कुछ बातें अधूरी रह गईं भाग-१
कुछ बातें अधूरी रह गईं भाग-१
यह उस समय की बात है जब आदि ५ क्लास में पड़ता था| उसकी माँ थी जिसे वह बहुत प्यार करता| उसकी माँ ने उसे पढ़ने के लिए उनके पड़ोस में एक भईया के पास ट्यूशन लगा दिया था| वह पढ़ने में होशियार था, वह बहुत ख़ुश था मगर पड़ोस में ट्यूशन होने के कारण वह सोच रहा था कि भईया की नज़र से बच कर कैसे मैं खेलने जाया करूंगा| पहला दिन वह पढ़ने के लिए पहुंचा, वह अकेला नहीं था| पढ़ने के लिए कुछ और बच्चे भी वहां पहुँचे थे| उन बच्चों में एक लड़की भी थी जो थोड़ा लेट आई थी| अपने माँ के साथ पहले दिन होने के कारण सर ने कुछ मैथ के सवाल दिए| टेस्ट ले रहे थे| वह लड़की आदि के राइट में चेअर पर बैठी थी| आदि की नजर गई तो उसने देखा कि उसके कुछ सवाल में गलती है| उसने अपनी कॉपी को नीचे कर लिया और बोला मेरा देख कर उसे ठीक कर लो| लड़की ने उसे देख कर ठीक कर लिया और आदि को थैंक्स बोलते हुए एक प्यारी-सी स्माइल दी|
फिर क्या पहला दिन कुछ खास बन गया उसके लिए खास होता भी क्यों नहीं, एक प्यारी-सी लड़की से उसकी फ्रैंडशिप जो हो गई थी| दूसरे दिन, आदि कुछ टाइम से पहले ही रेडी हो गया था, वो लड़की कुछ जल्दी आ गई थी| उसकी माँ उसे छोडकर चली गई| भाई बच्चों के लिए पानी लेने अंदर गए, तो काब्या जो उस लड़की का नाम था उसने आदि को एक चोकलेट दी और कल के लिए थैंक्स कहा| आदि ने मुस्कुराते हुए थैंक्स कहा| फिर भईया आ गए| दोनों अपनी बुक खोल कर पढ़ने लगे| काब्या आदि की स्कूल में नहीं पडती थी| आदि ने उसके स्कूल में जाने की जिद पकड़ ली और और उसके स्कूल में एड्मिशन कर लिया| अब भईया की जॉब लगने के कारण ट्यूसन बंद हो गया| स्कूल में ज्यादा बात नहीं हो पाती थी और छुट्टी में उसकी माँ लेने आती थी| बात होना कुछ कम हो गया था| धीरे-धीरे टाइम के साथ सब कुछ बदल गया| आदि अब अपनी क्लास में मस्त हो गया| आदि उसे आज भी याद करता था मगर पिता के ट्रांसफर होने के कारण दिल्ली शिफ्ट हो गया| वहाँ उसने दूसरा स्कूल ज्वाइन कर लिया| वहाँ उसकी क्लास में कुछ अच्छे दोस्त बन गए| उसकी क्लास में कुछ लड़कियाँ भी थी जिसमें से एक लड़की को आदि बहुत पसन्द था| पर आदि को इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था| क्लास में एक फंक्शन जिसमें लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया और आदि को कुछ अजीब लगा मगर अगले ही पल आदि ने देखा उसका एक पैर ऊपर था| उसके सेंडिल में एक कील लगी थी जिसे निकालने की वह कोशिश कर रही थी| आदि ने उसे अपने हाथ से निकाल दिया मगर उसके हाथ में चोट लग गई| यही देख कर रिया कुछ परेशान हो गई और अपने रुमाल से उसके हाथ को बांध दिया और रोने लगी| यह देख आदि ने उस चुप कराया| रिया उसके गले से लग गई| एक अजीब-सी फीलिंग आदि को महसूस हुई| और आदि फिर वहाँ से चला गया| फंक्शन खत्म होने के बाद आदि से वह बाहर मिली और अपनी चोट पर दवा लगाने को बोल कर वहाँ से चली गई| आदि पूरी रात उसके बारे में सोचता रहा| आदि के बहुत सोचने के बाद समझ में आया - आगे की बहुत-सी ऐसी बातें थी जो वह कभी नोटिस नहीं करता था| वह समझ गया कि रिया उसे प्यार करती है| वह जब अगले दिन मिला तो वह उसे बहुत देर तक देखता रहा| वह भी उसे प्यार करने लग था| बस एक दूसरे को बताने की देर थी| मगर होता भी कैसे, ऐसा करने की हिम्मत दोनों में नहीं थी| टाइम के साथ प्यार बढ़ता रहा मगर एक दूसरे को कभी बता ना सके|
एक दिन जब दूसरे लड़के को उसका मज़ाक उड़ाते हुए देखा तो वह खुद को रोक नहीं पाया और उससे बिना बात के लड़ गया| यह देखकर रिया को समझते देर नहीं लगी कि अब आदि भी उसे लाइक करने लगा है| रिया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा| जब आदि उसे मार रहा था तो रिया खड़े होकर मुस्कुरा रही थी| आदि भी उसे देख़ कर मुस्कुराने लगा| फिर जब कॉलेज की छुट्टी हुई तो आदि ने रिया को बुलाया और पूछा, "तुम क्यों मुस्कुरा रही थी?" रिया के पास कोई जबाब नहीं था| रिया जब घर पहुंची तो उसे पता चला कि वह अब दिल्ली छोड़ कर चली जाएगी हमेशा हमेशा के लिए लेकिन पेपर होने में भी एक महीना था| तो उसके पास १ महीने का वक्त था, उसने सोचा इस वक्त में आदि को सब बता देगी| मगर ऐसा ना हो पाया और आदि को भी उसके दोस्तों से इस बता की खबर हो गई थी कि वह दिल्ली छोड़कर जा रही है| उसने उससे बात करने की कोशिश की मगर बात नहीं हो पाई| वह दिन भी आ गया जब पेपर हो चुके थे, कॉलेज का भी लास्ट दिन था| रिया की आँख में आँसू थे और आदि भी परेशान था| लास्ट दिन आदि उसे मिल पता कि उसके पिता ने पीछे से आवाज लगाई| रिया को कुछ दिनों के लिए अपनी दादी के यहाँ जाना था, उसके बाद अपने पिताजी के साथ इंदौर जाना था जहां उनके पिता जी का ट्रांसफर हो गया था| रिया चली गई, आदि कुछ नहीं कर पाया| काश कुछ बातें पूरी हो जातीं| वह आज भी उसे याद करता है और रिया भी आज उतनी ही मोहब्बत करती है|
आगे कहानी बाकी है...

