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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance

मेरा दूसरा प्यार

मेरा दूसरा प्यार

4 mins
128

"सुनो" 

"कहो" 

"एक बात पूछूं" 

"हां जी, पूछिए" 

"क्या आप हमें प्यार करते हैं" 

"अपने दिल से पूछिए, वह क्या कह रहा है" 

"आप न बात को घुमा देते हैं। जैसे मैंने सीधे सीधे पूछा है वैसे ही सीधे सीधे बताइए ना" 

"सीधे सीधे ही तो बता रहा हूं। तुम्हारा दिल जो कहेगा वही मेरा दिल भी कह रहा है। हम दोनों कोई अलग हैं क्या

"बस, आपकी यही बात हमें अच्छी नहीं लगती है। वकीलों की तरह बात को घुमाते रहते हो। सीधे सीधे कहो न , हां मैं प्यार करता हूं

"अच्छा जी , तो आप हमें नकल करवा रही हैं। प्रश्न भी पूछ रही हैं और उत्तर भी सुझा रही हैं। वाह, क्या परीक्षा है" 

"करते हो न हमसे प्यार" 

"प्यार कोई कहने की चीज है क्या। प्यार तो महसूस करने की चीज है। आप अपने दिल को टटोलो, पता चल जाएगा

"आप न बड़े खराब हैं। दायें बांयें करके निकलना चाहते हो पर कह नहीं सकते। सारे मर्द ऐसे ही होते हैं।" उसने कह तो दिया मगर उसे लगा कि वह अब फंस गई है। अब उसका कचूमर बनना तय है। लेकिन अब क्या हो सकता है। अब तो बाजी अपने हाथ से जा चुकी थी। 

"कितने मर्दों से पाला पड़ा है अब तक" 

"बहुत सारे" 

"मेरा नंबर कौन सा है" 

उसने सोचते हुए कहा "याद नहीं" 

अरे मोहतरमा , इतना भी याद नहीं है आपको ? क्या सौ दो सौ लोग हैं" ? 

"नहीं। इतने नहीं हैं। पर बीस पच्चीस तो होंगे।" उसके होंठों पर मुस्कान खेलने लगी। 

"बस, बीस पच्चीस ही ? और वह भी वास्तविक संख्या पता नहीं ? मुझे देखो। पूरे 101 की सूची है जुबान पर। धड़ल्ले से नाम बता सकता हूं। मीना, रीना, टीना, बीना, शीना, हसीना, नगीना, जरीना, शमीना ......" 

"बस बस बस। हमें नहीं सुनने ये नाम" 

"अरे देवी जी , आप तो इतनी जल्दी बोर हो गई । वो लीना है ना , उसने तो पूरी सूची पढ़ डाली थी। कुछ को तो फोन करके कन्फर्म भी किया था।" 

इतने में उसकी आंखों से गंगा जमुनी बह निकली। वह तुरंत समर्पण की मुद्रा में बोला "मैं तुम्हें बेहद प्यार करता हूं मीना। तुम्हारी आंखों की गहराई जितना" 

"पर वो तो बहुत छोटी छोटी हैं। जरा सी। क्या इतना सा" ? और उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई। 

"तो, तुम्हारी घनी जुल्फों के जितना" 

"पर हमारे बाल तो झड़ कर जरा से रह गए हैं।" बच्चों की तरह वह बोली 

"तो, तुम्हारी लंबी मुस्कान जितना" 

वह कुछ कहने को हुई ही थी कि उसने अपने लब उसके लबों से सटा दिए और उसका मुंह बंद कर दिया। बड़ी देर बाद जब उसे मौका मिला तो वह बोल उठी 

"हम आपका पहला प्यार ही हैं ना" ? 

बड़ा गंभीर प्रश्न था यह। वह खामोश हो गया। यह देखकर उसकी चिंता और बढ़ गई। वह बोली "हम आपका पहला प्यार हैं या नहीं ? खुलकर बताओ ?" 

काफी देर सोचने के बाद वह बोला "नहीं" 

"क्या ? नहीं ? "

"हां, नहीं" 

"तो पहला प्यार कौन है ? वह क्या हमसे भी ज्यादा हसीन है ?" 

उसे सोचने में फिर काफी वक्त लगा 

"हां, वह बहुत सुंदर है। उसमें मेरी जान बसती है

वह उसके नजदीक आ गई और उसके बालों में हाथ घुमाते हुए बोली 

"आप हैं ही ऐसे कि आपसे हर कोई प्यार करेगी। मगर हम उस खुशनसीब का नाम जानना चाहते हैं जिसने आपके दिल पर इतना काबू कर रखा है कि हम दूसरे नंबर पर चले गये

एक गहरी सांस लेकर वह बोला 

"वो मेरा पहला प्यार थी, है और रहेगी

"अच्छा , ठीक है। हमें दूसरा प्यार बनने पर भी कोई एतराज नहीं है। पर उस खुशनसीब का नाम तो बता दो जिसे हम हटा नहीं पाये पहले स्थान से

"क्या करोगी उसका नाम जानकर ?" 

"उससे मिलने जाएंगे। उसकी पूजा करेंगे। उससे कुछ गुरु ज्ञान भी लेंगे कि उन्होंने आपको कैसे वश में कर रखा है ?" 

बरबस वह मुस्कुरा उठा। एक जोरदार ठहाका लगा। वह कहने लगा 

"मेरा पहला प्यार मेरी लेखनी है। मैं इसके बिना एक पल को भी नहीं रह सकता हूं। मैं तुमसे दूर रह सकता हूं पर इससे नहीं। कहो, कैसा लगा मेरा पहला प्यार ?" 

वह भी अवाक होकर रह गई। थोड़ी देर की खामोशी के बाद वह बोली "आपका पहला प्यार बहुत हसीन है। मैं आपके पहले प्यार के बीच में कभी नहीं आऊंगी। मुझे मेरी नंबर दो की पोजीशन बहुत अच्छी लगती है। मुझे अपना दूसरा प्यार ही बनाए रखना। बस, इतनी सी गुजारिश है।" 

और दोनों प्यार के अथाह सागर में गहरे उतर गए । 



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