नज़रिया...
नज़रिया...


समय के साथ, लोगों का नज़रिया बदल जाता है। लोग, अपने जरूरत के हिसाब से आपको देखते हैं।
किसी के लिए आप तब तक अच्छे है, जब तक आप उनके जरुरत की वस्तु हो, जी हां, आपने ठीक ही सुना है। 'वस्तु,'
ऐसे लोगों के लिए, महज आप एक वस्तु ही तो हैं, जिसका उपयोग कैसे करना है उनको भली भांति पता है। और वो आपका फायदा उठाने से कहीं नहीं चूकते।