Purnima Kumari

Inspirational

4.1  

Purnima Kumari

Inspirational

संकल्प

संकल्प

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सृष्टि आज सोलह साल की हो गयी थी।उसे, उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ा होने का बड़ा शौक था।वह अपनी लगन और मेहनत से परीक्षा में अव्वल आना चाहती थी।वह दिन रात एक कर पढ़ाई करती रहती।उसकी लगन को देख उसके माता पिता और अध्यापक अति प्रसन्न थे।लेकिन भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया।उसने द्वितीय श्रेणी में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की।इसके बावजूद की वह प्रथम स्थान पर नहीं आई,बिना उदास हुए आगे की शिक्षा जारी रखना चाहती थी।


सृष्टि के माता- पिता पुराने ख्यालात के थे।उनके विचार से लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना मतलब उसके लिए ज्यादा पढ़ा-लिखा लड़का ढूंढना।सो बिटिया की पढ़ाई को रोक विवाह करने का निश्चय किया।दूसरे दिन से नए -नए रिश्ते आते और उसे सजा संवारकर सामने सजावटी वस्तु की तरह पेश कर दिया जाता।सृष्टि उच्च आकांक्षा वाली लड़की थी।अपनी इच्छा का दमन होते देख सबका विरोध कर अपनी शिक्षा जारी रखी।बड़े -बुजुर्गो का विरोध करने में उसे काफी यातनायें भी सहनी पड़ी लेकिन बिना हारेअपने मंजिल की ओर बढ़ती गयी।अंत में उच्च शिक्षा ग्रहण कर ली। अब वह नौकरी प्राप्त कर ऐशो-आराम का जीना चाहती थी।

जैसा कि सब जानते है उसके माता -पिता पुराने विचारों के थे इसलिए दबाव डालकर वैवाहिक जीवन की जंजीरों में जकड़ दिया।स्वयं को कोसती ,भाग्य से रूठी सृष्टि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाती हुए जीवन यापन करने लगी।कहते हैं न, यदि आप किसी चीज़ को पाना चाहते है तो प्रकृति भी उसे देने में नहीं चुकती,किसी न किसी तरह पूर्ण कर ही देती है।

परिश्रमी और दृढ़ संकल्पी सृष्टि विवाहोपरांत भी अपने परिश्रम को जारी रखी।इस कार्य में उसके पति और उसकी बेटी ने उसका पूरा साथ दिया।आज अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर अत्यधिक खुश है।आज उसके पास एक प्यारी सी बेटी और अत्यधिक प्यार करने वाला पति है।



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