STORYMIRROR

Satarupa Sahu

Romance

4.0  

Satarupa Sahu

Romance

कुछ अनकही बाते

कुछ अनकही बाते

1 min
290


कभी तो तुम मुझे बहत प्यारे लगने लगते हो,

ओर कभी कभार तो तुम्हारी बचकानी हरक़ते भी मुझे अच्छी लगने लगती है,

शायद बहत प्यार करने लग गई हूँ तुमसे अब,

गुस्सा भी होती हूं तुम पे,

पर प्यार भी तो इतना करती हूं,

कैसे बांट  लूं तुम्हें किसी और के साथ

कैसे सून लू किसी दूसरे के लिए प्यार तुम्हारे मुंह से, 

बहुत देर में तो आऐ हो जिंदगी में मेरी,

खुशियों की बौछार लेके,

तुम्हें ऐसे कैसे मूझ से दूर जाने दू

ये तो डर ही है,

जो तुम पर यकीन करने नहीं दे रहा, 

ऐतवार तो बहत करती हूं तुम पे,

पर कोई तुम्हें मुझ से छीन ना ले,

ये खयाल अभी मुझे डराने लग गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance