क्यों हम जुदा जुदा
क्यों हम जुदा जुदा
हमारा गाँव भरत पुर जिला सीवान बिहार एक आदर्श गाँव है। गाँव मे कुल 150 परीवार है, कुछ घरों पर ताला लगा है, कयो की लोग परिवार सहित रोजी रोजगार के लिए शहर चले गए है। गाँव मे 25 घर मुस्लिमो के है, एक आदर्श गाँव होने के बावजूद गाँव मे कुछ लोग ऐसे भी है जो कट्टर मजहबी है फिर भी गांव में आपसी भाई चारा पूरी तरह बरकरार है।कबीर काका सर्वमान्य एवम लोक प्रिय प्रधान है,राबिया काकी ममता का समन्दर है, गांव में किसी बच्चे की तबियत खराब हो काकी उसके देख भाल के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। गांव को कोई बच्चा ऐसा नही होगा जिसे काकी की ममता की छाव नसीब ना हुई हो,काकी हमारे गांव कि मदर टेरेसा है।माई बताती है कि जब मैं बचपन में बीमार होता काकी पुरी पूरी रात अपनी गोद मे लेकर मेरे ठीक हो जाने की दुआ करती ,गांव के वैध जी के पास काकी ही मुझे लेकर जाती।काकी के इस मानवीय गुण के कारण पूरा गाँव उनकी इज्जत करता है।
सलीम जय और नील मेरे बच्चपन के दोस्त है। मेरी माई राधा काकी राबिया काकी और पार्वती काकी सगी बहन की तरह रहती है, ऐसे ही मेरे बाबूजी कबीर काका लखन काका और सुदामा काका की आपस मे अच्छी बनती है। कबीर काका गांव में किराने की दुकान चलाते हैं, कबीर काका के भाई रहमत काका टेलरिंग का काम करते है, दोनो भाइयो की सोच और विचारों में जमीन आसमान का फर्क है । बाबूजी लोक नायक विद्यालय के प्रिंसिपल है, लखन काका हिंदी के टीचर है ,और सुदामा काका गांव में पोस्ट आफिस का संचालन करते है। रोज रात के दस बजे तक चारो की बैठक होती है।सलीम की बहन परवीन,जय की बहन पूजा दोनो हाई स्कूल की छात्रा है। मैं सलीम जय और नील राजेन्द्र प्रसाद महा विद्यालय में बी एस सी (second year) के छात्र है। हम चारो मे सबसे ज्यादा अंक पाने वाला सलीम है। हाई स्कूल और इंटर मे सलीम मेरिट मे स्थान पा कर गाँव का नाम रोशन कर चुका है।
कॉलेज मे स्टूडेंट यूनियन के चुनाव के तिथि की घोषणा हो चुकी है। बी एस सी के सभी छात्र चाहते है, की सलीम प्रेसिडेंट का चुनाव फेस करे लेकिन सलीम तैयार नही हो रहा है। हम तीनो ने तय किया की महा मंत्री का चुनाव जय को लड़ाया जाए।
मैंने सलीम और नील ने लिए गए निर्णय से जय को अवगत कराया तो जय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गया। नामांकन वाले दिन 10_15 स्टूडेंट्स के साथ अकबर, रहमत काका का बेटा जो बी ऐ कर रहा है नामानकन रूम मे दाखिल हुआ जहाँ हम लोग पहिले से ही मौजूद थे जय के बाद अकबर ने महामन्त्री पद हेतु nomination पर्चा दाखिल किया। प्रेसिडेंट पद हेतु हमारे साथ पढ़ने वाली रेखा राय ने पर्चा दाखिल किया रेखा के बड़े भाई नकुल राय प्रेसिडेंट रह चुके है। प्रेसिडेंट पद हेतु मोहन झा ने भी पर्चा दाखिल किया मोहन झा पूर्व विधायक
