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Dinesh Dubey

Inspirational

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Dinesh Dubey

Inspirational

मूर्ख सियार

मूर्ख सियार

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भाग 19


एक घने और बड़े बियाबान जंगल में एक बलवान शेर रहा करता था। शेर प्रति दिन शिकार करने के लिए नदी के किनारे जाया करता था। 


एक दिन जब नदी के किनारे से शेर लौट रहा था, तो उसे रास्ते में सियार दिखाई दिया। सियार पहले तो शेर को देख घबरा गया ,फिर कुछ विचार कर खड़ा हो गया,। शेर जैसे ही सियार के पास पहुंचा, सियार शेर के कदमों में लेट गया।


शेर ने पूछा "अरे भाई! तुम ये क्या कर रहे हो।

सियार बोला, “आप बहुत महान हैं, आप जंगल के राजा हैं, मुझे अपना सेवक बना लीजिए। मैं पूरी लगन और निष्ठा से आपकी सेवा करूंगा। इसके बदले में आपके शिकार में से जो कुछ भी बचेगा मैं वो खा लिया करूंगा।”


शेर ने सियार की बात मान ली और उसे अपना सेवक बना लिया। अब शेर जब भी शिकार करने जाता, तब सियार भी उसके साथ चलता था। इस तरह साथ समय बिताने से दोनों के बीच बहुत अच्छी मित्रता हो गई। सियार, शेर के शिकार का बचा खुचा मांस खाकर बलवान और मोटा होता जा रहा था।


एक दिन सियार ने बड़े घमंड में शेर से कहा, “अब तो मैं भी तुम्हारे बराबर ही बलवान हो गया हूं, इसलिए मैं आज हाथी पर वार करूंगा। जब वो मर जाएगा, तो मैं हाथी का मांस खाऊंगा। मेरे से जो मांस बच जाएगा, वो तुम खा लेना। 


शेर को लगा कि सियार दोस्ती में ऐसा मजाक कर रहा है,” लेकिन सियार को अपनी शक्ति पर कुछ ज्यादा ही घमंड हो चला था। सियार पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और हाथी का इंतजार करने लगा। शेर को हाथी की ताकत का अंदाजा था, इसलिए उसने सियार को बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं माना।


तभी उस पेड़ के नीचे से एक हाथी गुजरने लगा। सियार हाथी पर हमला करने के लिए उस पर कूद पड़ा, लेकिन सियार सही जगह छलांग नहीं लगा पाया और हाथी के पैरों में जा गिरा। हाथी ने जैसे ही पैर बढ़ाया वैसे ही सियार उसके उसके पैर के नीचे कुचला गया। 

इस प्रकार सियार ने अपने मित्र शेर की बात न मानकर बहुत बड़ी गलती की और अपने प्राण गंवा दिए।


हमे इस कहानी से ये सीख मिलती हैं कि हमें कभी भी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए और अपने सच्चे दोस्त को कभी भी नीचा नहीं दिखाना चाहिए।





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