Lockdown
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एनेस्थीसिया देने वाले के हाथ में इंजेक्शन को देखकर निशि बोली, 'प्लीज, प्लीज, प्लीज मुझे इंजेक्शन मत लगाना, मुझे डर लगता है इंजेक्शन से। और पास ही खड़े डॉक्टर के असिस्टेंट का हाथ पकड़ कर बोली, प्लीज, इनसे कहिए ना कोई और तरीका नहीं है, इंजेक्शन ना लगाएं।'
असिस्टेंट ने उसे समझाते हुए कहा, 'निशि जी आप शांत हो जाइए, कुछ नहीं होगा। मेरा हाथ तो छोड़ दीजिए देखिए कितनी जोर से पकड़ रखा है।'
उसके अपनत्व भरी बातों को सुनकर हाथ को और जोर से पकड़कर बोली, 'प्लीज, आप मेरे पास ही रहिए। मेरा हाथ मत छोड़िएगा।'
'ठीक है, मैं आपके पास ही हूं, देखिए आपका हाथ मेरे हाथ में है। अब आप लेट जाइए और मुझे देखिए।' तभी पीछे से एनेस्थीसिया वाले ने निशि के रीढ़ की हड्डी में इंजेक्शन की निडिल चुभों दी।
निशि को दर्द हुआ। तभी असिस्टेंट ने उसके माथे पर अपना हाथ रखा और फिर निशि बेहोश होने लगी। उसे सिर्फ इतना याद था कि उसकी आंखों को किसी पट्टी से ढ़का जा रहा था, और हाथ - पैरों को बांधा जा रहा था। उसके बाद का उसे कुछ याद नहीं।
जब निशी को होश आया तो वह ICU में थी। और वही असिस्टेंट उसके पास खड़ा था। जो नर्स को कुछ हिदायतें दे रहा था। मुझे होश में आता देखकर मेरा BP चेक करते हुए उसने कहा, 'देखो अभी भी तुम्हारे पास ही हूं न।'
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था उसके हाथ, पैर कुछ काम नहीं कर रहे थे। दोनों हाथों में उसके ड्रिप लगी थी एक तरफ NaCl तो दूसरी तरफ ब्लड चढ़ाया जा रहा था। पेट पर पट्टियां लगी थी। उसका ऑपरेशन हो चुका था।
पर अभी भी 72 घंटे तक खतरा था। 72 घंटे बाद ही डॉक्टर विश्वास से कह सकते थे कि ऑपरेशन सफल हुआ कि नहीं।
उसके इस तरह कहने पर निशि दर्द भरी मुस्कान के साथ उनकी ओर देख रही थी।
उसने फिर कहा, 'देखो, मैं अभी जा रहा हूं, तुम आराम करो। मैं फिर आऊंगा, अब मेरी ड्यूटी खत्म। सुबह ही आ पाऊंगा।'
और फिर वो चले गए मगर जो नर्स उसके पास थी उसने कहा, "मैंने डॉक्टर सूरज को किसी के लिए इतना चिंतित नहीं देखा, जितना वह आपके लिए हो रहे है।"
निशी कुछ ना बोली और सो गई। सुबह के 6:00 बजे डॉक्टर सूरज की आवाज़ के साथ निशि की नींद खुल गई। डॉक्टर सूरज नर्स से शायद उसकी डिटेल जान रहे थे। नर्स की भी ड्यूटी का समय खत्म होने वाली थी और वह घर जाने वाली थी। दूसरी नर्स 1 घंटे बाद आने वाली थी।
"कैसी हो निशि", डॉक्टर सूरज ने कहा।
एक हल्की सी मुस्कान लाकर निशि ने उन्हें अपने ठीक होने का एहसास कराया।
वो निशि के पास आकर उसके सिरहानें एक स्टूल लेकर बैठ गये और चुटकी लेते हुए बोले,' तुमने तो खुद ही हाथ छुड़ा लिया, देख लो मैंने नहीं छोड़ा था।' और फिर इधर उधर की बहुत सारी बातें करने लगे।
निशि उन्हें सिर्फ सुन पा रही थी और मुस्कुरा रही थी। निशि के होठों पर मुस्कान देखकर जैसे डॉक्टर सूरज को बहुत चैन मिल रहा था। कब एक घंटा गुजर गया पता ही नहीं चला।
नर्स आ गई थीं और ड्रिप चेंज कर रही थी। उसे देखकर डॉक्टर सूरज ने कहा, 'अभी मैं जाता हूं, ड्यूटी का वक्त हो गया, बाद में आऊंगा।'
और फिर नर्स को कुछ हिदायतें देकर चले गए।
निशि का ज्यादा वक्त सोने में ही गुजरता। जब -जब उसे होश आता। डॉक्टर सूरज को अपने पास खड़े पाती। पूरे 2 दिन के बाद अब उसके हाथ, पैरों में हरकतें महसूस करने लगी थी।
जब नर्स ने सीधे नसों में इंजेक्शन लगाया तो उसने फिर से डॉक्टर सूरज का हाथ पकड़ लिया।
'घबराओ नहीं, कुछ नहीं होगा।' डॉक्टर सूरज ने कहा
नर्स इंजेक्शन लगा कर चली गई।
मगर अभी भी निशी ने उनका हाथ नहीं छोड़ा था।
'कब तक मेरा हाथ पकड़ी रहोगी।'डॉक्टर सूरज ने कहा
शर्मा कर निशि ने अपना हाथ हटा लिया।
'देखो, फिर से तुमने अपना हाथ छुड़ा लिया। मैंने नहीं छोड़ा। वैसे शरमाते हुए तुम बेहद खूबसूरत लगती हो।'
'अच्छा !और क्या -क्या खूबसूरत लगता है, आपको।'
"आप, आपकी हर अदा खूबसूरत लगती है।"
'ओह! तो आप ऑपरेशन कर रहे थे, या मेरी अदाएं देख रहे थे।' निशि ने मुस्कुराते हुए कहा
पूरे बीस दिन निशि वहां रही। इन बीस दिनों में डॉक्टर सूरज और निशि दोनों कब एक -दूसरे से प्यार कर बैठे पता ही नहीं चला। सुबह- शाम हर वक्त निशि की नज़रें डाक्टर सूरज का इंतजार करती और सूरज भी ड्यूटी खत्म करके तुरंत उसके पास आ जाते। दोनो घंटों बातें करते। दोनों को एक दूसरे के बगैर कुछ भी अच्छा नही लगता।
डॉक्टर सूरज उदास खड़े थे और निशी की आँखें भी नम थी क्योंकि कल ही डॉक्टर सूरज को लंदन जाना था MS की डिग्री लेने।
और कल ही निशि डिस्चार्ज हो रही थी।
एक ही दिन तय हुआ निशि के डिस्चार्ज होने का और डॉक्टर सूरज के लंदन जाने की फ्लाइट का।
जिस्म से जैसे प्राण निकल रहे हो, दोनों एक दूसरे से जुदा हो रहे थे। उनकी नम आँखें एक दूसरे से पूछ रहे थे "फिर कब मिलोगे।"
सूरज ने कहा, "जल्द ही, तुम मेरा इंतजार करोगी ना।"
निशि ने नम आंखों से सूरज की आंखों में देखते हुए हां कहा।
इस तरह दोनों की जिंदगी की दशा और दिशा दोनों बदल गई।