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Hársh SikRi

Tragedy Others

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Hársh SikRi

Tragedy Others

मेरा अधिक प्रेम

मेरा अधिक प्रेम

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मेरा अधिक प्रेम ही मेरे जीवन का सबसे अधिक दुश्मन बन गया और मैं उसे अपने जीवन का सबसे अधिक प्रिय कष्ट मान चुका था... क्युंकी मै उससे आधिक प्रेम करता था... प्रेम एक ऐसा कष्ट है जिसे मै बार बार करना चाहुंगा परन्तु, उस लड़की को नहीं पता होगा कभी भी की मै उससे कितना प्रेम करता हूं और करता रहूंगा...

प्रेम एक ऐसा दर्द है मिले तो अच्छा लगता है और ना मिले तो कष्ट होता है। अधिक प्रेम भी एक अजीब सी कश्मकश है, जिसे समझना अधिक मुश्किल होता है।


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