कुछ बातें अधूरी रह गईं भाग-२
कुछ बातें अधूरी रह गईं भाग-२
आदि रिया को बहुत याद करता और गुमसुम सा रहता| आदि की माँ बहुत परेशान हो रही थी| उनके कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या हुई है और आदि था जो कुछ भी नहीं बोलता था| कभी-कभी कुछ लोग वक्त का फायदा उठा लेते हैं| आदि के दोस्तों ने ऐसा ही कुछ किया| उसका मन बहलाने के लिए उसकी माँ से पूछकर घुमाने ले गये| आदि ज्यादा-से-ज्यादा वक्त उनके साथ गुजरने लगा| आदि अच्छे परिवार से था| अच्छा पैसे वाला था| उसके दोस्त इस बात का फायदा उठा रहे थे| उन्होंने उसे ड्रिंक करना भी सिखा दिया| उसकी माँ को समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि उसके ये दोस्त कैसे हैं| माँ ने आदि को बहुत समझाया मगर आदि अपने दोस्तों के बारे में कुछ भी नहीं सुनना चाहता था| आदि की माँ एक दिन अपने भाई से बात कर रही थी| वह ग्वालियर में रहते थे| जब आदि की माँ ने सारी बात भाई को बताई तो उन्होंने कहा कि आदि की बहन इंदौर में अकेले पढ़ती है, आदि अगर मान जाये तो उसे यहाँ भेज दीजिये| दोनों भाई-बहन एक साथ रहेंगे तो मैं भी चिंता मुक्त हो जाऊंगा| आदि की भी इंटर ख़त्म हो गई है| पूजा, आदि की बहन (मामाजी की लड़की) उसको भी अब वहीं से बीटेक करना है| आदि का भी उसी कॉलेज में एडमिशन करा देंगे|
आदि की माँ बहुत ख़ुश हो गई, "चलो, यहाँ के दोस्तों से पीछा तो छूटेगा|" पर आदि ने जाने से मना कर दिया| मगर माँ तो माँ होती है, उसने अपने बच्चे की खुशी की खातिर खाना खाना छोड़ दिया| आदि को बात माननी ही पड़ी| आदि अगले दिन ट्रेन से निकल गया, वहाँ वह पूजा से मिला (अपनी बहन से)| आदि ने भी पूजा के साथ ही बीटेक में एडमिशन ले लिया और इंदौर में ही रहने लगा और साथ में पढ़ाई करने लगा| आदि के जाने के बाद उनके पाप ने अपना ट्रांसफर वहीं करा लिया जहाँ पहले वो रहते थे, आदि जहाँ काव्या से मिला था| आदि की माँ फिर से वहाँ पहुँच कर बहुत ख़ुश थी| वहाँ वो १५ साल तक जो रही थी| सब लोग उनको देख़ कर बहुत ख़ुश थे| अगले दिन आदि की माँ सुबह उठकर पास ही एक मंदिर था वहाँ पहुंची| मंदिर से बहुत-सी यादें जुडीं थी उनकी, तभी उनकी नज़र मंदिर में प्रार्थना कर रही लड़की पर गई जो उन्हें कुछ पहचानी-सी लगी| जब सोचा तो याद आया कि यह हमारी कास्ट की सुनीता की लड़की है| जब वह उसके पास पहुंची तो लड़की ने भी आदि की माँ को नमस्ते बोला और आदि के बारे में पूछा| माँ ने बताया कि वह बीटेक कर रहा है| लड़की ने बताया कि मैं उससे २ क्लास आगे थी| मैं उससे ५ क्लास में मिली थी, मेरा नाम काव्या है| आदि की माँ को लड़की बहुत पसन्द आई| उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और मुस्क़ुराते हुए आर्शीवाद दिया 'ख़ुश रहो' और जल्दी शादी हो जाये तुम्हारी| वह वहाँ से चली आई|
घर आने की खुशी में आदि के पापा ने एक पूजा रखी थीं, घर में| सारे पड़ोसी को बुलाया, काव्या भी आई थी| उसने रसोई में बहुत हेल्प कराई| आदि की माँ उससे बहुत खुश थीं| पूजा के बाद काव्या घर से निकल गई| अब तो रोज़ का आना जाना लगा रहता था| आदि की माँ अकेली रहती तो काव्या से बाज़ार से सब्जी लाने को बोल देती थीं... शाम को आते समय काव्या सामान ले आती थी| काव्या B.A. के साथ पार्ट-टाइम जॉब भी करती थीं| वहाँ आदि की पढ़ाई चल रही थी, कभी-कभी वह बहन के साथ शाम को घूमने जाता था| एक दिन वह घूमने गया और पार्क में एक चेअर पर बैठ गया| बहन अपने सहेली से फ़ोन पर बात करती हुई आगे निकल गई| आदि बैठा था मगर हवा के झोंके में पता नहीं क्या था, आदि को बेचैन-सा कर दिया| यह तब होता था जब आदि रिया को सामने देखता और कुछ बोल नहीं पाता था| आज फिर सारी यादें ताज़ा हो गई| वह वहाँ बैठा रिया की यादों में खो गया, बड़े दिनों बाद रिया याद आई थी| वह बस उसकी यादों में रहना चाहता था| मगर वह भूल गया था कि रिया उसे छोड़ कर कहीं और नहीं, इंदौर ही आई थी|

