मुस्कराहट

मुस्कराहट

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आज ऑफिस जाते वक़्त जब घर से कार ले कर निकला ही था के कुछ दूर जाते ही कार ख़राब हो गयी। पास के गैराज में जा कर मिस्त्री को दे आया के शाम तक ठीक हो जायगी। सारा दिन ऑफिस के काम में लगा रहा। जब घर को निकला तो साथ में काम करने वाला राहुल भी साथ था। हम अपनी पोस्ट और पैसे की बात करते हुए जब गैराज पहुंचे तो वहाँ एक १२ साल का लड़का काम कर रहा था। वही छोटू जो हर दूकान ठेले पर काम करते मिल जाता है बस किसी भी चहरे को ले लीजिये वो भी वैसा ही था। अपने काम में व्यस्त ज़ख़्मी हाथ पर चहरे पर मुस्कराहट लिए जैसे कोई दर्द ही नही उसको।

मैं और राहुल 1 घंटे तक वहाँ थे और मेरा ध्यान राहुल की बातों पर कम और उस छोटू पर ज्यादा था। एक तरफ जहां हम अपने बॉस के ज़रा से नाराज़ होने पर परेशान हो जाते है। वही वो अपने मालिक की डांट और गालियाँ सुनते हुए भी हँसता हुआ काम कर रहा था। देख कर मन में एक सवाल आया के आज कल के बच्चो को हो क्या गया है। मालिक डांट रहा है और ये हँस रहा है। फिर वही ज़ख़्मी हाथ नज़र आ जाते तो लगता के बड़ा बहादुर और सहनशील लड़का है।मन इसी उथलपुथल में था के तभी गैराज के मालिक ने आवाज दी “साहब गाडी ठीक हो गयी है एक बार चेक करलो चला कर।” 

गाड़ी चेक करी सब कुछ ठीक था। पर घर जाने की जगह उस लड़के से पहले मिला। जा कर उससे बात की तो उसके बोलने के अंदाज़ से कोई नहीं कह सकता था के १० – १२ साल का कोई लड़का बोल रहा है। बात करने पर पता चला के २ साल पहले पिता टीबी की बीमारी के कारण दुनिया छोड़ गए। और उसके बाद से वो यहाँ काम कर रहा है और १५०० रुपये महीने कमाता है। घर में माँ एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है और घर की ज़िम्मेदारी प्रेम के ऊपर है जी हाँ प्रेम उस छोटू का नाम है प्रेम और उसकी कहानी ने उसके नाम को सिद्ध भी किया। आज मैं और राहुल को तो तनख्वाह मिली ही थी पर आज प्रेम को भी तनख्वाह मिलनी थी।

आज जब गैराज के मालिक ने प्रेम को उसकी तनख्वाह दी तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उत्सुकतावश मैंने उसकी वजह पूछी तो प्रेम ने बड़े प्यार से जवाब दिया सर आज मेरी बहन का जन्मदिन है। वो सामने दूकान देख रहे है न।

वहाँ एक गुडिया है जो मेरी बहन को पसंद है। मेरे पास अभी केवल २०० रुपये थे और गुडिया ४५० की है अब मालिक ने जो पैसे दिए है उन पैसे को मिला कर उसके लिए गुडिया खरीदूंगा वो बहुत खुश होगी। उसकी ऐसी बात सुन कर ऐसे लगा जैसे एक लम्बे अरसे के बाद नींद टूटी है। यहाँ हम अपनी नौकरी पैसे के आगे किसी का नहीं सोचते उल्टा खुद को काम में व्यस्त बता कर लोगो से दूरियां बना लेते है। कभी घर में माँ-बाप बीवी बच्चो के लिए सही से वक़्त ही नही निकालते। पर आज प्रेम की बातों ने मुझे फिर से जगा दिया और इस बात का अहसास कराया के जिंदगी में खुशियाँ अपने आप नहीं मिलती है हर जगह ढूंढनी पड़ती है। खुद को खुशी तब ज्यादा होती है जब हमारी वजह से कोई अपना खुश हो। 


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