माजरा क्या है
माजरा क्या है
आज बहुत दिनों बाद दिल ने सोचा क्यों ना ऐसी बातें याद की जाए जो जीवन को फिर से उमंगों से भर दे। जीवन ही तो है कभी फूलों की साज तो कभी कांटों की सय्या... लेकिन इसमें सिर्फ तोहार मर्जी भैया, जैसा सोचोगे वैसा बनोगे।
हम अपना उदाहरण देते हैं, जब हम दसवीं में थे तो भाई हमनेेेेे बहुत मेहनत की थी , दिन रात यहीं सोचतेे थे कि राज्य में कहीं ना कहीं तो आ ही जाएंगे । सोचो भला फिर जिला में तो हम को कोई रोक नहीं सकता था। दिमाग की भी अपनी एक अलग खासियत है यह हमेंं वहां तक की सैर करवा देगा जहां से लौटने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती है।
जैसे-जैसेे परीक्षा नजदीक पहुंची हमने भी अपनी ताकत झोंक दी भाई। अब समय आया अपनी कोरी कल्पनाओं को कागज में उतारने का। फिर क्या था मैंने भी कमी थोड़ी ना की, 100 फ़ीसदी बना कर आई। बहु
त दिनों केे कमबख्त इंतजार केे बाद वो दिन आया, कहिए " खुश तो बहुत होंगे आप"।लेकिन खाक खुशी, सारा पासा ही पलट गया। दिमाग की साारी नसें उभर कर सामने आ गई।
हमारी मां की तो हालत मत पूछीए एक पल के लिए तो लगा जैसेेेे इन्होंने ही पूरी तैयारी कर रखी थी, उस रात इन्होंने ना खाना खाया ना किसी से बात किया।अब आप ही बताइए समय का पहिया कहां रुकता है, बीतना ही था बीत गया।फिर आया कि आगेे की पढ़ाई कहां से करनी है,मेरे दिमाग ने यहां पर भी हार नहीं मानी और कहा चल प्रवेश परीक्षा लिख रांची के सर्वश्रेष्ठ्ठ कॉलेज में। हम भी कहां रुकने वाले थे लिख दिया। ओ भाई इसके परीक्षा फल देखकर मेरे तोते उड़ गए क्योंकि इसमें मैंं तो हम टॉप कर गए।
इसलिए हम कह रहे थे की जिंदगी का क्या हैै कभी फूलों की सेज तो कभी कांटों की सय्या।