मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ


“मैं एक नारी हूँ,
कर्मठ हूं, परिश्रमी हूँ समर्पित हूँ साहसी हूँ ।
परिवार को कड़कती धूप से बचाने में छाया बनकर खड़ी हूँ ।
मैं एक नारी हूँ।”
नारी का जीवन सदैव ही परिवार के प्रति समर्पित होता रहा है ।आज की नारी सबल है, घर -संसार एवं कैरियर में ताल मेल बैठाना जानती है। अपनी काबिलीयत एवं चुनौतीपूर्ण वातावरण में साहस के बलबूते कामयाबी को हासिल करती है। आज की नारी आर्थिक व मानसिक रूप से आत्मनिर्भर होती जा रही है। हर क्षेत्र में अपना अधिकार जमाती जा रही है ।माता- पिता के घर जन्मी पुत्री उनकी लाडली होती है परंतु विवाहोपरांत कई रिश्तो में बंध कर घबराती नहीं बल्कि सारे रिश्तो को अपने व्यवहार से प्रसनंता एवं नवीनता प्रदान करती है।
“ यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता ।”अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूज्यनीय माना जाता है ।मुंशी प्रेमचंद्र जी ने सुभागी के माध्यम से नारी के प्रति समाज की रूढ़िवादिता का खंडन किया है ।नारी वह शक्ति है , दृढ़निश्चय कर ले तो यमराज को भी झुकने पर विवश कर देती है ।
परिस्थितियां चाहे जितनी विकट हो ,हिम्मत से उसका सामना करने को तैयार होती है। आज का समाज ऐसी समझदार ,योग्य एवं सबल नारी को कदम- कदम पर झुकने को मजबूर करता रहता है ।एक तरफ जहाँ नारी आसमान की ऊचाँइयों को छूती जा रही है वही दूसरी तरफ उसका शोषण भी चरम सीमा पर है ।
नारी समाज की दर्पण है ।राष्ट्र की गरिमा ,प्रतिष्ठा ,और समृद्धि नारी से ही है ।प्राचीन कल में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था क्योंकि नारी का सम्मान होता था ।आज का भारत विकास कर रहा है इसका कारण सामने है न जाने कब सोनी की चिड़िया कहलायेगा ।अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगी-
जहाँ नारी का सम्मान नहीं ,वहाँ जाना हमारा मान नहीं ।