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मेरी अधूरी कहानी

मेरी अधूरी कहानी

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"हर बार सिर्फ मुझे ही सुनाती हो भाई को क्यों नहीं? बारह साल की बच्ची का हमेशा का सवाल था अपनी माँ से।" "वो छोटा है तुम्हें ही समझना होगा, माँ की हमेशा की दलील थी।" "तुम मुझ से प्यार ही नहीं करती.... यही सोच बच्ची के मन में कब कड़वाहट ले आई यह पता ही नहीं चला।" हर रोज़ खेल खेल में भाई से उलझना होता और अपनी शैतानी की वजह से माँ से दाट सुन नी पड़ती। बच्ची हर बार माँ को गलत समझ लेती, माँ को पता ही नहीं चला की उनकी बेटी कब दूर होने लगी। धीरे धीरे वक़्त बिता और परिवार को खुशियों ने अलविदा कहा जब पता चला की माँ को बहुत बड़ी बिमारी हुई है। इलाज चल रहा था और एक दिन तबियत कुछ ज़्यादा ही खराब हो गई, तब माँ को तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। उस सुबह वह बच्ची माँ के गले लगना चाहती थी, पर मन की कड़वाहट ने यह होने ही नहीं दिया। वह सुबह, आखरी सुबह थी जब उसने अपनी माँ को देखा था। आज भी उसकी वह ख्वाहिश अधूरी है.......


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