गणेश झा का बेटा है। प्रचार के लिए मात्र तीन दिन का समय दिया गया कॉलेज मे पोस्टर बैनर लगाने की सख्त मनाही है, कॉलेज मे सभी क्लासेस मे जाकर प्रचार करने की इजाजत है, कॉलेज परिसर के बाहर लोकल एमिनिस्ट्रेसन की अनुमति से मीटिंग कर सकते है। हम लोगो ने तय किया की दो दिन क्लास रूम प्रचार तीसरे दिन मीटिंग आयोजित
किया जाए सलीम ने कहा, "रेखा मीटिंग साझा करना चाह रही है, जिससे खर्चा आधा आधा हो जायेगा। मुख्य वक्ता के रूप मे सदर विधायक कामरेड सदाकत को बुला लेते है।
रेखा के बड़े भाई भी अच्छे वक्ता है, जय अनुमति के लिए एक अप्लिकेशन थाने मे एक पुलिस कप्तान को देने के लिए बना लो जिससे ये काम कल हो जाए । " दो दिन क्लास रूम प्रचार पूर्ण हुआ
कल 11.00 बजे से मीटिंग होना है, नकुल राय और सदर विधायक ने हमारा आमन्त्रण स्वीकार कर लिया
हम लोग मंच इत्यादि लगवाने के लिए 09 बजे सभा स्थल पर पहुँच गए लगभग 9.30 बजे रेखा भी आ गई ठीक 11.00 बजे मंच का संचलन सभालते हुए मैंने सबसे पहिले सलीम को बोलने के लिए
आमन्त्रित किया सलीम एक अच्छा वक्ता है, धीरे 2 स्टूडेंट की संख्या बढ़ती गई उसके बाद मैंने पूर्व प्रेसिडेंट नकुल राय को आमन्त्रित किया उन्होंने अपने प्रभाव शाली भाषण के उपरांत रेखा और जय को जीताने की अपील किया, इसके बाद मैंने रेखा को आमन्त्रित किया रेखा ने सरल शब्दो मे अपनी बात रखा फिर मैंने जय को बोलने का मौका दिया तब तक विधायक जी आ गए इंकलाब जिंदाबाद, छात्र एकता जिंदाबाद के नारों के बाद मैंने माननीय विधायक जी से सम्बोधन करने का निवेदन किया। विधायक जी के सम्बोधन के उपरांत सभा सफलता पूर्वक सम्पन हुआ। दूसरे दिन चुनाव का परीनाम घोषित हुआ।
रेखा राय 400 मतो से झा को हरा कर प्रेसिडेंट पद पर विजेता घोषित हुई जय ने अकबर को 622 मतो से हराया। जय की जीत की खबर गाँव पहुँचते ही गाँव मे खुशी की लहर दौड़ गई
कबीर काका ने पूरे गाँव का मुह मीठा कराया इस खुशी से रहमत काका तिलमिला उठे, हम चारो गाँव के सभी छात्रों का आभार ब्यक्त कर रहे थे उसी
समय रहमत काका ने सलीम को आवाज दिया उनकी आवाज सुनकर हम चारो रहमत काका के पास गए काका ने कहा, " सलीम भाई के हारने का अफसोस नही एक काफिर के जीतने का जशन
मना रहे हो तुम्हारे सभी दोस्त गैर मजहबी है, अपने धर्म मे गैर मुस्लिमो से ताल्लुकात रखने की सख्त मनाही है। अकबर तुमसे बहुत खफा है इन सब मे तुम्हारी गलती नही है तुमको घर
से ही दीन की मालुमात नही कराया गया है "काका की बात चुप चाप सुनने के बाद सलीम ने कहा, "गुस्ताखी माफ हो काका आपकी हर बात का जबा
मुनासिब वक़्त पर आपको मिलेगा खुदा हाफिज "इसके बाद हम सब अपने 2 घर चले गए चुनाव के बाद दो दिन कॉलेज बन्द रहा तीसरे दिन शपथ गृहण समारोह 2.00 बजे से होना
