कठपुतली

कठपुतली

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वीनू देख तेरे लिए कितना अच्छा रिश्ता आया है।

बेटा लड़का इंजीनियर है, 40,000 रूपये महीना उसकी सैलरी है। और उसके घर में केवल उसके पिता, माँ और दो ननदें जिनमें से एक की शादी हो गयी और एक कुँवारी है। तू राज करेगी वहाँ। मै आज ही वहाँ बात करके बात पक्की कर देता हूँ। और दिखने दिखाने का समय फिक्स कर देता हूँ।

वीनू के पापा नें उनके यहाँ बात दिखने दिखाने की पक्की कर राहत की साँस लेते हैं। दिखाने से लेकर शादी तक का सब कुछ होने के बाद वीनू एक नयी दुल्हन के रूप में आँखों में कई सपने संजोये वो युग के साथ उसके घर आ गई।

सब कुछ अच्छा चल रहा था। वीनू भी अपने नये घर में बहुत खुश थी मगर उसकी ये खुशी भी ज्यादा दिनों तक उसके पास नहीं रही। सब कुछ अचानक ऐसा बदला कि उसे कुछ समझ ही नहीं आया कि उसके साथ क्या हो गया।

बात दरअसल ये थी कि बात यहाँ वीनू से नहीं बल्कि उसके पति युग से जुड़ी थी। मतलब साफ था, जिसे वीनू बिल्कुल साफ साफ समझ पा रही थी कि उसका पति उसका नहीं है। अपितु उसके पूरे परिवार का है। अब भी नहीं समझे, भाई मतलब साफ है।

युग की जिंदगी उसकी जिंदगी नहीं अपितु उसके पूरे परिवार का उसकी जिंदगी पर हक था। क्योंकि उन सबके लिए युग उन सबकी जरूरत पूरी करने वाला महज एक नौकर था। जिसकी जिंदगी की बागडोर केवल उन्हीं के हाथों में थी। जिसके कारण उन लोगों नें भी युग को वीनू से पूरी तरह से दूर कर रखा था।

वीनू को ये बात अच्छे से समझ आ रही थी। कि जब भी युग उसके पास होता तो उसके परिवार वाले उसे किसी न किसी काम से बुला ले जाते और युग को जाना पड़ता। पर शायद बात की गहराई कुछ और ही थी। युग उन सबके हाथों की कठपुतली बन चुका था। जो जैसा चाहता, वो वैसी चाबी भरकर उसे चला लेता। जिसके कारण धीरे धीरे युग और वीनू के रिश्तों में दूरियाँ आने लगी।

वीनू को समझ नहीं आ रहा था कि वो उसे इस जाल से कैसे निकाले। तो उसने घर छोड़ने का अभिनय किया, कि शायद युग उन्हें छोड़कर उसके पास आ जाए। और हुआ भी वही, क्योंकि युग भी कहीं न कहीं सच्चाई से रूबरू था और वीनू के प्रति आर्कषित, तो उसने उन सबका साथ छोड़ वीनू का हाथ पकड़ा और उस घर से हमेशा हमेशा के लिए निकल गया।


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