नरक पालिका चुनाव
नरक पालिका चुनाव
आज मौहल्ले में नेताजी का आना हुआ। नर्क पालिका के चुनाव जो थे। वैसे हमारे नेताजी समय के बड़े पाबंद थे। प्रत्येक कार्य को उसके सही समय पर ही करते थे, इसिलए चुनाव आते ही लोगों के घर-घर तक जाने लगे। इससे पहले वे कभी भी दिखाई नही दिए थे। खैर चुनाव प्रचार काफी जोर-शोर से चल रहा था। नेताजी का एक चमचा लाउड-स्पीकर पर दहाड़े मार-मार कर चिल्ला रहा था-
“नरक पालिका क्षेत्र यमपुरी के वार्ड संख्या ढिंकाना से सबसे घटियाँ, धूर्त, कामचोर,जन-जन के विद्वेषी , विरोधी एवम् आँखों के कांटे और झगड़ालू, कांफ्रेंस दल के उम्मीदवार नेता कालीचरण यमराज को अपना फर्जी वोट देकर विजयी बनावे। चुनाव चिह्न ‘दारू की बाटली’।”
नेताजी ने नरक-पार्षद बनने की पूरी तैयारी कर ली थी। अपने चुनाव चिह्न के प्रचार के लिए वे स्वयं ही घर-घर जाकर पम्पलेट की जगह अपना चुनाव-चिह्न बाँट रहे थे यानी शराब की बोतल बाँट रहे थे। लोग उनके इस पुण्य कार्य की काफी सराहना कर रहे थे एवम् उनका सहयोग भी कर रहे थे। आखिर लोगों ने ऐसा उत्साही, मेहनती एवम् सेवाभावी व्यक्ति आज तक नही देखा था।
नेताजी का प्रत्येक व्यक्ति से वादा था की अगर वे नरक-पार्षद बन गए तो हर घर के नल में पानी नही आएगा बल्कि शराब आएगी। ताकि प्रत्येक वोटर को शराब के लिए जन्नत (शराब की दुकान) के चक्कर न कांटने पड़े। जब भी तलब लगी नल शुरू किया और प्यास बुझा ली।
इस प्रकार नेताजी का इरादा प्रत्येक घर को जन्नत (स्वर्गलोक) बनाने का था और प्रत्येक घर के वासी को जन्नत वासी (स्वर्गवासी) ।