हैअत:आज क्लासेस 1.30 बजे तक ही लगना है उसके बाद समारोह हाल मे पहुँचना है जहा प्रिंसिपल साहब जीते हुए कंडिडेटो को शपथ दिलायेगे मुख्य अतिथि के रूप मे सदर विधायक को आमन्त्रित
किया गया है। रेखा और जय ने प्रिंसिपल साहब से सादे समारोह के आयोजन की गुजारिश कीया है।
ठीक 2.00 बजे समारोह आरम्भ किया गया डा राम प्रकाश वाइस प्रिंसिपल समारोह का सनचालन
कर रहे है, क्रम से पदाधिकारियों को बुलाया गया उनको प्रिंसिपल साहब ने शपथ दिलाया । मुख्य अतिथि के अभिभाषण के उपरांत सबका मुहॅ मिठा कराया गया। कार्य क्रम के उपरांत हम सभी पदाधिकारियों ने तय किया की यूनियन भवन की सफाई कर दिया जाए जो कई महीनों बन्द पड़ा है , ये सब करते शाम के 6.00 बज गए कॉलेज से हम चारो अपनी 2 साईकिल से घर के लिए निकल पड़े, ठाकुर वन पहुँचते ही किसी स्त्री के चिलाने की आवाज सुनाई दी बचाओ 2 हम चारो ने पगडण्डी के दूसरी ओर अपनी 2 साईकिले जमीन पर रखी और जंगल मे घुस गए , सामने जो मंजर देखा देख कर खून गर्म हो गया
तीन लड़के एक लड़की को घसीटते हुए घने जंगल मे ले जा रहे है, हम दौड़ कर उन जानवरो के पास पहुँचे और लड़की को छोड़ देने को कहा परंतु उन तीनों ने हमारी बात अनसुनी कर दिया और
उसको पुन: घसीटने लगे हम चारो उन तीनो हैवानो से भीड़ गए और लड़की से कहा तुम जंगल से बाहर निकल जाओ उसके कपड़े भी दरिंदो ने फाड़ दिये थे जय ने अपना कुर्ता निकाल कर उस लड़की के उपर फेंका और कहा इसे पहन कर भागो कुर्ता पहीनते हुए उसकी नजर सलिम पर पड़ी उसने कहा भाई जान मै सबनम हु वो अपना मुह ढके हुए थी, सलीम ने कहा भाग सबनम भाग
हम सब सन्न हो गए ये जानकर की सबनम अकबर की बहन के साथ ये सब हो रहा था।
इसी बीच एक लड़के ने अपने को जय की पकड़ से आजाद कर लिया और चाकू निकाल कर जय के पेट पर वार कर दिया जय तड़फ कर जमीन पर गिर गया हम उन लोगो को छोड़ कर
जय को देखने लगे नील और मैंने अपनी कमीज से जय का पेट बाध दिया। सलीम ने पुलिस कंट्रोल को खबर कर जल्द से जल्द एंबुलेंस भेजने ओकी गुजारिश किया थोड़ी देर में ही पुलिस और एम्बुलेंस घटना स्थल
पर पहुच गई जय को अम्बुलैंस से सदर हॉस्पिटल पहुँचाया गया डॉक्टरों ने तुरंत उपचार सुरु किया खून काफी निकल गया था अतः डॉ ने पांच बोत खून की ब्यवस्था के लिये कहा हम तीनों ने
खून देने की पेशकश किया।गांव से बाबूजी कबीर काका,लखन काका सुदामा काका और दो तीन लोग हॉस्पिटल पहुँच गये सबनम को इस हाल में देख कर सभी सकते में आ गये, सबनम अपनी
खाला के घर से वापिस लौट रही थी रास्ते मे ये घटना घटित हुई,सबनम उन तीन में एक को पहचान गई थी वो लड़का खाला के गांव का था।
रहमत काका और अकबर ने सबनम के बयान के आधर पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दिया अकबर ने सबनम द्वारा बताए गए हुलिया के अनुसार खाला के गांव जा कर उस लड़के का चुप
