Motivational Stories by Jaya Sharma

Inspirational

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Motivational Stories by Jaya Sharma

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मुकुन्द के चिराग

मुकुन्द के चिराग

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मुकुंद राय 35 साल की सरकारी नौकरी पूरी कर रिटायर होने वाले हैं ।नौकरी में रहते हुए मुकुंद राय ने अपने बच्चों को, पढ़ा लिखा कर ,उनके विवाह तक की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।अपने मकान की दबी हुई पत्नी मनोरमा की इच्छा को भी पूरा किया।कोशिश यही रही ,बुढ़ापे में किसी से आर्थिक सहयोग न लेना पड़े ,तो मनोरमा इसलिए शुरू से ही हर महीने बचत करने की अपनी सास की परंपरा को निभातीे ,और घर में अचानक रुपए पैसों की जरूरत पर अपने पैसों को जरूर निकालती ।

मनोरमा बच्चों की शादी से फ्री होकर मुकुंद राय के खाने-पीने का खास ध्यान रखती ,और अपने को घर के कामों में बिना किसी सहायक की सहायता के व्यस्त रखती ,कोई काम वाली रखने की सलाह दे देता, तो नसीहतों की फसल लहलहा उठती ।जितना शरीर को चलाओगे उतना चलता रहेगा, जिस दिन शरीर को आराम देने की सोच ली तो यह शरीर मेरे बुढ़ापे से पहले मुझको बूढ़ा बना देगा।सलाह के बदले सलाह मिल जाती सलाह देने वाले को। मनोरमा की बात का पूरा समर्थन करते ,मुकुंदराय और हंसते भई अब तो रिटायरमेंट के बाद इनके साथ ही रहना है ,तो हां में हां मिलाने की आदत तो डालनी लेनी चाहिए।   बाबू जी के रिटायरमेंट को लेकर दूर शहर में रह रहे बेटे, जो थे तो एक ही शहर में पर अपने-अपने दायरे में सिमटे हुए।

उन बेटों के घरों में भी सुगबुगाहट शुरु होनी शुरू हो गई। बड़ी बहू का अपने पति से कहना या सोचना था, अब हमारा बेटा बिल्लू भी बड़े क्लास में आ गया है ,उसको भी पढ़ने के लिए अलग कमरे की जरूरत होती है ।चार मेहमान आ जाए, तो पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है।

12वीं के बाद कहीं कोचिंग या कॉलेज में दाखिला कराने के लिए बड़ा खर्चा सर पर मंडरा रहा, दिखाई दे रहा है ,तो क्यों ना हम छत पर बिल्लू के लिए कमरा बनवा दें ,और हां बाबू जी रिटायर हो रहे हैं ,रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले रुपए पैसों के विषय में अभी बाबू जी से बात कर ले।

देवजी ने भी अपने बेटे चिंटू को कोई इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए बात की है ,पांच लाख एक साथ देने हैं ,फीस के और एडमिशन करवाने वाले को।इतनी बड़ी रकम रमेश भैया अपनी जेब से तो देने से रहे ,जरूर बाबूजी से पहले ही रुपए पैसे की बात कर रखी होगी ।अब मां बाबूजी अकेले तो वहां रहेंगे नहीं ,अब रहेंगे तो हमारे साथ ही ,।

अपनी मां की सारी बातें ,मुकुंद राय का बड़ा पोता बिल्लू पढ़ने का बहाना करते हुए सुन रहा था ,।बिल्लू ने अपने साथ ही पढ़ने वाले अपने चाचा के बेटे चिंटू के साथ (जो दोनों हम उम्र और एक ही स्कूल में पढ़ने के कारण दूरियों की धुंध में खो ना पाए )कुछ अलग ही खिचड़ी पका डाली।

बिल्लू और चिंटू के दोस्त साहिल के पापा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते थे ,अच्छे सौदे करवाने के लिए बहुत मशहूर थे ,बिल्लू और चिंटू ने साहिल के पापा से मिलने का मन बनाया, और साहिल के पिता के पास पहुंचकर अपनी योजना बतायी।

"अंकल हमारे दादाजी दूर शहर में रहते हैं ,अब रिटायर होने वाले हैं, हम चाहते हैं कि दादाजी को रिटायरमेंट से मिलने वाली रकम से ,इस शहर में दादाजी के लिए एक घर खरीदा जाए ,और दादा जी और दादी जी कभी बड़े बेटे के पास ,कभी छोटे की बेटे के पास रहें ।बल्कि हम सब दादा दादी जी के साथ उनके घर में उनके साथ ही रहें ।"

बच्चों के मुंह से इतनी बड़ी और सूलझी बात सुनकर, साहिल के पिता प्रॉपर्टी डीलर का मन भी खुश हो गया।और साहिल के पिता ने कहा ,"बेटा मैं जरूर तुम्हारे सपनों को पूरा करूंगा ,और जल्दी एक अच्छी से घर की व्यवस्था करके ,तुम्हारे परिवार से तुम्हारे दादा दादी से मिलूंगा ।पैसों की बात मैं स्वयं तुम्हारे घर वालों से कर लूंगा।"

बिल्लू और चिंटू भी परिवार की एक साथ ,दादा दादी के साथ रहने की खुशी में ,एक दूसरे की आंखों में देर तक देखते रहे ।साहिल के पापा ने अच्छी जगह पर एक अच्छे से घर की व्यवस्था ,मुकुंद राय के परिवार के लिए कर दी ।पहले तो मुकुंद राय के बेटे और बहू ने कुछ असहमति दिखाई ,पर चिंटू बिल्लू की दादा जी और दादी जी के साथ ही रहने के अपने अटल निर्णय ने सबको चौंका दिया।

मुकुंदराय पूरे परिवार को अपने साथ पाकर, खुशी से पत्नी मनोरमा से कहने लगे ,अरे सुनती हो आज हमारा परिवार हमारे साथ है ,इसका श्रेय किसको जाता है ,मनोहर भी सबके लिए कपों में चाय छानती हुई बोली "हां हां जानती हूं, तुम्हारी आंखों के मोती ,तुम्हारे पोते चिंटू और बिल्लू को ।"

शुरू से सुनते आ रही हूं ब्याज मूल से ज्यादा प्यारा होता है ,और असली अर्थ तो बुढ़ापे में समझ में आया।



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