सुई धागा
सुई धागा
चुन्नी लाल जीवन भर सिलाई करके भी अपने बुढ़ापे के लिए कुछ बचा न सका था । जैसे तैसे उसने अपने तीनों बेटों का विवाह कर दिया,और अब वो अपने बेटे बहुओं के सहारे घर के बाहर चौबारे में चारपाई पर लेटा रहता था ।जब से वह बीमार हुआ तब से उसकी हालत दिनों दिन और गिरती जा रही थी।
वह अपने अंतिम दिनों को लेकर बहुत चिंतित रहने लगा ,अब चलना फिरना भी मुश्किल लग रहा था।उसे लग रहा था यदि उसकी खेर खबर नहीं रखी तो जल्दी उसका अंत आ जायेगा,पर वह अभी स्वस्थ होना चाहता था । पत्नी होती तो उसका बहुत ख्याल रखती उसे किसी बात की तकलीफ न होने देती पर भगवान को यही मंजूर था उसे गुजरे ३साल हो गए थे ।
बीमारी की खबर सुन उसका मित्र रामधन आज उससे मिलने आया तो उसे बहुत खुशी हुई ,उसने अपने मित्र को सारी बात बताई की घर में अब वह मुश्किल के दिन काट रहा है । बेटे बहु उसे हिकारत से देखते है कहते है,"इन्होंने जीवन में कुछ कमा कर नही रखा" ।
उनकी इसी सोच से उसे समय पर खाना दवाई भी नही मिल रही थी।बच्चे सुनी अनसुनी कर निकल जाते है।
रामधन उसके दोस्त की हालत पर बहुत दुखी हुआ ओर काफी देर तक सोचने के बाद उसने अपने मित्र को एक उपाय बताया जिसे सुनकर चुन्नी लाल के चेहरे पर मुस्कान आ गई।उसने सोच लिया वह ऐसा ही करेगा तो कुछ दिन और आराम से जरूर निकल जायेंगे।
रामधन के जाने के बाद जब शाम को तीनों बेटे घर लोटे तो चुन्नी लाल ने बेटो को अपने पास बुलाया,पर कोई आ नही रहा था । कुछ देर बाद छोटी बहु देखने आई तो चुन्नी लाल ने उसे पास बुला कर कहा , " बेटा मुझे तुम सब से एक बात बतानी है,तुम सभी मेरे पास आ जाओ सभी को बुला लाओ न मालूम अब कितने दिन शेष है । "
बहू ने सुना और जा कर अपने पति को और भाईयो को भी साथ चलने की बोला ,सभी ने मन ही मन सोचा आज पिताजी हमे कुछ राज बताने वाले है। जो भी धन उन्होंने छुपा कर रख रखा है आज बताने वाले है ।
तीनों बेटे अपनी पत्नियों के साथ चुन्नी लाल के पास जमा हो गए,वे उत्सुकता से अपने पिता को देखने लगे और मन ही मन सोचने लगे ,कुछ खास है जो पिताजी ने हमारे लिए रखा है।
चुन्नी लाल ने कहा _"देखो बेटा में कई दिनों से तुम्हे एक बात बताना चाह रहा हूं कही ऐसा न हो मेरे प्राण निकल जाए और बात मेरे साथ ही चली जाए ।में अभी यह कहना चाहता हूं ,की जब मेरा अंतिम समय आ जाए तो तुम मुझे याद दिला देना की में तुम्हे कुछ बताना चाहता हुं। में वह बात अपने अंतिम समय पर ही बता सकता हूं।"
आज सभी भाई बहुत खुश थे रात भर सोचते रहे आपस में बताते रहे ,छोटी बहु अपने पति से कह रही थी_"मैं नहीं कहती थी जरूर कुछ छुपा कर रखा है अब हमारे दिन बदलने वाले है समझो ।"
अगले दिन से चुन्नी लाल की खातिरदारी होने लगी तीनों बहुएं कभी दूध बादाम कभी हलवा ला कर देने लगी जल्दी ही चुन्नी लाल स्वस्थ होने लगा।अब तो वो सुबह सैर पर भी जाने लगा दिन खुशी से बीतने लगे बहुएं सेवा में कोई कमी नहीं रख रही थी। २ साल निकल गए,पर आज रात चुन्नी लाल की तबियत अचानक खराब हो गई।उसे लगने लगा ये रात उसे निगल ही जायेगी इस रात का सबेरा होना मुश्किल है।
आज उसके चारो ओर सभी उस प्रतीक्षा में चुन्नी लाल को घेरे खड़े है,आज वही बात याद दिलानी थी जो उनको याद दिलाने की उनके पिता ने बोला था ,सभी उनके मुंह की ओर देख रहे थे।कही ऐसे ही न चले जाए देर न हो जाये यह सोच कर छोटी बहु ने अपने पति को इशारा किया ",अब पूछ लीजिए कही बात न रह जाए"
बड़े बेटे ने चुन्नी लाल के पास आ कर बोला _"पिताजी आपने कुछ याद दिलाने की बोला था "
चुन्नी लाल ने सिर घुमाया और अपना अंतिम समय जान बोला_"हां बेटा वो में आज तुम सबको बताना चाहता हु ,ध्यान से सुनो _"हमारा काम सिलाई का है और ध्यान रखना सुई में धागा छोटा पिरोना ताकि उलझे नही ।"
यह कह कर चुन्नी लाल के प्राण निकल गए , तीनों बेटे और बहुएं एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।
