माँ की ममता
माँ की ममता
एक बेटे ने अपनी आत्मकथा में अपनी माँ के बारे में लिखा कि उसकी माँ की केवल एक आँख थी
इस कारण वह उससे नफ़रत करता था एक दिन उसके एक दोस्त ने उस से आ कर कहा कि अरे
तुम्हारी माँ कैसी दिखती है ना एक ही आँख में ? .......यह सुन कर वो शर्म से जैसे
ज़मीन में धंस गया .....दिल किया यहाँ से कहीं भाग जाए, छिप जाए और उस दिन उसने अपनी
माँ से कहा की ....यदि वो चाहती है की दुनिया में मेरी कोई हँसी ना उड़ाए तो वो यहाँ से चली जाए !
माँ ने कोई उत्तर नहीं दिया वह इतना गुस्से में था कि एक पल को भी नहीं सोचा की उसने माँ से क्या कह दिया है और यह सुन कर उस पर क्या गुज़री होगी ! .....
कुछ समय बाद उसकी पढ़ाई खत्म हो गयी, अच्छी नौकरी लग गई और उसने ने शादी कर ली, एक घर भी खरीद लिया फिर उस के बच्चे भी हुए !एक दिन माँ का दिल नहीं माना वो सब खबर तो रखती थी अपने बेटे के बारे में और वो उन से मिलने को चली गयी..... उस के पोता पोती उसको देख के पहले डर गए फिर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे....... बेटा यह देख के चिल्लाया की तुमने कैसे हिम्मत की यहाँ आने की मेरे बच्चों को डराने की और वहाँ से जाने को कहा |
माँ ने कहा की शायद मैं ग़लत पते पर आ गई हूँ मुझे अफ़सोस है और वो यह कह के वहाँ से चली गयी!
एक दिन पुराने स्कूल से पुनर्मिलान समारोह का एक पत्र आया बेटे ने सोचा की चलो सब से मिल के आते हैं ! वो गया सबसे मिला ,यूँ ही जिज्ञासा हुई कि देखूं माँ है की नहीं अब भी पुराने घर में
वो वहाँ गया ..वहाँ जाने पर पता चला की अभी कुछ दिन पहले ही उसकी माँ का देहांत हो गया है
यह सुन के भी बेटे की आँख से एक भी आँसू नहीं टपका.....
तभी एक पड़ोसी ने कहा की वो एक पत्र दे गयी है तुम्हारे लिए .....पत्र में माँ ने लिखा था कि --
"मेरे प्यारे बेटे मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचा करती थी और सदा तुम कैसे हो ? कहाँ हो ? यह पता लगाती रहती थी........ उस दिन मैं तुम्हारे घर में तुम्हारे बच्चों को डराने नहीं आई थी .....बस रोक नहीं पाई उन्हें देखने से .....इस लिए आ गयी थी, मुझे बहुत दुख है की मेरे कारण तुम्हें हमेशा ही एक हीन भावना रही पर इस के बारे में मैं तुम्हें एक बात बताना चाहती हूँ की जब तुम बहुत छोटे थे तो तुम्हारी एक आँख एक दुर्घटना में चली गयी .....अब मैं माँ होने के नाते कैसे सहन करती कि मेरा बेटा अंधेरे में रहे इस लिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हें दे दी और हमेशा यह सोच के गर्व महसूस करती रही की अब मैं अपने बेटे की आँख से दुनिया देखूँगी और मेरा बेटा अब पूरी दुनिया देख पाएगा उसके जीवन में अंधेरा नहीं रहेगा ...
..सस्नेह
तुम्हारी माँ "
