लघुकथा: वो मिला?
लघुकथा: वो मिला?
कच्छ... उसमें भी मांडवी… प्रियंका और ओम दोनों भाई बहन बातें करते थकते नहीं थे। मम्मी-पापा, दादी, सब पूछ रहे थे और सुन रहे थे। बुआ सिर्फ सुन रही थी। वैसे तो सब साथ जाते थे, भुज और प्रसंग...बस, दो तीन दिन में वापस आ जाते थे।
दादी ने आवाज लगाई, 'रोशनी, थोड़ी देर बैठ….काम बाद में कर लेना' बुआ भी आकर बैठ गई। वैसे भी, इस परिवार के अलावा उनका कोई नहीं था। भाई-भाभी, ये दोनों बच्चे, और मां… अब पचास की होने वाली थी। अपनी पुरानी... मांडवी की बातों में, काशी विश्वनाथ का मंदिर, दरिया, किनारा, सब उसे भी खिंचने लगे।
पापा ने पूछा, 'अमर और बाकी सब मिले? कैसे है वो सब?' 'बहुत बीमार है' 'उसकी बीवी तो कब की चल बसी!' दादी दुःखी होकर बोली।
बेटी भी ससुराल थी, 'राजेश अंकल सब कुछ संभाल रहे हैं, उनकी सेवा भी वो ही करते हैं' प्रियंका बोली, 'उसके बीवी बच्चे?' बुआ ने पूछा…'उन्होंने शादी नहीं की' 'वो मिला क्या?' बुआ ने बेकरार होकर पूछा।

