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Lokeshwari Kashyap

Action Inspirational

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Lokeshwari Kashyap

Action Inspirational

निश्चय

निश्चय

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महिमा जब शादी होकर ससुराल आई। उसकी मुंह दिखाई हुई। सब उसकी सुंदरता और रूप की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। सबकी जुबान पर एक ही बात थी। बहु तो चांद सी है। चांद के जैसा इसका मुखड़ा गोल है। चांद के जैसे चमकता चेहरा है। चांद से मुखड़े को किसी की नजर ना लगे। महिमा इतनी प्रशंसा सुनकर फूली नहीं समा रही थी।


राकेश अपनी पत्नी की सुंदरता पर रात दिन मंत्रमुग्ध रहता था।

 महिमा ने एक बहू की अपनी सारी जिम्मेदारियां धीरे-धीरे संभाल लिया था। राकेश और महिमा के दो सुंदर सुंदर प्यारे बच्चे थे। सास ससुर ननद सभी महिमा से बहुत प्रसन्न रहते थे। महिमा भी जी जान से पूरी कोशिश करती थी कि उसके परिवार में सब उससे प्रसन्न रहें उसके परिवार में प्रेम बना रहे। ननद की जब शादी हुई तब महिमा ननद रश्मि पर भारी पड़ रही थी। महिमा की सुंदरता सजी-धजी रश्मि पर भारी पड़ रही थी। राकेश ने महिमा से हंसते हुए कह भी दिया चलो हम भी इसी मंडप पर दूसरी शादी कर लेते हैं। राकेश अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर महिमा फूली नहीं समाती थी।


 धीरे-धीरे दोनों बच्चे बड़े होने लगे। अब वे स्कूल जाने लगे थे। समय पंख पसारे उड़ता जा रहा था। दोनों बच्चे अब मिडिल स्कूल में पढ़ने लगे थे। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।


 आज महिमा कपड़े खरीदने बाजार गई थी। बाजार में कपड़ों का एक नया शोरूम खुला था। महिमा की पड़ोसन उस शोरूम की बहुत तारीफ कर रही थी। महिमा ने सोचा क्यों ना इसी शोरूम से सभी के कपड़े खरीदे जाएं। वह कपड़े खरीद रही थी कि उसे शीशे में राकेश नजर आया। उसके साथ एक लड़की थी। उन लोगों ने कपड़े पैक करवाएं और वहां से चले गए। राकेश ने महिमा को नहीं देखा किंतु महिमा ने उसे देख लिया था। महिमा राकेश को आवाज लगाई थी इससे पहले ही राकेश और वह लड़की वहां से चले गए थे।


 महिमा दिन भर सोचती रही वह लड़की कौन है ? राकेश उसके साथ शोरूम में कपड़े खरीदने क्यों आए थे ? उसके मन में हलचल मच गई थी पर उसने राकेश से कुछ भी नहीं नहीं कहा। मैं पिछले कुछ समय से राकेश के व्यवहार में परिवर्तन देख रही थी पर उसे ऐसी किसी बातों का जरा भी माल नहीं था। राकेश का महिमा से अब कुछ खींचा खींचा रहना समझ नहीं आता था पर इसका कारण क्या है वह समझ नहीं पा रही थी। पर अब उसे बातें कुछ कुछ समझ में आने लगी थी। पर महिमा ने अभी इस बारे में कुछ कहना उचित नहीं समझा।

 मुझे लगा शायद वह जो सोच रही है वह उसका पाप हो वह उसका भ्रम हो।


 आज 2 दिन हो गए थे। महिमा राकेश से पूछना चाहती थी कि वह लड़की कौन थी? लेकिन वह कैसे पूछे उसे समझ नहीं आ रहा था। आखिर उसने पूछ लिया। राकेश तुम्हारे साथ वह लड़की कौन थी? जिसके साथ तुम 2 दिन पहले शोरूम में कपड़े खरीदने गए थे ? राकेश अचानक ऐसे किसी प्रश्न के लिए तैयार नहीं था वह हड़बड़ा गया। हर बढ़ाकर बोला " कौन लड़की? कौन सा शोरूम? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम क्या कह रही हो? "। "वही लड़की जूनेली सलवार कमीज पहने हुई थी और जिसके साथ तुम कपड़े खरीदने गए थे बाजार में वह जो नया कपड़ों का शोरूम खुला है वहां गए थे तुम उस लड़की के साथ।" " क्या बकवास कर रही हो? तूम मुझ पर ऐसे कैसे इल्जाम लगा सकती हो? " राकेश चिल्लाते हुए बोला।


 मां बाबूजी भी दोनों की बहस सुनकर उनके पास आज आए थे। " क्या हुआ राकेश क्या हुआ महिमा तुम दोनों ऐसे चिल्ला क्यों रहे हो? मां ने पूछा। महिमा ने रोते-रोते उस दिन और आज की पूरी घटना मां बाबूजी को बता दी। बाबूजी " मैया क्या सुन रहा हूं राकेश। मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।" राकेश ने बाबूजी से कुछ नहीं कहा पर वह पैर पटकते हुए अपने कमरे में चला गया।

 कुछ दिनों तक महिमा और राकेश के बीच काफी अनुभव और तनातनी रही।


 आज महिमा अपने बाल संवार रही थी तब महिमा ने गौर किया। उसका चेहरा काफी डल लग रहा था। महिमा का माथा ठनका। उसने अपने मोबाइल से एक सेल्फी ली। उसने अपनी पुरानी फोटो और आपकी फोटो का मैच किया। उसने साफ अंतर महसूस किया। महिमा थोड़ी सी आंखें बंद करके सोचती रही। वह राकेश से बहुत प्यार करती थी और वह हर संभव प्रयास करना चाहती थी जिससे राकेश उससे दूर ना जाए। उसने मन में कुछ निश्चय किया और वह पार्लर के लिए चल पड़ी।

 लेकिन उसके मन में बहुत सारे प्रश्न थे। आज वह जिंदगी में पहली बार पार्लर जाने के लिए निकली है।....



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