शांति का अनुभव
शांति का अनुभव
अनु अपनी बेटी के साथ जल्दी-जल्दी बस में चढ़ी l बस बहुत भीड़ थी। बैठने के लिए सीट ना मिली। मधु अपनी बेटी को अपने करीब चिपका कर खड़ी हो गई। अगले स्टेशन पर बस कुछ खाली हुई, तो मधु और उसकी बेटी को सीट मिल गई। दोनों बैठ गए और बहुत खुश हुए। बस कुछ ही दूर चली थी। इतने में कंडक्टर आ गया। मधु ने अपना और अपनी बेटी का टिकट ले लिया l कंडक्टर आगे बढ़ गया। थोड़ी देर के बाद अनु ने देखा कि कंडक्टर एक बूढ़े वृद्ध व्यक्ति को डपट रहा था। तुम लोगों का यही रोज का काम है। पैसे वैसे रहते नहीं है मुफ्त में आ जाते हैं सवारी करने। बूढ़ा व्यक्ति हाथ जोड़े उसके सामने गिड़गिड़ा रहा था। बेटा ले चलो मेरी पत्नी बहुत बीमार है वह घर में मेरा इंतजार कर रही है। किंतु उसकी बातों का कंडक्टर पर कोई असर नहीं हुआ। कंडक्टर ने उसे बस से उतार दिया। अनु उस वृद्ध व्यक्ति की कातर आंखों को देखकर द्रवित हो गई। उसने कंडक्टर से कहा कि वह उसके टिकट के पैसे दे देगी। वह उसे वापस बस में चढ़ा ले। कंडक्टर ने समझाया कि ऐसे बहुत लोग होते हैं जो पैसे नहीं रखे होते और बस में सफर करना चाहते हैं। हम कितने लोगों पर दया दिखाएंगे l उन्होंने कहा कोई बात नहीं भैया आप उसके टिकट के पैसे मुझसे ले लीजिए। बस कंडक्टर ने उस वृद्ध व्यक्ति को पुनः बस में बैठा लिया। वह वृद्ध व्यक्ति अनु को बार-बार धन्यवाद देने लगा। उसकी आंखों में कृतज्ञता के आंसू थे।
अनु ने हाथ जोड़कर कहा कोई बात नहीं बाबा। अनु को आज उस वृद्ध की मदद करके शांति का अनुभव हो रहा था।
