Ankur Singh

Inspirational

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Ankur Singh

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मेरा हिंदुस्तान

मेरा हिंदुस्तान

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मेरे हिंदुस्तान को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे होने को है, गणतंत्र को 72 वर्ष पूरे होने को है लेकिन आज भी देश मे लोगों का जीना वैसा ही है जैसे आजादी के पहले था। पहले अंग्रेजों के गुलाम थे अब नौकरशाही सत्ता के, पुलिस का निर्माण जनता की भलाई के लिए किया गया था पर अब पुलिस नेताओं की बात मानने को मजबूर है और अफसोस ये है कि इस बारे मे कोई कुछ नहीं कर सकता हैं। सिर्फ वादें होती है कि ये सरकार आएगी तो ये सुधार किया जाएगा या वो सरकार आएगी तो ऐसा सुधार किया जाएगा पर होना जाना कुछ है नहीं, आम जनता बस उल्लू बनने के लिए हैं। आजादी दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों मनाते है, मेरा भारत महान के नारे लगाते है, रेलियाँ निकालते है, देश को सुधारने की कसमें खाते है लेकिन वादे भूल जाया करते हैं।

ये दुनिया और ये मेरा प्यारा हिंदुस्तान अब सिर्फ ताकत वालों के इशारों पर चलता है और ताकत आती है पैसों से, जिसके पास जितने ज्यादा पैसे वो उतना ही ज्यादा ताकतवर इंसान या देश होगा। हमें इस प्रणाली में परिवर्तन लाना होगा, खुद से सुधार करना होगा दूसरों के भरोसे अगर अब भी बैठे रहे तो वो दिन दूर नहीं जब इस देश का बेड़ागर्क हो जाएगा। आइए हम सब मिल कर इस देश को बदलने मे महत्वपूर्ण योगदान दें और कुछ ऐसा कर जाए जो हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए गर्व का विषय बन जाए .. धन्यवाद।

तालियों की गुंज अचानक शुरू हो गयी जो इस बात का प्रतीक थी कि सामने मंच पर खड़े शख्स ने अपने अभिभाषण से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। ये शख्स है ‘नवीन कुमार शर्मा’ जो दिल्ली मे इस वक्त के सत्ताधीन पार्टी के प्रमखु नेता है, और मुख्यमंत्री के सबसे करीबी विश्वासु व्यक्ति है। ‘जनता मुक्ति पार्टी’ के अध्यक्ष के तौर पर इनका चयन हुआ है और सुनने मे या रहा है कि शायद इन्हे पदोन्नति देकर डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है।

अध्यक्ष जी आज अपनी बात रखने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक समारोह मे आए थे जिसका आयोजन कॉलेज के द्वारा वार्षिक समारोह के तौर पर किया गया था। बढ़िया साज-सजावट और जबरदस्त नाच-गाने के बाद अध्यक्ष श्री नवीन कुमार शर्मा जी को अपनी बात रखने को मौका मिला। अक्सर जब कोई स्पेशल गेस्ट को किसी फ़ंक्शन/समारोह मे बुलाया जाता है तो उन्हें सबसे पहले बोलने का, अपने बारे मे बताने का, अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है पर यहाँ कुछ उलट हुआ है प्रोग्राम होने के बाद अध्यक्ष जी को बोलने का मौका मिला है। अध्यक्ष जी ने अपनी बात पूरी कर लोगों का अभिवादन किया और समारोह से बाहर निकाल गए शायद उन्हें कही और भी जाना था। अध्यक्ष जी 2 गार्ड और 2 सहायकों के साथ समारोह से बाहर निकले, उन्हे बाहर तक छोड़ने प्रिन्सपल, विभिन्न विभागों के डीन और अन्य शिक्षक भी आए। पूरी गर्मजोशी के साथ अध्यक्ष जी को विदा किया गया इस दौरान प्रिन्सपल और अध्यक्ष जी के चेहरे पर गजब सी खुशी थी।

अध्यक्ष जी के लिए उनके गार्डों ने गाड़ी का गेट खोला, सभी से विदा ले कर अध्यक्ष जी अपने सहयोगियों के साथ गाड़ी में बैठ गए। पीछे वाली सीट पर अध्यक्ष जी और उनके 2 सहयोगी और आगे के सीट पर 1 गार्ड और ड्राइवर बैठे, वहीं पीछे भी एक गाड़ी खड़ी थी उसमें अन्य सहयोगी और 1 गार्ड बैठ गए। हॉर्न बजाते हुए दोनों गाड़ियां कॉलेज कैंपस से बाहर निकली दोनों ‘अध्यक्ष और प्रिन्सपल’ के मुंह से एक साथ एक ही बात निकली – “जान छूटी”। हालांकि दोनों ही एक दूसरे कि बात सुन नहीं पाए हो लेकिन फिर भी ये शब्द बोलते वक़्त भाव समान थे।

