Rasmita Sahoo

Tragedy

4.0  

Rasmita Sahoo

Tragedy

" मदर्स डे "(कुछ इस तरह)

" मदर्स डे "(कुछ इस तरह)

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मीनू (७ साल की बच्ची) सुबह उठते ही अपनी आँख को मलते मलते घर के माहौल देखते ही अपनी दीदी शिप्रा (१२ साल की) से पूछने लगी ,

- " दीदी आज क्या है ,ये घर को ऐसे क्यों सजाया गया है ! " 

- "भूल गई !!!"

- "क्या ?"

- "आज "मदर्स डे" है बुध्धु !"

- "ओह...नो !!! कैसे भूल गई मैं !!मम्मा कहाँ हैं !"

- "और कहाँ ! वहीँ..जहाँ वो रोज होती है ।"

(किचेन रूम के तरफ दौड़ के जाते जाते कुछ सोच के रुकी और फिर से पूछी दीदी को)

- "दीदी... तो क्या..आज भी हम दादी से मिलने उनके घर जाने वाले हैं !"

- "वो घर नहीँ है छोटी ! उसको आश्रम बोलते हैं।"

- "पर ..उसको तो मम्मा पप्पा ओल्डएज होम बोलते है ! जब इंसान ओल्ड हो जाते है ,तब वो होम में रहने जाते हैं ! मैने तो कुछ ऐसे ही सुना था अपनी दोस्तों से !"

- "तुम्हें कुछ नही पता !!! तुम अभी बहुत छोटी हो , ये सब अभी समझ में नही आएगी ।"

- "नहीँ ... में छोटी नही हूँ !"

(एक टेबल के ऊपर चढ़कर) 

"देखो में कितनी बड़ी हो गई हूँ !"

- (अपने सर में हाथ दे कर)"तू वो सब छोड़ ! क्या तुझे दादी से मिलने नही जाना !"

- "जाना है ना !पर ...."

- "पर वर बाद में । जल्दी से अब तैयार हो जा ।"

"वो लेटर्स और पैंटिंग जो बनाई थी ना दादी के लिये वो सब भी लेते आ जल्दी से ..."

(मीनू कुछ सोचते सोचते अपने रूम के और चली गई, शिप्रा उन दिनों में जब दादी को ओल्डएज होम को लिया गया था तब )


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