मौसम की तरह बदल तो न जाओगे
मौसम की तरह बदल तो न जाओगे
मौसम..मौसम.. दो न प्लीज...... "मौसम"...यहाँ....अचानक से चोंक गयी मैं..अचानक से ये नाम सुनकर!
पीछे पलटी तो एक 22 या 23 साल का लड़का खड़ा था! वो कूछ छूपा रहा था हाथों में..और उसकी दोस्त जो लड़की थी उससे छीनने की कोशिश कर रही थी।ओह मैं भी क्या सोचने लगी मौसम क्या एक ही नाम है कोई और नहीं हो सकता!...
"मैडम"..आप क्या लेंगी ? तभी वेटर की आवाज कान में आई तो होश आया।
“हाँ.… रुको बाद में बताती हूं।”
“जी मैडम ....” वेटर तो चला गया पर मन अभी भी मौसम पर ही टिक गया और न जाने कब पुराने ख्यालों में खो गई।
“रिया.. रिया तुम यार इतनी खूबसूरत क्यों हो! जी चाहता है बस हरपल देखता ही रहूं...” मौसम ने कहा तो रिया रोज की तरह आज भी शरमा गयी थी।
“मौसम तुम रोज यही बात बोलते हो बस और कुछ काम नहीं है क्या तुम्हें..” रिया ने हँस कर कहा।अभी तो तुम बहुत तारीफ करते हो पर शादी के बाद बिल्कुल बदल जाओगे।
“नहीं...... नहीं मैं क्यों बदल जाऊॅंगा भला और काम तो करना है! बहुत पैसे कमाना है! सब कुछ तुम्हारी कदमों में रख दूंगा.. जो तुम मांगोगी... सब लाकर दूंगा! देखना और तुम बस रानी की तरह राज करना।”
“मौसम तुम भी बाद में इन मौसम की तरह बदल तो नहीं जाओगे न।शादी के बाद राज करूंगी सिर्फ! क्यों काम करूंगी मैं भी।”
“नहीं तुम नहीं करोगी काम बाहर जाकर।”
“अच्छा मैं क्या पढ़ाई कर रही घर बैठने को मुझे भी नौकरी करनी है मुझे अपनी पहचान बनानी है ।”
“नहीं रिया पढ़ायी ठीक है पर नौकरी तुम नहीं करोगी।”
“क्यों ...क्यों नहीं करूंगी भला? मैं तो करूगी।”
“नहीं मैं नहीं करने दूंगा।”
“मौसम तुम ये कैसी बात करने लगे !इतना पढ़ाई करने के बाद क्या मैं घर पर बैठूं भला क्यों हम दोनों ही नौकरी करेंगे।”
“नहीं शादी तक तुम्हें जो करना है करो शादी के बाद नौकरी तो बिल्कुल नहीं... छी कैसी नजरों से सब देखते हैं और तो और तुम्हें मालूम है लोग क्या क्या बातें करतें हैं फिर ऑफिस वाले औरतों के बारे में। मैंने बोल दीया तो बस तुम नौकरी नहीं करोगी ।”
“मौसम जरूरी तो नहीं सब की बातें सुनना सब की सोच अलग होती है उनके सोच से हम क्यों बदलें अपनेआप को। मेरे पापा ने मुझे इतनी मेहनत से पढ़ाया है मैं ही जानती हूं मौसम तुम नहीं समझ सकते । तुम्हारी सोच को क्या हो गया है... मैं ठीक हुं... तो दूसरे से क्या मतलब।”
“हाँ मतलब है तुम सुंदर हो, लोग तुम्हारी तरफ ही देखते रहेंगे सब एक जैसे होते हैं। तुम्हें जानबूझकर मदद करतें रहेंगे। तुम्हें आर्कषित करने के लिए, बस मैंने बोल दीया तुम नौकरी नहीं करोगी । तुम्हें मेरे साथ रहना है तो ऐसे ही रहना होगा नहीं तो तुम जानो...” मौसम गुस्से से उठकर चला गया।
पलकों में नींद नहीं थी, बैचेनी से करवटे बार बार बदल रही थी क्या मौसम की सोच उससे मिलती है क्या मौसम के साथ वो रह पायेगी.. नहीं.. नहीं।मौसम हमेशा अपने मन का करते आया है और हमेशा प्यार में मैंने उसकी बात मान ली पर ये बात नहीं मान सकती मैं! ओह क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा... सोचते सोचते आँख लग गयी।
माँ की हाँथ के स्पर्श से नींद टूटी। “आज कॉलेज नहीं जाना बेटा अब तो दो दीन ही बचे हैं.. फिर तुम फ्री होकर रहना, उठ जा। चल जल्दी से पापा इंतजार कर रहें हैं।”
पापा .... नहीं नहीं मैं उनके उम्मीद को नहीं तोड़ सकती अगर मौसम ने नौकरी की शर्त रखी तो वो सीधा मना कर देगी प्यार में ये कैसा बंधन।
मौसम नहीं बदला सबकूछ बदल गया अपने जिद को साथ लेकर वो हमेशा के लिए चला गया मुझे छोड़कर मेरी सुंदरता से डरकर, मैं उसके प्यार को नहीं भूली क्योंकि मैंने तो उससे बिना शर्त प्यार कीया था।
“मैम कूछ लेकर आऊं ..”
“हाँ एक कागज है तो दो।”
“जी लीजिए मैम...और.. कुछ!...”
“हाँ कॉफी..ले आओ खाना थोड़ी देर में बताती हूं...”
कागज पर कलम यूं ही चलने लगी आज वही फिर नाम सुनकर पागल दिल न जाने क्यों मचलने लगी ...
आजकल यह मौसम बदलते भी खूब हैं
दिल से दिल लगाने की सजा पाते भी खूब हैं
बदलता नहीं है मौसम हर शु बहार का
यह तेरा दिया गम महफिल में सजाते भी खूब हैं
ना पूछो कि हमने ढूंढा कहां वफाएं मौसम को
पर यह हमसे छुपते छुपाते भी खूब हैं
दिल की बातें ना पूछो कि हमने कहा किससे
जो बेवफा हो के वफा को चाहते भी खूब हैं
आहों की सौगात मिली जब अपने वफा यार से
उन सौगातो को दिल से लगाते भी खूब हैं
एक एक दिन बीत रहा भारी सा फिर भी
तेरी याद में सितारे अब सजाते भी खूब हैं
आजकल यह मौसम बदलते भी खूब हैं
दिल से दिल लगाने की सजा पाते भी खूब हैं
“लीजिए मैम...कॉफी ..”
“हाँ ...रख दो...”
याद जो कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ती... नम आँखो को पोछती रीया ने कागज पर्स में रख लिया आज फिर उसकी याद में एक गजल लिख दिया"...।
आँखों की नमी आज कह रही थी हाँ... मौसम की तरह तुम भी बदल गये मौसम।मैं आज तक तुम्हारे इंतज़ार में रही कहीं कभी मिल जाओ लेकिन नहीं तुम तो हमेशा के लिए मुझे छोड़ गए और मैं आज तक तुम्हें कभी नहीं भुला पाई। वादा कीया था तुमसे मैं सिर्फ तुम्हारी रहुंगी मैं आज भी तुम्हारी ही रह गई पर तुम किसी और के होकर चले गए और हम "बिन फेरे हम तेरे होकर रह गयें...।”
