मैं एक औरत हूँ
मैं एक औरत हूँ


पुराने काल से स्त्रियों का स्थान सर्वोपरि रहा है। परंतु आजकल के पितृसत्तात्मक समाज में यह दिखावटी मालूम होता है, स्त्रियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जाता है, अगर स्त्रियों को आगे बढ़ने का मौका दिया जाए तो वह भी आगे निकल सकती है और पुरुषों के समान कार्य कर सकती है वह लोगों को दिखा सकती है कि स्त्रियां किसी से कम नहीं होती वसुंधरा राजे प्रतिभा पाटिल और मदर टेरेसा इसी का उदाहरण है कल्पना चावला अंतरिक्ष में अपनी विशेष पहचान बनाई है।