मैने खिड़की से धरती का नज़ारा देखा, स्वर्ग जैसा नज़ारा अति रमणीय था। मैने खिड़की से धरती का नज़ारा देखा, स्वर्ग जैसा नज़ारा अति रमणीय था।
अपरिहार्य स्थिति में पापा को वही काम आते। अपरिहार्य स्थिति में पापा को वही काम आते।
चाय पीने के बाद भी, दो सौ सीटों वाले हवाई जहाज में मैं अकेला महसूस कर रहा था। चाय पीने के बाद भी, दो सौ सीटों वाले हवाई जहाज में मैं अकेला महसूस कर रहा था।
मुझे मिली नई सौगात के साथ आत्मविश्वास-रूपी संजीवनी मुझे मिली नई सौगात के साथ आत्मविश्वास-रूपी संजीवनी
आपकी लेखनी तो बहुत बोलती है पर आप क्यों मूक बन जाती हैं.. आपकी लेखनी तो बहुत बोलती है पर आप क्यों मूक बन जाती हैं..
मैं और अब कमजोर नहीं पड़ूँगी। अबसे साहित्य साधना ही मेरी हमराह बनेगी। और मेरी लेखनी दौड़ने लगी थी। मैं और अब कमजोर नहीं पड़ूँगी। अबसे साहित्य साधना ही मेरी हमराह बनेगी। और मेरी ले...