लापरवाही की हद

लापरवाही की हद

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आनंद के पापा को कई दिन से बुखार चल रहा था। मौसम के बदलने से होने वाला बुखार समझ कर वह मेडिकल स्टोर से लाकर दवा खाए जा रहे थे, पर आज जब उनकी नाक से खून निकलने लगा तो बुखार की गंभीरता समझ में आई।

घर में सभी के हाथ पांव फूल गए। तभी आनन्द उन्हें अपने ऑटो में बिठाकर सबसे अच्छे हॉस्पिटल की ओर दौड़ गया ।रास्ते में जाम के कारण देर होती जा रही थी और आनन्द की घबराहट बढ़ती जा रही थी।

जाम खुलते ही थोड़ी दूर पर ट्रैफिक की लाल बत्ती हो गई थी पर अब उसने लाल बत्ती पर रुकना मुनासिब नहीं समझा और उसे अनदेखा कर गया और हॉस्पिटल पहुंचने पर ही दम लिया। हॉस्पिटल में एडमिट होते ही उसके पापा का इलाज शुरू हो गया। डॉक्टर ने बताया कि मामले की गंभीरता बढ़ती जा रही थी अगर ज़रा भी देर और हो जाती तो कुछ भी हो सकता था।

डॉक्टर ने बुखार के प्रति लापरवाही बरतने के लिए उसकी डांट भी लगाई। हमेशा ट्रैफिक नियमों का पालन करने वाले आनंद को लाल बत्ती को अनदेखा करके भारी जुर्माना भरने की भी कोई चिंता नहीं थी क्योंकि अगर ऐसा ना करता तो शायद वो अपने पापा को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने में कामयाब ना हो पाता और उनका इलाज शुरू होने में देरी होने से ठीक होने की संभावना कम हो जाती।

बस अब वो अपने पापा के ठीक होने की भगवान से प्रार्थना करने में लगा हुआ था।


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