मुन्ना भाई
मुन्ना भाई
मुन्ना भाई सुबह संगीता ने नाश्ते की प्लेट डाइनिंग टेबल पर रखी। आज उसने देते के बेसन की सब्जी शिमला मिर्च बनाई थी। दूसरी बार रोटी देने आई तो... "आदित्य गुस्से से बोला- आलू कच्चे हैं !"कुछ नहीं वापिस जाकर कढ़ाई में देखा आलू तो ठीक थे लेकिन आदित्य के शब्द दिमाग में गूंजते रहे।अच्छा खाना बनने की कभी तारीफ नहीं की कभी सब्जी कच्ची है...... रोटी कच्ची है। यह जरूर सुनाया है। लेकिन सब्जी तो ठीक थी।बिना किसी कारण के.... यह बात सारा दिन संगीता के दिमाग में घूमती रही। चलो........ कोई बात नहीं कह कर खुद को समझा लिया । फिर भी बात दिमाग से नहीं निकल रही थी। सबको नाश्ता करवा के उसी सब्जी से जब उसने खुद खाया उसे ऐसा कुछ नहीं लगा कि सब्जी कच्ची थी। मन में उदासी थी घर के सारे काम तो कर रही थी। कच्चे हैं..... दिमाग में बार-बार शब्द गूंज रहे थे।
किट्टू टीवी देख रहा था। संगीता भी मटर छीलने के लिए टीवी के पास बैठ गई।किट्टू मुन्ना भाई फिल्म देख रहा था। फिल्म का कुछ हिस्सा निकल चुका
था। लेकिन देखने पर उसे बहुत अच्छी लगी। फिल्म में, उस समय जो दृश्य चल रहा था कि एक सफाई कर्मचारी अस्पताल में सफाई कर रहा था जो भी उसके पोछा लगाने के बीच में से निकल रहा था वे उस पर गुस्सा कर रहा था लेकिन जब मुन्ना भाई उसको गले लगा कर उसका थैंक्यू करता है तो वह खुश हो जाता है कितनी सुंदरता से उसने सफाई कर्मचारी के भीतरी अवसाद को गले लगा कर थैंक्यू से दूर कर दिया था।
संगीता को अपनी स्थिति उस सफाई कर्मचारी के जैसी लग रही थी जो सबकी सुविधाओं का ध्यान रखती हैं...... हर चीज पूरी करती है.... लेकिन उसके प्रति आभार ना होकर उसकी गलतियां ही तलाशी जाती हैं और कई बार तो गलती होती भी नहीं है। सारा दिन वह इसी कशमकश में फिल्म की बातें सोचती रही।शाम को जब आदित्य ऑफिस से आया तो उसके चेहरे पर ऐसा कुछ नहीं लग रहा था कि वह सुबह..... क्या!!!!! बोल कर गया था। जबकि संगीता को सारा दिन चैन नहीं आया था। रात के खाने में आदित्य ने सुबह वाली शिमला मिर्च की सब्जी मांगी..... आप तो कच्ची कह रहे थे संगीता ने जवाब दिया। "नहीं..... ऐसी पता नहीं..... क्यों लगा ठीक थी।" उसकी बात सुनकर संगीता के सारे गिले-शिकवे दूर हो गए उसकी आंखों के सामने फिर से मुन्ना भाई फिल्म के दृश्य घूम गया अगर हम किसी को प्यार से दो शब्द कह देते हैं उन शब्दों का बहुत गहरा असर होता है और पहले कहे गए.... कड़वे शब्द भूल जाते हैं।