क्या अपने ऐसे होते हैं
क्या अपने ऐसे होते हैं
आज मन मयूरी सा नाच रहा है,यह शहनाई की गूंज आज मेरे कानों में रस घोल रही है ।मन कर रहा है कि यह गूंज चारों दिशाओं में बस इसी प्रकार निरंतर गूंजती रहे।आज मेरा कई सालों पहले देखा हुआ सपना पूरा हुआ । मैं बहुत खुश हूं, समझ नहीं आ रहा अपनी खुशी कैसे व्यक्त करूं अपने बेटे के सिर पर सजा हुआ सेहरा देखकर आज फूली नहीं समा रही हूं ।यह दिन देखने के लिए आंखें तरस गई थी मेरी ।न जाने सालों से क्या-क्या सपने सजा रखे थे ।आज जाकर वे सभी सभी सपने ,सभी अरमान पूरे हुए हैं। खुद को आज सातवें आसमान पर पा रही हूं। हाय !!कभी मेरी इन खुशियों पर आज मेरी ही नज़र ना लग जाए। प्रभु हम सब पर बस ऐसे ही खुशियों की बरसात करते रहना और सदा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना।
नई नवेली बहू का आज गृहप्रवेश हुआ है। बहू के शुभ आगमन से घर की खुशियां दिन दुगुनी और रात चौगुनी होंगी। घर की लक्ष्मी से घर में सुख शांति और वैभव की बरसात होगी। अब तो सब बस अच्छा ही अच्छा होने वाला है इतनी गुणी, संस्कारी और सुशील बहू जो आई है हमारे घर में।
प्रतिभा मन ही मन खुद से यह सारी बातें कर बड़ी खुश हो कुछ गुनगुना रही थी क्योंकि अभी-अभी उसके बड़े बेटे रोहन की शादी जो हुई है।
प्रतिभा के साथ-साथ घर के सभी जन रोहन की शादी को लेकर उत्साहित हैं।घर में एक नए सदस्य का आना सबके मन में अनेक उमंगे पैदा कर रहा है ।किसी की भाभी, किसी की बहू बनकर नए रिश्तों का घर में समावेश होगा यह सोचकर परिवारजन अति प्रसन्न हैं।
पर कहते हैं ना कि समय कभी भी एक समान नहीं रहता। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख का आना तय होता है ।यही प्रकृति का नियम भी है ।घर में नई बहू को आए हफ्ता भी नहीं हुआ था कि परिवार के कई लोग कोरोना महामारी की चपेट में आ गए। प्रतिभा भी खुद को इस वैश्विक आपदा से बचा नहीं पाई। रोहन के पिताजी की हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा ।घर में सब अस्त-व्यस्त हो गया।
घर के छोटे बेटे शिवेन का तबादला दिल्ली से दूर मुंबई की एक प्रतिष्ठित कंपनी में हो गया । वह इस आपदा के समय में अपने परिवार के लोगों की कोई सहायता नहीं कर पाया और अपना मन मसोसकर रह गया।वह अंदर ही अंदर रोता रहा और चाहते हुए भी दिल्ली नहीं आ पाया।
सबको उम्मीद ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास भी था कि मुश्किल की इस घड़ी में सौम्या पूरे परिवार का सहारा बनेगी और सब कुछ स्वयं संभाल लेगी निराशा की इन घड़ियों में सभी को आशा की सिर्फ एक ही किरण नज़र आ रही थी और वह थी उनकी लाडली नई बहू सौम्या जिसको परिवार के सभी लोगों ने बहू से ज्यादा बेटी का दर्जा दिया था।
परंतु यह क्या ,जैसे ही प्रतिभा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई सौम्या के चेहरे का रंग ही बदल गया ।उसने रोहन को घरवालों से दूरी बनाने की सलाह दी और खुद भी मायके जाने की जिद की
प्रतिभा को जब सौम्या के इन मनोभावों का पता चला तो वह हतप्रभ रह गई। कोरोना के संक्रमण से जो तनाव उसे हो रहा था उससे कहीं अधिक आहत वह सौम्या के इस व्यवहार से हुई।
अगले ही दिन सौम्या ने कैब बुलाई और अपना सामान पैक कर कर अपने मायके जाने को निकलने लगी।तब रोहन ने उसे बहुत समझाया ,परंतु उसने रोहन की एक न सुनी और कहा अगर तुम्हें अपने माता-पिता के साथ रहकर कोरोना संक्रमण का शिकार होना है तो तुम शौक से उनके साथ यहीं रह सकते हो, परंतु मैं इतनी बेवकूफ नहीं हूं। यह तो वही बात हुई ना कि आप बैल मुझे मार जब हमें पता है कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है और अगर हम यह सब जानते हुए भी मम्मी जी के पास रहेंगे तो हम भी संक्रमित हो सकते हैं।रोहन ने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में अगर हम लोग ही अपने माता पिता की सेवा नहीं करेंगे ,उनका सहारा नहीं बनेंगे तो और कौन बनेगा तो सौम्या ने पलटकर तीखे स्वर में जवाब दिया कि हमें सबसे पहले अपने बारे में सोचना चाहिए।अगर हम ठीक तो जग ठीक।
रोहन रूआंसा सा रह गया और उसे रोक नहीं पाया।सौम्या अपने मायके चली गई ।प्रतिभा के कानों में सौम्या के शब्द अभी भी गूंज रहे थे और उसकी आंखों से अश्रुधारा रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। वह मन ही मन व्यथित होकर आज बस यही सोच रही थी कि -क्या अपने ऐसे ही होते हैं ?