दिल्ली कि अतिव्यस्त सड़क पर ये दोनों गाड़ियां हॉर्न बजाते हुए तेजी से निकालने का प्रयास कर रही थी कि तभी नेहरू चौराहे पर अध्यक्ष जी के गाड़ी से एक बाइक से टक्कर हो जाती है। पीछे से पड़े इस टक्कर के कारण बाइक चालक उछल कर अपने सामने जा रही एक अन्य कार मे पीछे से खिड़की तोड़ते हुए अंदर घुस जाता है। उस चालक के हेलमेट से पीछे बैठे एक शख्स के सिर मे तेज चोट लगती है और वो उछल कर ड्राइवर के बगल मे गेयर चेंज बॉक्स पर गिरता है और उसके गिरते ही चालक का ध्यान भटक जाता है और गाड़ी का कंट्रोल छूट जाता है और वो अन्य 2 बाइक को पीछे से और एक कार को साइड से टक्कर मारते हुए एक दुकान मे घुस जाती है। इन दोनों बाइक पर एक-एक सवारी थे, इनमे से एक बाइक सवार उछल कर वहीं बगल मे गिर गया और उसके पीछे से आ रही एक गाड़ी ने उसके दोनों पैर कुचल दिए। दूसरे बाइक सवार ने जैसे तैसे अपनी बाइक को संभाल लिया पर अंत मे रोड के किनारे लगे खंबे से टकरा गया और फूटपाथ पर गिर गया। वही जिस दूसरी कार को टक्कर मारी गयी थी वो जरा सा डगमगाई जरूर थी पर चालक ने संभाल लिया और गाड़ी को रोके बिना चलाता हुआ निकल गया। जिस बाइक को अध्यक्ष जी की गाड़ी ने टक्कर मारी थी उसमे 2 लोग सवार थे और दूसरा वही बाइक के बगल मे गिर के बेहोश हो गया। इस घटना ने देखते ही देखते विकराल रूप धर लिया। अध्यक्ष जी ने जैसे-तैसे करके घायल व्यक्तियों को पास के ‘सिटी अस्पताल’ मे भर्ती करवाया। इलाज शुरू हुआ, चूंकि ये मामला एक बड़े नेता से जुड़ा हुआ है इसलिए रिपोर्टरों कि एक फौज जल्द से जल्द सिटी अस्पताल के सामने आ गयी पर अध्यक्ष जी के गार्ड ने अंदर जाने से रोक लिया। एक गार्ड ने अध्यक्ष जी को सूचित किया और वे तुरंत अपनी बात रखने बाहर आ गए।

अध्यक्ष जी ने घटना कि जानकारी मीडिया को दी और क्षतिपूर्ति रकम भी देने का वादा किया हर घायल को 1 लाख और हर एक मृत व्यक्ति को 3 लाख। हालांकि अध्यक्ष जी ने अपनी गलती मानने से इंकार कर दिया उन्होंने इस घटना का पूरा आरोप बाइक सवार वाले पर लगा दिया कि “वे बहुत स्पीड से जा रहे थे और उसके पीछे चूंकि अध्यक्ष यानि मेरी गाड़ी थी तो जैसे ही उन बाइक सवार ने गाड़ी को अचानक ब्रेक लगा दिया जिससे मेरी गाड़ी आकस्मिक ब्रेक लगाने मे फ़ेल हो गयी और ये दुर्घटना हो गयी’।

पर रिपोर्टर भी जिद्दी हुआ करते है आसानी से किसी का पीछा नहीं छोड़ते। उन्होंने आकलन करके बताया कि इस पूरे घटना मे 9 व्यक्ति प्रभावित है, 3 बाइक, एक कार और एक दुकान का भी नुकसान हुआ है। जिस पर अध्यक्ष जी ने कह दिया कि – ‘इलाज चल रहा है, घटना पर पैनी नजर रखी जा रही है। निश्चिंत रहे सब ठीक होगा’। रिपोर्टरों को जैसे-तैसे मैनेज कर अध्यक्ष और उनके गार्ड्स ने उन्हें वापस भेज दिया।

अध्यक्ष जी के द्वारा किये गए घोषणा से हताहत हुए व्यक्तियों के परिवारजनों को थोड़ी राहत तो मिली पर उन्हें तब झटका लगा जब अध्यक्ष जी तुरंत ही बिना पैसे दिए वापस जाने लगे। परिवारजनों ने जब अध्यक्ष जी से पैसे के बारे मे पूछा तो उन्होंने टका स जवाब दिया कि “जल्द ही पैसे भिजवा दिए जाएंगे, चूंकि ये पैसे पार्टी फंड से दिए जाएंगे इसलिए इस पैसे को पास होने मे समय लगेगा”। इतना कह कर अध्यक्ष जी गेट से बाहर निकल गए और गाड़ी मे बैठ कर कहीं चले गए। इधर परिवारजनों कि समस्या बढ़ गयी थी पैसे कम होने के वजह से इलाज कराना मुश्किल हो रहा था। पैसे के अभाव मे उस बाइक सवार जिसकी दोनों टाँगे कुचल गयी थी उसकी जान खतरे मे पड़ गयी है। ऐसा ही हाल कमोबेश सभी परिवारिजन का है, चोट जिसकी ज्यादा गंभीर है उसके इलाज मे उतने ज्यादा पैसे लग रहे है। मजबूरीवश ये परिवारिजन अपने घायल सदस्य को, अध्यक्ष जी को कोसते हुए, अपने किस्मत पे रोते हुए, देश कि हालत पे चिंता करते हुए दूसरे सस्ते सरकारी अस्पताल ले जाने लगे। मेरा हिंदुस्तान बहुत कुछ झेल रहा है और पता नहीं कब तक झेलता रहेगा।


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