कर्म
कर्म
हमारे कस्बे के पास ही एक नई नई बाय पास सड़क बनी है,और शाम के समय अधिकांश लोग इधर घूमने निकल आते हैं। लोग अपने दोस्तो के साथ इस पर चक्कर लगाते और अपनी बातो में डूबे रहते थे ।
मेरा मित्र मुझे इस खूबसूरत सड़क पर शाम को घूमने ले आया था ।अंधेरा होने लगा था ।
हम अपनी ही धुन में थे की नोटिस किया दो मोटरसाइकल हमारे पास दो बार चक्कर लगा चुकी है थोड़ी आगे जा कर वापस तेजी से आती और हमारे पास से निकल कर पीछे चली जाती और फिर वापस हमारे पास से धीरे धीरे गुजरती ।
मित्र मेरी ओर देख रहा था और में मित्र की ओर दोनो की नजरो में प्रश्न थे।
"क्या बात है " दोनो एक दूसरे से पूछना चाह रहे थे ।तभी उनको हमने वापस हमारी ओर आते देखा तो हमने उन्हें रोक लिया ।
"क्या बात है भाईयो ,क्या चाहते हो " मित्र ने पूछा ।
देखने में वे स्टूडेंट लग रहे थे ,दोनो गाड़ी पर ४ स्टूडेंट थे जो घूमने ही निकले थे । पर इस तरह के आचरण को लेकर हम भी असमंजस में थे ।
एक गोरे से बच्चे ने कहा _"कुछ नही चाहिए,"
"फिर आप इस प्रकार हमे देख कर चक्कर क्यूं लगा रहे हो ,हमे तो डरा दिया आप लोगों ने " मेने शिकायत भरे लहजे में कहा ।
तब पीछे बैठे वाले लड़के ने कहा "अंकल ये पीयूष आप को पहचानने के लिए हमें घुमा रहा था।"
"पर क्यों " फिर वही सवाल आपको क्या चाहिए ? आप क्या करते हो ?"
"हम फर्स्ट ईयर में पढ़ाई करते है अंकल "
तभी पीयूष ने कहा ।
"अंकल मैं मेरे दोस्तों को बताना चाह रहा था की ये वही अंकल है जो मेरा एक्सीडेंट होने पर मुझे अस्पताल ले गए थे ,आपकी वजह से आज मैं जीवित हूं।"
मैं आपका बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं,में आपको कई दिनों से मिलना चाहता था ,पर आज आपको अचानक देख कर मैं पहचान नहीं पा रहा था इसलिए इतने चक्कर लग गए माफी चाहता हूं अंकल ।" एक ही सांस में सब कह गया वह ।
हमारे पास क्या था कहने के लिए, जिसके कर्म अच्छे हो शायद उन्हें बोलना नहीं पड़ता ।
