम हुआ है ।" इस पर राम जी बोले "तुम लोग जब अपने दोस्‍तों को बता रहे थे, तो राजेश और कमला जी ने सुन लिया है और श्‍याम जी से कहा है । श्‍याम जी मुझे बताये ।" 

   राकेश और पिंकी सोचने लगे कि वे कब अपने दोस्‍तों को ये बात कही । कुछ पल सोचने के बाद राकेश को माजरा समझ में आया । वह हँसते हुए बोला "पापा, सुबह जब मैं ऑफिस जा रहा था तो राजेश भी बस स्‍टाप में खड़ा था । उसके साथ बात करते समय मेरा दोस्‍त किशोर का फोन आया । किशोर आप लोगों के बारे में पूछा तो मैंने आपको ज़ुकाम होने की बात कही । मैंने उनसे कहीं से ओ ग्रूप ब्‍लड की व्‍यवस्‍थ करने के लिए बताया था, तो वह पॉजि़टिव या नेगेटिव पूछा और मैंने कहा पॉजि़टिव । पापा, जानकी बुआ का बेटा रामू को दो दिन पहले एक्सिडेंट हो गया है और वह अस्‍पताल में है । यह बात मैंने आपसे नहीं कहा था । किशोर ने पूछा कि रामू को जो एक्सिडेंट हुआ है, इसके बारे में आपको मालूम है या नहीं, तो मैंने कहा, नहीं, इसके बारे में आपको मालूम नहीं है, क्‍योंकि आपसे कहने पर आप बेकार में टेंशन लेते हैं, इसलिए सब कुछ ठीक होने के बाद आपसे कहॅूंगा करके बोल दिया । किशोर के साथ यही बातें हो रही थी और इतने में मेरी बस आयी और मैं चला गया । हॉं, मेरी तरफ से एक गलती हो गयी कि किशोर को ठीक से नहीं सुनाई दे रहा था तो मैं मास्‍क निकालके बातें की । राजेश को किशोर की बातें सुनाई नहीं दिया, उसने केवल मेरी बात सुनकर गलत समझ गया होगा कि आपको कोरोना पॉजि़टिव हो गया है ।" 

   पिंकी भी हँसने लगी और बोली "मॉं सुबह जब मैं बाहर गयी तो कमला ऑंटी मिलीं, उनसे बात करते समय रेखा ने फोन किया । वो भी आप लोगों के बारे में पूछ रही थी तो मैंने पापा की तबीयत ठीक नहीं होने के बारे में बोली, इतने में वह पिछले महीने मैं ने जो सीमन्‍स कंपनी में जॉब के लिए एप्‍लै किया था, उसके बारे में पूछी तो मैं उसको "वहॉं टेस्‍ट हो गया है और रिज़ल्‍ट भी पॉजि़टिव आने की पूरी उम्‍मीद है, लेकिन अभी हमने इसके बारे में किसी को नहीं बताया है, रिज़ल्‍ट आने के बाद बताने के लिए सोचा है" बता रही थी । शायद कमला ऑंटी इसे गलत समझ लिया होगा, वे सोची होंगी कि पापा का टेस्‍ट करवाया है और कोरोना पॉजि़टिव हो सकता है । पर मॉं, मुझसे भी गलती हो गयी, मैंने भी उसे ठीक से नहीं सुनायी दे रही थी करके मास्‍क निकालके बात कर रही थी । ऑंटी तो इससे भी डर गयी होंगी ।" 

   सीता जी को भी याद आया कि जब सुबह वह कमला के घर कुछ पूछने गयी थी तो बिना इससे बात किये वह दरवाज़ा बंद कर दी थी । पड़ोसन के यहॉं ही तो जा रही हॅूं न, ऐसा सोचके सीता जी भी मास्‍क नहीं पहनी थी । यह सुनकर सभी को थोड़ी तसल्‍ली तो मिली लेकिन पिछले दिन इसी कारण से राम जी का जो टेस्‍ट करवाया था, उसका भी रिज़ल्‍ट बाकी था । सब इसे सोचकर फिर से परेशान हो गये । तभी राकेश के फोन पर एक मेसेज आया । वह देखा तो खुशी से बोला "पापा और मॉं, आप लोगों को डरने की कोई बात नहीं, पापा का कोरोना टेस्‍ट नेगटिव निकला है, अभी अभी मेरे फोन पर मेसेज आया है ।" सभी को राहत मिली, मॉं और पापा का चेहरा खिल उठा । इसी बीच एक और मुसीबत थी कि श्‍याम जी चुप बैठने वाले नहीं थे, वे राम जी को कोरोना होने का समाचार पूरे मोहल्‍ले में फैलाने वाले थे । इसे रोकना ज़रूरी था, अत: राम जी बोले "अभी से मुझे यह खबर सबसे पहले श्‍याम जी को देना है, नहीं तो हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा" कहते हुए फोन उठाये । 

   राकेश ने बोला "पापा, अंकल से इसे बताने के साथ यह भी कहना कि किसी के बारे में कोई खबर फैलाने से पहले उसकी सच्‍चाई का पता लगा लें, नहीं तो अनर्थ हो सकता  है । हॉं हमारी भी गलती थी कि मैं और पिंकी मास्‍क निकाल कर बात किये और मॉं तो बिना मास्‍क पहने उनके घर गयी थीं और हम लोग बाहर सार्वजनिक स्‍थलों में हमारे मोबाइल पर जोर-जोर से बातें कीं, जिससे सुननेवाले कुछ गलत समझ लिये, ये सब हमारे लिए भी एक सबक है । आगे हमें भी ये सब ध्‍यान में रखना चाहिए ।" सभी इस पर हामी भरे और आगे ऐसा होने का मौका नहीं देने का संकल्‍प किया ।

   दोस्‍तों, यह कहानी सबके लिए एक सीख है । जब परिस्थिति ऐसी है तो हमें भी अपनी तरह से पूरा सावधान रहना पड़ता है । हम कोरोना नियंत्रण की जिम्‍मेदारी पूरी तरह सरकार पर डालकर अपनी जिम्‍मेदारी भूल जाते हैं, जो गलत है । सबसे पहले हमें किसी भी परिस्थिति में मास्‍क पहने बिना बाहर घूमना नहीं चाहिए । दूसरा, सार्वजनिक स्‍थलों पर जब मोबाइल में बात करनी हो तो धीमी स्‍वर में बात करनी है, ऊँची आवाज़ में बात करने से सुननेवालों को डिस्‍टर्ब होती है और हमारी बातों से गलतफहमी भी हो सकती है । तीसरा, अन्‍य लोगों के बारे में कुछ भी बोलने से पहले सावधानी बरतना बहुत ही ज़रूरी है क्‍योंकि जैसे कहा जाता है कि प्रत्‍यक्ष रूप से देखने पर भी कभी कभी वह समाचार झूठ निकल सकता है, क्‍योंकि जब तक हम उसके पीछे का आशय नहीं समझते हैं, तब तक उसके बारे में मनमानी बात करना गलत होती है और इससे अनावश्‍यक परेशानियॉं हो सकतीं है और किसी का तेजोवध भी हो सकता है । जब समाज में सभी लोग अपनी जिम्‍मेदारी समझते हुए सहयोग के साथ जीएंगे तो 'सबके साथ सबका विकास' आसानी से हासिल कर सकते हैं ।


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