चाप पता किया उसका नाम मंसूर है वह दो दिन से फरहार है,अकबर ने पुलिस को बताया की एक अभियुक्त का पता रामपुर मे चल गया है पुलिस ने अकबर के साथ जा कर रात में दबिश डाला मंसूर घर मे पकड़ा गया। पुलिस की खातिर दारी के बाद अपने दोनों साथियो के बारे में बता दिया और ये भी बताया कि अहमद ने जय के पेट मे वार किया था अहमद अपने काका के पास बनारस भाग गया है।मंसूर के साथ जो तीसरा अभियुक्त था उसका नाम फरहान है ,वह अपने मामा के घर सिवान से पकड़ा गया । दोनो को पुलिस ने अदालत में पेश किया वहाँ से दोनों को जेल भेज दिया गया,अहमद ने अदालत में आत्म समर्पण कर दिया उसे भी जेल भेज दिया गया। जय को पाच यूनिट खून चढ़ा दिया गया डॉ ने जय को खतरे से बाहर बताया । पुलिस जय का बयान लेना चाह रही है परंतु डॉ अभी अनुमति नही दे रहे है, हम तीनों सुबह शाम रात बारी 2 से हॉस्पिटल में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं । छठे दिन डॉ की अनुमति से जय का बयान पुलिस ने दर्ज कर लिया।
7 वे दिन सबनम परवीन और पूजा के साथ जय को देखने आईं उसने जय को देखते ही कहा,," सलीम भाई चन्दन भाई निल भाई और आप ना होते तो मेरा क्या हाल होता अल्लाह मेरे चारो भाइयो को लम्बी उम्र दे और आप जल्द ठीक हो जाए" । जय ने कहा "ये हमारा फर्ज था जो हमने निभाया आप सब की दुआ से मैं जल्द ठीक हो जाऊंगा"15 दिन बाद जय को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया । एक दिन मैं और नील सलीम के घर के बरामदे में बैठे थे रहमत काका आ गए हम तीनों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और वो घर के
अंदर चले गए थोड़ी देर बाद ही सबनम घबराई हुई आई उसने पूछा," भाई क्या अब्बू आये है "
सलीम ने कहा," काका अंदर है, क्या बात है तुम परेशान क्यो हो" सबनम ने कहा," भाई को किसी ने गोली मार दिया बेला वाले भाई को हॉस्पिटल ले गए हैं, रामु काका ने अभी 2 बताया है।हम तीनों अपनी 2 साइकिल ले कर सदर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े पुलिस हॉस्पिटल पहुँच चुकी थी हॉस्पिटल में बेला गांव के तीन चार लोग थे जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही थी ।उन चार लोगों में एक लड़का हमारे कॉलेज का था मैंने उस लड़के से पूछा,,"' ये सब कैसे हुआ उसने बताया की प्रधान की बेटी रत्ना के पीछे अकबर काफी दिनों से पड़ा है एक बार प्राधन के बड़े बेटे राहुल ने अकबर से कहा था की मेरी बहन का पीछा करना छोड़ दो बरना अंजाम बुरा होगा आज रत्ना अपनी सखी चम्पा के साथ कही जा रही थी अकबर ने मोटर साइकिल उसके आगे लगा कर रस्ता रोक कर कहा, "तुमसे कुछ बात करनी है" रत्ना ने कहा" मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है, रस्ता छोड़ो" तब तक अभय सिंह उधर से गुजरा उसने देखा की रत्ना का अकबर हाथ पकड़े खडा है और रत्ना
