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Sudhir Srivastava

Inspirational Others

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Sudhir Srivastava

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नयी दिशा

नयी दिशा

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         रीमा की शादी को चार वर्ष बीत गये, परंतु उसके पति संजय को लाख प्रयासों के बाद भी नौकरी नहीं मिली। घर की माली हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। उसका धैर्य बिखर रहा था।

     आज फिर उसनें संजय को समझाया कि इस तरह उम्मीदों के सहारे बैठे रहने से तो हम भूखे मर जायेंगे। आप ऐसा कीजिये। सड़क किनारे किसी पेड़ के नीचे चाय की दुकान खोलिए। कुछ आमदनी हो जायेगी। तैयारी भी करते रहिए। भाग्य में होगा तो जरूर सब ठीक हो जायेगा।

      संजय न नुकुर करते हुए रीमा की बात मान गया ।

  थोड़े दिनों में ही दुकान अच्छी आय देने लगी, उसने दुकान किराए पर ले लिया। पति पत्नी दोनों दुकान में लगे रहते।

     संजय अपनी परीक्षाओं की तैयारियां भी करता रहा और दो साल बाद उसे क्लर्क की नौकरी मिल गयी। वो दुकान बंद करना चाहता था, परंतु रीमा ने भविष्य की खातिर ऐसा करने से रोक दिया। क्योंकि आज इसी दुकान की बदौलत उनके जीवन को नयी दिशा मिली थी।

  अब रीमा ने पूरी तरह दुकान संभाल लिया था। संजय भी आफिस से आकर उसका हाथ बँटाता।

  दोनों बहुत खुश थे कि उन्हें एक नहीं दो दो दिशा मिल गयी। अब वे भविष्य को लेकर चिंता नहीं नये सपने बुन रहे थे।



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