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Dr. Poonam Gujrani

Drama

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Dr. Poonam Gujrani

Drama

कर्म की कसौटी

कर्म की कसौटी

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डिस्को की भकीली रोशनी, तेज म्यूजिक की आवाज ,उछलती हुई शेम्पियन की बोतलें, आधखूले कपङ़ो से झांकता जिस्म, थिरकते कदमों के बीच किसी को अहसास नहीं था कि पूराना साल विदा होने को है।

सारा माहौल नये साल की अगवानी का जश्न मना रहा था ।

पूराने साल ने एक नजर सबको देखा और फिर धीरे से चुपचाप चलने को कदम बढ़ाया कि सामने से आते हुए नये साल ने उसका हाथ पकङ़ लिया और बोला " मत जाओ भैया, यूं मुझे अकेले छोङ़कर ना जाओ.."।

" जाना तो मुझे होगा, 

यही नियति भी है और सृष्टि का नियम भी।जो आया है जाने का समय भी साथ लेकर आया है ।तुम इस साल सबको ढ़ेरों खुशियाँ देना, किसी हादसे को अपने ऊपर दाग मत लगाने देना और हाँ...., सबके जीवन में सुख, शांति का संचार करना ताकि तुम्हारा नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाये "।

" बस ...बस..भैया, इतना आसान होता तो आप भी कर ही लेते पर ये बहुत मुश्किल है।देख रहे हो सङ़को पर भटकती इस भीङ़ को जिसको अपना लक्ष्य भी नहीं मालूम, न कोई सोच, न कोई सपना और न ही कोई संकल्प....ऐसे में मैं तो क्या कोई भी इनका भला नहीं कर सकता "। 

" सच कह रहे हो, पिछले वर्ष जब मैं आया था तब पूराने साल से खुशहाल जीवन का वादा किया था पर पूरा साल हादसों, अपराधों , की गिरफ्त में रहा ।थोङ़ा बहुत कुछ अच्छा कर भी पाया तो आटे में नमक जितना...." पूराना कलैन्डर अब फङ़फङ़ाते हुए अपने जाने की तैयारियों को अंतिम रूप देने लगा।

अब मुझे जाने की इजाजत दो....बङ़े - बङ़े डग भरते हुए पूराना साल बोला ।

हाँ भैया, जाओ पर इतना आशीर्वाद देते जाओ कि लोग अतीत से सबक लेना सीख जाए ताकि भविष्य की मनपसंद इबारत लिखी जा सके।

मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तुम्हारे साथ पर कर्म की कसौटी पर ही आशीर्वाद फलित होते हैं।अब वक्त आ गया है की सभी अपने कर्म को दमदार बनाये और खुद को उर्जावान ताकि अपने सपनों को संकल्प की स्याही से लिख सके" कहते हुए   समय अपने पंख फङ़फङ़ाते हुए निकल गया।

शोर, शराबे, और चकाचौंध के बीच नया साल तलाश रहा संकल्प के तेज आप्लावित तेजस्वी चेहरे जो आगे के सफर में बनेंगे समय के साक्षी और बनाएंगे सुनहरा इतिहास।


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