अपना हाथ छुड़ाने का प्रयास कर रही है और चम्पा हाथ जोड़ कर रत्ना को छोड़ने का अनुरोध कर रही है। अभय ने मोटर साइकिल रोक कर अकबर से पूछा उसका हाथ क्यों नही छोड़ रहे हो। अकबर ने कहा, "मैंने हाथ छोड़ने के लिए नही पकड़ा है, तुझे क्यों परेशानी होर रही है, क्या तेरी बहन है" अभय ने कहा , " हा मेरी बहन है तुरन्त हाथ छोड़ वरना तु कुछ भी पकड़ने के काबिल नही रह जायेगा अकबर ने कहा , ",नही छोड़ता देखे क्या कर लेता है, " ये कह कर उसने रत्ना की कलाई पर पकड़ तेज कर दिया। उसी समय पीछे से एक गोली आई और अकबर के पीठ मे घुस गई जिससे अकबर रत्ना की कलाई छोड़ कर जमीन पर गिर गया ये सब देख कर राहुल घबड़ा गया रत्ना और चम्पा को मोटर साईकील पर बैठा कर निकल गया गाव मे मंदिर के। चबूतरे पर बैठे इन्ही तीनो लोगों को घटना बताया जो अकबर को लेकर हॉस्पिटल आये थे।
आ टी से निकल कर डा ने बताया की 4 यूनिट ब्लड की ब्यवस्था करना पड़ेगा । हम तीनो ने15 दिन पहिले ही जय को ब्लड डोनेट किया था हम तीनो ने तय किया की हम तीनो अकबर को ब्लड देंगे 4 वी यूनिट देने को वह लड़का तैयार हो गया जो हमारे कॉलेज मे पढ़ता है। रहमत काका और कबीर काका हॉस्पिटल पहुँच गए थे हम लोग खून देकर घर लौट आये। कबीर काका रोज हॉस्पिटल आते और रुकते इस लिए सलीम को दुकान खोल कर बैठना पड़ता था। जय धीरे 2 रिकवर हो रहा था। कबीर काका ने बताया की अकबर के पीठ से गोली आपरेशन कर के निकाल दिया गया है पुलिस ने राहुल के बयान के आधार पर अज्ञात के नाम मुकदमा दर्ज कर लिया है। लगभग एक महीने बाद हम चारो सलीम के घर के बरामदे मे बैठे थे उसी समय रहमत काका आये हम चारो ने उनका अभिवादन किया सलीम ने कहा, " काका बैठिये आपसे कुछ बात करनी है" रहमत काका ब्बैठ गए सलीम ने कहा, "काका आपने कहा था की काफिरो से मेल जोल नही बढ़ना चाहिए ये दीन की हिदायत है, काका इन्ही काफिरो ने अपने जान पर खेल कर सबनम के इज्जत की हीफाजत किया मेरे इन्ही काफिर दोस्तो ने अकबर को खून दे कर बचाया अपने मजहब वाला कोई आगे नही आया आपके बेटे के जिस्म मे काफिरो का खून चल रहा है अब तो अकबर काफिर हो गया काका इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नही। जो लोग इबादत का रास्ता हमारे मजहब से अलग अपनाते है वो हमारे लिए काफिर है और हम उनके लिए अगर
ये सोच सबकी हो जाए तो समाज मे कभी भाई चारा पनप नही पायेगा मजहबी दन्ग फसादो का सैलाब आ जायेगा और मुल्क से अमन रूठ जायेगा अगर कोई मजहब इंसानियत के खिलाफ
हिदायत देता है तो मै ऐसे मजहब की हिदायतों को मानने से इंकार करता हू। काका आप या अकबर
कोई भी जय को देखने नही आया । रहमत काका रोने लगे और बोले, " बेटा आज तूने मेरी आँखे खोल दी अब मुझे साफ 2 दिखाई दे रहा है कि कोई मजहब इंसानियत से बड़ा नही हो सकता। "